The In-depth Analysis

नमस्कार दोस्तों, मैं Subham sahu हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक under Graduate student हूँ. मुझे नयी नयी Technology से सम्बंधित चीज़ों को सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा मज़ा आता है. मेरी आपसे विनती है की आप लोग इसी तरह मुझे सहयोग देते रहिये और मैं आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहूंगा.

बुधवार, 7 अप्रैल 2021

अप्रैल 07, 2021

Supercomputer क्या है और कब बनाया गया?

सुपर कंप्यूटर क्या है? कंप्यूटर के विषय में तो हम सभी को पता है लेकिन क्या आप Supercomputer के विषय में जानते हैं? सुनने में तो ये Computer का super version लगता है. और ये बात सही भी है की supercomputer ऐसे device को कहा जाता है जो की सभी existing computers में से ज्यादा बेहतर और fast processing करते हैं. अगर हम पहले ज़माने की बात करें तब computers में vaccum tubes और transistors का इस्तमाल होता था और computers बड़े बड़े rooms के आकर के हुआ करते थे. लेकिन जब से Integrated Circuit या microchips का ज़माना आ गया, अब computers की size काफी हद तक कम गयी है.

लेकिन supercomputer में IC के समाहार का इस्तमाल किया जाता है, Microchips का बड़े तादाद में इस्तमाल होता है जिससे इनकी size में कोई ज्यादा फरक नहीं होता है. इसलिए हमें supercomputer छोटे आकार के देखने को नहीं मिलते हैं.

लेकिन इनकी processing speed बाकि सभी normal computers के मुकाबले हजारों गुना ज्यादा fast होती है. यहाँ आज इस article में हम सुपर कंप्यूटर किसे कहते हैं, ये काम कैसे करता है और इसके क्या advantages हैं बाकि traditional computer के तुलना में के विषय में जानेंगे. तो चलिए बिना देरी किये शुरू करते हैं और सुपर कंप्यूटर क्या होता है के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं.

सुपर कंप्यूटर क्या है (What is Supercomputer?

सुपर कंप्यूटर क्या है, ये जानने से पहले यदि हम ये जान लें की computer क्या है तब हमें इसे समझने में थोड़ी आसानी होगी. एक computer की बात करें तब ये एक general-purpose machine होता है जो की information (data) लेता है input process के माध्यम से, उन्हें store करता है और फिर उन्हें जरुरत अनुसार process भी करता है, और finally कुछ प्रकार की output पैदा करता है.

वहीँ अगर में एक supercomputer की बात करूँ तब ये न केवल ज्यादा fast और एक बहुत ही बड़ा computer है : बल्कि ये पूरी तरह से अलग ही काम करता है, ये typically parallel processing का इस्तमाल करता है serial processing के स्थान पर जैसे की एक ordinary computer में इस्तमाल होता है. इसलिए ये एक समय पर एक काम करने के स्थान पर multiple काम को एक समय में करता है.

एक supercomputer ऐसा computer होता है जो की currently सबसे highest operational rate में perform करता है. इसे हिंदी में महासंगणक कहा जता है. आखिर सूपरकंप्यूटर कहा use होता है? Traditionally देखें तो, supercomputers का ज्यादातर इस्तमाल scientific और engineering applications करने के लिए होता है जिससे ये large databases को handle कर सकें और साथ ही बड़े मात्रा में computational operation कर सकें. Performance wise यह normal computers से हजारों गुना fast और accurate काम करता है.

Supercomputer की performance को measured किया जाता है FLOPS में, जिसका मतलब है की floating-point operations per second. इसलिए जिस computer में जितनी ज्यादा FLOPS होगी वो उतना ही ज्यादा powerful होगा.

Serial और Parallel Processing क्या है?

चलिए जानते हैं Serial और Parallel Processing में क्या अंतर होता है? एक ordinary computer में एक समय में एक ही काम किया जाता है, मतलब की एक काम के ख़त्म होने के बाद ही दुसरा काम process किया जाता है, ऐसे processing को Serial Processing कहा जाता है.

उदाहरण के लिए एक आदमी किसी retail mall के grocery checkout में बैठा हुआ है और conveyor belt में जो भी सामान आता है उसे pick कर वो scanner से scan कर customer के bag में pass करता है, ये काम को एक distinct series of operation में करता है इसलिए इसे series processing कहा जाता है. यहाँ पर आप चाहे तो कितनी भी जल्दी conveyor belt में चीज़ें रख लें या चीज़ें scan के बाद अपने bag में भर लें लेकिन इस process की speed उस operator की scanning speed या processing के ऊपर निर्भर करता है, और जो की हमेशा एक item एक समय में होता है. इसका सबसे अच्छा example है Turing machine.

वहीँ एक typical modern supercomputer बहुत ही speed से काम करता है जिसके लिए वो problem को छोटे छोटे टुकड़ों में split कर देता है और एक समय में एक ही piece में काम करता है. इसलिए इस process को parallel processing कहा जाता है.

अगर वहीँ grocery checkout में बहुत सारे दोस्त items को आपस में बाँट लें और अलग अलग counter में एक साथ checkout करें और बाद में सभी चीज़ों को एक ही जगह में इकठ्ठा करें तब इससे काम बहुत ही जल्द हो जायेगा और ज्यादा समय भी नहीं लगेगा. चूँकि यहाँ पर काम को बाँट दिया गया इससे processing करने में ज्यादा समय नहीं लगा. इसलिए ही Parallel Processing बहुत ही ज्यादा fast होता है Serial Processing के मुकाबले.

सबसे बड़े और powerful supercomputers parallel processing का इस्तमाल करते हैं. इससे वो कोई भी process को fast और कम समय में कर सकते हैं. जब बात बड़े और complex काम की आती है जैसे की weather forecasting (मौसम का अनुमान), gene synthesis, mathematical modeling इत्यादि तब हमें सही तोर में computing power की जरुरत होती है. ऐसे में Supercomputer को parallel processing ही ज्यादा काम आती है. Generally, बात करें तब मुख्य रूप से दो parallel processing approaches हैं : Symmetric multiprocessing (SMP) और Massively parallel processing (MPP).

Clusters क्या है?

आप चाहें तो एक supercomputer बना सकते हैं जिसके लिए आपको एक giant box में बहुत सारे processors को रखना होगा और उन्हें को complex problem को solve करने के लिए instruct करना होगा जिसके लिए वो parallel processing का इस्तमाल कर सकते हैं.

या एक दूसरा तरीका भी है जिसमें की आपको बहुत सारे off-the-self PCs को खरीदना होगा और उन्हें एक ही room में रखना होगा, इसके साथ उन्हें एक दुसरे के साथ interconnect करना होगा एक fast local area network (LAN) के मदद से जिससे की वो broadly उसी समान रूप से काम करेंगी. इस प्रकार के supercomputer को Cluster कहा जाता है. Google अपने users के web searches के लिए इन cluster supercomputer का इस्तमाल करता है अपने data centers में.

Grid क्या है?

Grid भी एक supercomputer होता है जो की बहुत ही similar होता है एक cluster (जो की separate computers के एक समूह) के जैसे, लेकिन इसमें computers अलग अलग स्थान में होते हैं एक दुसरे के साथ Internet (या कोई दूसरा computer network) के जरिये connected होते हैं. इस प्रकार के computing को distributed computing भी कहा जाता है, जिसमें की computer की power को multiple locations में spread किया जाता है एक single place (centralized computing) के बदले में.

उदाहरण के लिए CERN Worldwide LHC Computing Grid, जिसमें की LHC (Large Hadron Collider) particle accelerator से आया हुआ data को एक जगह में assemble किया जाता है, इसमें grid supercomputer का इस्तमाल हुआ है.

Grids Supercomputer में ज्यादा failure होने के chances कम होते हैं, चूँकि सभी computers एक दुसरे के साथ connected रहते हैं इसलिए इनसे parallel processing से होने वाले समस्यों से निजात मिल जाता है, जहाँ break up होना एक आम बात होता है.

Supercomputers में कोन सा Operating System इस्तमाल होता है?

आपको ये जानकर आश्चर्य हो सकता है की supercomputers को run करने के लिए ordinary operating systems का ही इस्तमाल होता है जिसे हम अपने PC को चलाते हैं, लेकिन ये हम जानते ही हैं की ज्यादा modern supercomputer actual में off-the-self comouters और workstations के cluster होते हैं.

कुछ वर्षों पहले तक operating system के हिसाब से Unix का इस्तमाल किया जाता था वहीँ अभी उसके बदले में Linux का इस्तमाल होता है. जो की open-source होता है. चूँकि supercomputers generally scientific problems के ऊपर काम करते हैं, इसलिए उनके application programs को traditional scientific programming languages जैसे की Fortran, या ज्यादा popular modern languages जैसे की C और C++ में लिखा जाता है.

Supercomputers कितने powerful होते हैं?

अगर हम normal computers की बात करें तब उनके computing speed को मापने के लिए MIPS (million instructions per second) का इस्तमाल किया जाता है. जिसके द्वारा fundamental programming commands जैसे की read, write, store इत्यादि को processor के द्वारा manage किया जाता है. दो computers को compare करने के लिए उनके MIPS को compare किया जाता है.

लेकिन वहीँ Supercomputers को rate करने का तरीका थोडा अलग होता है. चूँकि इसमें ज्यादातर scientific calculations किये जाते हैं, इसलिए इन्हें floating point operations per second (FLOPS) के द्वारा मापा जाता है. चलिए इसी FLOPS के अनुसार बनाये गए list को देखते हैं.

UnitFLOPSExampleDecade
Hundred FLOPS100 = 10 power 2Eniac~1940s
KFLOPS (kiloflops)1 000 = 10 power3IBM 704~1950s
MFLOPS (megaflops)1 000 000 = 10 power 6CDC 6600~1960s
GFLOPS (gigaflops)1 000 000 000 = 10 power 9Cray-2~1980s
TFLOPS (teraflops)1 000 000 000 000 = 10 power 12ASCI Red~1990s
PFLOPS (petaflops)1 000 000 000 000 000 = 10 power 15Jaguar~2010s
EFLOPS (exaflops)1 000 000 000 000 000 000 = 10 power 18?????~2020s

विश्व का पहला सुपर कंप्यूटर कब बना और किसने बनाया

यदि आप Computers के इतिहास का अध्यान करेंगे तब आप पाएंगे की किसी एक individual का इसमें योगदान नहीं है बल्कि बहुत से लोगों ने अपने योगदान समय समय पर दिया है. कहीं तब जाकर हमें ऐसे amazing machines देखने को मिला. लेकिन जहाँ बात SuperComputer की आती है तब इसका एक बहुत बड़ा श्रेय Seymour Cray (1925–1996) को जाता है. क्यूंकि उनका योगदान Supercomputer में सबसे ज्यादा है. इन्हें आप सुपर कम्प्यूटर के जनक भी कह सकते है.

946: John Mauchly और J. Presper Eckert ने construct किया था ENIAC (Electronic Numerical Integrator And Computer), University of Pennsylvania में. ये पहला general-purpose, electronic computer था, ये करीब 25m (80 feet) long और करीब 30 tons इसकी weight थी. इसे military-scientific problems को operate करने के लिए बनाया गया था और ये सबसे पहला scientific supercomputer था.

1953: IBM ने सबसे पहला general-purpose mainframe computer develop किया, जिसका नाम था IBM 701 (जिसे Defense Calculator के नाम से भी जाना जाता था), और करीब 20 machines को अलग अलग government और military agencies को बेचा गया. ये 701 सबसे पहला off-the-shelf supercomputer था. उसके बाद IBM के एक engineer Gene Amdahl ने बाद में इसे redesign किया और इसके upgraded version का नाम IBM 704 रखा गया, यह एक ऐसा machine जो की करीब 5 KFLOPS (5000 FLOPS) की computing speed थी.

1956: IBM ने फिर Stretch supercomputer को develop किया Los Alamos National Laboratory के लिए. ये करीब 10 वर्षों के लिए दुनिया का सबसे fastest supercomputer रहा.

1957: Seymour Cray ने इस वर्ष co-found किया Control Data Corporation (CDC) और जिन्होंने pioneer किया fast, transistorized, high-performance computers बनाने में जिसमें CDC 1604 (announced 1958) और 6600 (released 1964) मुख्य थे, जिन्होंने seriously challenge किया IBM के dominance पर mainframe computing के ऊपर.

1972: Cray ने Control Data को छोड़कर खुद की Cray Research की स्थापना की और high-end computers— जो की पहला true supercomputer था बनाया. इनका main idea था की कैसे machine के अन्दर के connections को कम किया जा सके जिससे machines की speed को बढाया जा सके. पहले के Cray computers अक्सर C-shaped हुआ करते थे, जिससे इन्हें औरों से अलग रखा जा सके.

1976: पहला Cray-1 supercomputer को install किया गया Los Alamos National Laboratory में. इसकी तब speed थी करीब 160 MFLOPS.

1979: Cray ने फिर develop किया पहले से भी faster model, जिसमें eight-processor होते थे, 1.9 GFLOP Cray-2. इसमें wire connections को पहले के मुकाबले 120 cm से घटाकर 41cm (16 inches) तक लाया गया.

1983: Thinking Machines Corporation ने फिर massively parallel Connection Machine को manufacture किया, जिसमें की करीब 64,000 parallel processors का इस्तमाल हुआ था.

1989: Seymour Cray फिर एक नयी company की स्थापना की Cray Computer, जहाँ उन्होंने Cray-3 और Cray-4 को develop किया.

1990: Defense spending में cut होने के वजह से और powerful RISC workstations के evolve हो जाने से, companies जैसे की Silicon Graphics के द्वारा, ये supercomputer makers के ऊपर एक serious threat बना रही थी.

1993: Fujitsu Numerical Wind Tunnel ने दुनिया का सबसे fastest computer बनाया 166 vector processors के इस्तमाल से.

1994: Thinking Machines ने bankruptcy protection के लिए case file किया.

1995: Cray Computer भी financial difficulties से डूबने लगा इसलिए उन्होंने bankruptcy protection की case file की. साथ में अचानक ही Seymour Cray की एक road accident में मौत हो गयी October 5, 1996 में.

1996: Cray Research (Cray’s original company) को Silicon Graphics के द्वारा purchase कर लिया गया.

1997: ASCI Red, एक supercomputer जिसे की Pentium processors से बनाया गया Intel और Sandia National Laboratories के द्वारा, ये बना दुनिया का सबसे पहला teraflop (TFLOP) supercomputer.

1997: IBM’s Deep Blue supercomputer ने Gary Kasparov को chess के game में मात दी.

2008: Jaguar supercomputer जिसे की Cray Research और Oak Ridge National Laboratory के द्वारा बनाया गया वो दुनिया का सबसे पहला petaflop (PFLOP) scientific supercomputer बना. जिन्हें की बाद में Japan और China के machines ने पछाड़ दिया.

2011–2013: Jaguar को extensively (और expensively) upgrade किया गया, और उसका नाम Titan रखा गया, और बाद में ये दुनिया का सबसे fastest supercomputer बना जिसे की बाद में Chinese machine Tianhe-2 ने निचे किया.

2014: Mont-Blanc, एक European consortium, जिन्होंने ये announce किया की वो एक ऐसा exaflop (1018 FLOP) supercomputer बनाने वाले हैं energy efficient smartphone और tablet processors से.

2017: Chinese scientists ने announce किया की वो एक exaflop supercomputer की prototype बना रहे हैं, जो की Tianhe-2 के ऊपर based है.

2018: China अभी के समय में fastest supercomputers की race में सबसे आगे हैं, उनके द्वारा बनायीं गे Sunway TaihuLight अभी पूरी दुनिया में सबसे तेज चलने वाली Supercomputer है.

दुनिया के Top 5 Fastest Supercomputers कोन से है?

सभी देशों में computing power को लेकर काफी competition होती है, की कोन सबसे आगे हो सके लेकिन top का स्थान तो एक ही होता है. Supercomputing में Peak performance हमेशा बदलता रहता है. यहाँ तक की supercomputer के definition में भी लिखा हुआ है की यह एक ऐसा machine होता है “ जो की हमेशा अपने highest operational rate में ही कार्य करता है.”

Competition के होने से ये supercomputing को और ज्यादा रोचक बनाती है, जिससे scientists और engineers हमेशा बेहतर से बेहतर computational speed के ऊपर अपनी research जारी रखते हैं. तो चलिए जानते हैं दुनिया के top 5 supercomputers कोन कोन से हैं.

1. Sunway TaihuLight (China)
2. Tianhe-2 (China)
3. Piz Daint (Switzerland)
4. Gyoukou (Japan)
5. Titan (United States)

भारत के सुपर कंप्यूटर का नाम

क्या आप जानते है भारत के प्रथम सूपरकंप्यूटर परम 8000 का शुभारंभ कब हुआ? 1991 में India में इसे आरम्भ किया गया था. हमारा देश भारत में भी कुछ supercomputers है. चलिए भारत के सुपर कंप्यूटर का नाम जानते है.

  1. SahasraT (Cray XC40)
  2. Aaditya (IBM/Lenovo System)
  3. TIFR Colour Boson
  4. IIT Delhi HPC
  5. Param Yuva 2

Conclusion

मुझे आशा है की मैंने आप लोगों को सुपर कंप्यूटर क्या है (What is Supercomputer?) के बारे में पूरी जानकारी दी और में आशा करता हूँ आप लोगों को Supercomputer क्या है के बारे में समझ आ गया होगा. यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं.

मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

अप्रैल 06, 2021

Robot क्या है और कैसे काम करता है?

आज की पोस्ट बहुत ख़ास है क्यों की आज हम अनोखा technology के बारे में बात करने वाले है, रोबोट क्या है ( what is Robot? ) और ये कैसे काम करता है? और ये भी जानेंगे के ये कितने तरह के होते है.

इस तरह के सवाल अक्सर लोग किया करते है. कुछ तो ये भी जानना चाहते हैं की क्या ये सचमुच इंसान की तरह काम कर सकते हैं? फिल्मों में तो रोबोट को बहुत एडवांस रूप में दिखाया जा चूका है. तो क्या अभी उस तरह के रोबोट वैज्ञानिको ने बना लिया है?

सायद ऐसा कोई होगा जो के robots के बारे में सुना नहीं होगा. लग भाग हर ब्यक्ति इसके बारे में कहीं ना कहीं से सुने है, पर बहुत कम होंगे जो इसके बारे में ज्ञान रखते है.

रोबोट क्या है (What is Robot?)

Robot एक तरह की मशीन है जो खास तौर पर कंप्यूटर के द्वारा डाले गए प्रोग्राम या निर्देशों के आधार पर काम करता है. यह कई मुश्किल भरे कामों को सरलता से अपने आप करने में सक्षम होता है.

रोबोट मैकेनिकल , सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग के मिश्रण से मिलकर बना हुआ होता है. इसमें सभी का रोल लगभग एक समान ही होता है.
{Definition of Robot }
" रोबोट एक मशीन है जो इस तरह से निर्मित होता है की एक से ज्यादा कामों को खुद ही एक गति और शुद्धता के साथ पूरा कर सकते हैं."

कुछ रोबोट को नियंत्रित करने के लिए external control डिवाइस का प्रयोग किया जाता है और बहुत से रोबोट में नियंत्रण करने के लिए उसके अंदर ही control डिवाइस लगा हुआ रहता है.

इनका का shape और size से कोई लेना देना नहीं होता है. जो मनुष्य के जैसा हूबहू दीखता है उसी को रोबोट बोलते हैं ये बात बिलकुल गलत है. ये किसी भी रूप का हो सकता है. ये उसके काम पर निर्भर करता है.

क्यों की वैज्ञानिक जैसा काम लेना होता है उसी आकृति में बनाते हैं. अगर इंसान जैसे दिखने वाले रोबोट ही बनाये जाये तो फिर वो इंसानो जैसे ही काम करेंगे ना?

जबकि ये तो बहुत बड़े बड़े आकर के भी बनाये जाते हैं जो heavy इंजीनियरिंग यानि बड़े आकर के मशीन को बनाने के लिए काम में लाये जाते हैं.

उदाहरण

उदाहरण के लिए मैं खुद की कंपनी के बारे में बताता हूँ जहाँ की मैं जॉब करता हूँ. मेरी कंपनी एक ऑटोमोबाइल कंपनी है यहाँ 2 wheelers और 4 wheelers के body parts बनते हैं.

बड़े और छोटे पार्ट्स को वेल्डिंग करके बड़ी assemly बनायीं जाती है जो आप car में देखते हो। वो कई छोटे बड़े पार्ट्स से मिलकर बना हुआ होता। इन छोटे-बड़े पार्ट्स को कौन जोड़कर बड़े पार्ट्स में बदलते हैं ?

जी हाँ सही सोचा आपने ! रोबोट।

तो आप ये तो समझ गए होंगे की रोबोट सिर्फ इंसानो जैसे आकृति वाले मशीन को ही नहीं बल्कि बड़े बड़े स्वचालित मशीन को भी रोबोट ही बोलते हैं.तो चलिए अब बात करते हैं की आखिर ये काम कैसे करते हैं.

रोबोट कैसे काम करता है ?(How does a Robot Work?)

रोबोट का मतलब क्या है ये तो आपको समझ आ गया होगा. रोबोट में हर तरह के काम करने के लिए अलग अलग मशीन लगायी जाती है. इसमें 5 मुख्य पार्ट्स होते हैं इसको काम करवाने के लिए.

  • Structure Body
  • Sensor System
  • Muscle System
  • Power Source
  • Brain System

किसी भी रोबोट में हरकत करने वाले physical structure होते हैं. जिसमे की एक तरह का मोटर, sensor system, power देने लिए source, computer brain होता है जो की पुरे बॉडी को नियंत्रित करता हैं.

Robots piston का प्रयोग करते हैं जो की उन्हें अलग अलग दिशाओं में चलने में मदद करते हैं. इसके brain में प्रोग्राम बना कर डाला हुआ होता है. उसी के अनुसार robot brain, body को संचालित करता है.

ये लिखे हुए प्रोग्राम के आधार पर ही काम करता है और चलता है. दूसरी काम करने के लिए प्रोग्राम को फिर से लिखकर बदला जाता है.

सभी रोबोट्स में sensor नहीं होता है. किसी robot में तो सुनने , सूंघने के लिए भी सेंसर लगा हुआ रहता है.

रोबोट कितने तरह के होते है (Types of Robot in Hindi )

अभी तक आप समझ ही गए होंगे की रोबोट क्या है और अब जानेंगे की रोबोट कितने प्रकार के होते है. वैसे तो ये बहुत तरह के होते हैं लेकिन उनको उनके काम के आधार पर और उनकी तकनीक के आधार पर अलग अलग भागों में बांटा जाता है.

सबसे पहले मैकेनिज्म यानि यांत्रिकी के आधार पर प्रयोग होने वाले रोबोट के बारे में जानते हैं.

  • Stationary
  • Legged
  • Wheeled
  • Swimming
  • Flying
  • Swarm
  • Mobile spherical
  • Stationary Robots

इस तरह के रोबोट्स एक ही जगह फिक्स्ड किये हुए होते हैं. ये अपना सारा काम एक ही जगह पर करते हैं. इनकी पोजीशन और मूवमेंट की दिशा फिक्स की हुई होती है और बस उसी स्थिति में उन्हें काम करने के लिए बनाया जाता है.

जैसे वेल्डिंग, ड्रिलिंग,और ग्रिप्पिंग के काम करने वाले रोबोट्स स्टेशनरी रोबोट्स होते हैं. तो चलिए जानते है रोबोट का उपयोग.

Legged Robots

रोबोट की दुनिया में जब wheeled रोबोट्स की पकड़ काफी मजबूत गई तब वैज्ञानिको ने इसकी जगह इससे भी अच्छा विकल्प बनाने के लिए काफी मेहनत किया जिससे की इसकी कुछ सीमायें होती हैं वो ख़तम हो जाये। जैसे wheeled रोबोट को काम करना है तो वो सिर्फ समतल सतह में ही काम कर सकता है.

Wheel रोबोट सीढियाँ नहीं चढ़ सकता है लेकिन अगर उसमे पैर लगा दिए जाएँ जरूर चढ़ जायेगा। किसी मशीन में पैर लगा के उससे काम करवाना काफी है. लेकिन जिस तरह इंसान के एक बचे को चलना सिखने 1 – 2 साल लग जाता है तो फिर क्या एक रोबोट के पैर लगाकर उससे चलवाया जा सकता है?

जी हाँ ये भी संभव हो चूका है. बहुत से ऐसे रोबोट्स हैं जो चलने भी लगे हैं.

इस तरह के रोबोट्स किसी भी वातावरण में और उबड़ खाबड़ सतह में चल सकने में सक्षम होते हैं.

Wheeled Robots

Wheeled रोबोट्स वैसे रोबोट्स जो सतह पर व्हील्स के सहारे चलते हैं. इस तरह के रोबोट्स का को बनाना , प्रोग्रामिंग करना और डिज़ाइन आसान होता है leged तुलना में। लेकिन ये सिर्फ समतल सतह पर चल सकते हैं.

Swimming Robots

रोबोट fish एक पानी में swim करने वाला रोबोट है. जिसकी आकृति और तैरने का तरीका एक मछली के जैसा ही होता है. 1989 में पहले MIT यूनिवर्सिटी द्वारा Swimming रोबोट्स के ऊपर रिसर्च को सबके सामने लाया था.

Flying Robots

Flying रोबोट्स ऐसे रोबोट्स हैं जो उड़ने में सक्षम होते हैं. इसमें छोटे आकार और बिना मानव वाले रोबोट्स भी होते हैं जो की कई सारे काम कर सकते हैं. इस तरह के रोबोट्स search और rescue मिशन में काम आते हैं. ये किसी भी प्राकृतिक विपदा में फंसे लोगों की तलाश भूमि के बड़े क्षेत्रों में आसानी से कर सकता है.

Swarm Robots

छोटे छोटे रोबोट्स मिलकर जब एक बड़े सिस्टम काम करते हैं तो इसे swarm रोबोट्स बोला जाता है. बहुत सारे रोबोट्स की जो काम करने की क्षमता होती है वो वो इनके आपस और पर्यावरण के साथ इंटरएक्शन के आधार पर होती है.

Mobile Spherical Robots

Spherical रोबोट्स को Mobile Spherical रोबोट्स कहा जाता है. ये सतह पर रोल कर के या लुढ़क कर मूव करते हैं.

अब चलिए जानते हैं की काम करने के आधार पर रोबोट्स कितने तरह के होते हों.

Domestic Robots

वैसे रोबोट्स जो घर के अंदर इस्तेमाल किये जाते हैं. जैसे vacuum cleaners, sweepers, gutter cleaners, etc.

Medical Robots

Medical की दुनिया में इनका इस्तेमाल बहुत अहम् हो चूका है. एक से एक रोबोट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. आजकल तो रोबोट की मदद से डॉक्टर कृत्रिम रोबोटिक्स हाथों का इस्तेमाल कर के ऑपेरशन भी कर रहे हैं .

और मेडिकल की दुनिया में ये एक क्रांति के रूप में उभरा है क्यों की डॉक्टर दूर रहकर भी लोगों के जान बचा लेते हैं.

Military Robots

Military में उसे किये जाने वाले रोबोट्स काफी मददगार होते हैं। ये सुरक्षा के लिए भी काम में लाये जाते हैं। ये ऐसी जगहों में आसानी से जा सकते हैं जहाँ इंसानो का जाना मुश्किल होता है. ये किसी भी एरिया में जाकर दुश्मनो का ठिकाना ढूंढने में कारगर होते हैं.

Space Robots

International स्पेस स्टेशन में बहुत सारे काम रोबोट्स के सहारे ही किया जाता है. मंगल गृह में भी Rover नामक रोबोट को ही भेजा गया है.

Industrial Robots

आज दुनिया के हर हिस्से में आम ज़िन्दगी में इंसानो द्वारा जरुरत की इस्तेमाल होने वाली चीज़ों को बनाया जाता है. हर तरह की खाने की चीज़ें, पहनने के लिए कपडे, गाडी जैसी बहुत सी चीज़ें हैं जो बनायीं जाती हैं इंडसट्रीज़ में. और इन इंडस्ट्रीज में भी रोबोट्स का ही प्रयोग किया जाता है.

अब आप अलग अलग प्रकार के रोबोट के बारे में तो जान चुके हैं.

दुनिया में अलग अलग तरह के उपयोग के आधार पर रोबोट बन चुके हैं. अभी हाल ही में cheetah नामक रोबोट के तीसरे संस्करण को बनाकर दुनिया के सामने लाया गया है. ये बिलकुल चीते के समान ही तेज़ है और ये उछलने , कूदने और हर तरह के चलने और दौड़ने में माहिर है. ये जानवर के जैसे रोबोट में सबसे विकसित रोबोट में से एक है.

इंसान की तरह दिखने वाले रोबोट में भी काफी विकसित रूप बनाये जा चुके हैं,जो बिलकुल इंसानो की तरह दिखने के साथ ही चलने, उठने ,बैठने और काम करने में माहिर होते हैं. यहाँ तक की Honda द्वारा बनाया गया ASIMO फुटबॉल को लात भी मारने में माहिर है.

आज आपने क्या सीखा

तो दोस्तों आज आप रोबोट क्या है ( what is Robot) से जुड़ी बहुत सारी जानकारी जान चुके हैं अगर आपके मन में किसी भी तरह का सवाल हो तो आप पूछ सकते हैं. और अगर ये पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करे. 

:धन्यवाद:

सोमवार, 5 अप्रैल 2021

अप्रैल 05, 2021

QR Code क्या है, कैसे बनाये और कैसे Scan करे?

क्या आपको पता है QR Code क्या है (What is QR code?) और ये कैसे काम करता है ? मुझे लगता है की आप सभी ने कभी न कभी QR codes को कहीं न नहीं जरुर देखा होगा. छोटे square shaped boxes जिसमे की कुछ अजीब सा pattern बना होता है.

आपके मन में भी ये जरुर आया होगा की आखिर ये है क्या और इसे क्यूँ इस्तमाल किया जाता है. इन्हें आप लोगों ने Advertisement, Billboards या किसी Products के ऊपर जरुर देखा होगा. लेकिन शायद ही किसी को इसे Scan करते हुए देखा होगा.

इस code के पीछे कुछ URL embedded होता है जिसे की हम यदि अपने Smartphones से स्कैन करें तो हमें मालूम चलेगा अन्यथा ये छुपा रहता है. जैसे ही हम उस code को scan करते हैं तो वो हमें किसी एक website के URL में redirect कर देती है. इसी कारण ही उसे बनाया गया है.

वैसे तो बहुत से Internet schemes ऐसे आये और गए लेकिन कोई चीज़ जो सालों से चल रही है वो है यह QR code या Quick Response Code. तो आज हम इस article में ये जानेगे की आकिर ये QR Code क्या होता है और ये कैसे काम करता है. इसी के बारे में आज हम पूरी details में जानेंगे. तो फिर देरी किस बात की चलिए शुरू करते हैं.

QR Code क्या है (What is QR Code?)

QR Code का full form है “Quick Response code”. ये दिखने में Square Barcode के तरह ही हैं जिसे सबसे पहले Japan में develop किया गया था. ये दिखने में traditional UPC barcodes से बिलकुल है जो की horizontal lines की तरह हैं.

लेकिन ये ज्यादा attractive हैं और इसमें ज्यादा information भी store किया जा सकता है. इसके साथ साथ इस बड़ी आसानी से capture किया जा सकता है.

इसकी दूसरी परिभाषा दी जाये तो ये Machine Readable labels होते हैं जिसे computer बड़ी आसानी से समझ सकता है किसी text को समझने के मुकाबले.

QR codes का इस्तमाल हर जगह होता है जैसे की किसी Product को ट्रैक करने में या उसे identify करने में. यूँ कहे तो ये typical barcode का upgraded version है.

ये अपने आपको किस ऐसी technology में कैद नहीं रख लिया है की इसे केवल warehouse में product को track करने में ही इस्तमाल कर सकें.

बल्कि इसका इस्तमाल काफी बढ़ गया है जैसे आजकल इसे हम Advertisement, billboard और business window में भी देख सकते हैं. यहाँ तक की इसका इस्तमाल कुछ websites भी कर रहे हैं.

ये इतना important क्यूँ है

आपको थोडा बहुत idea तो हो गया होगा के QR Code क्या है (What is QR Code in Hindi). अगर आपने पहले कभी QR Code के बारे में नहीं सुना तब शायद आप अपना सर पे ज्यादा दवाब दे रहे होंगे.

जो लोग Internet से पहले से जुड चुके हैं उन्हें शायद इनके बारे में पहले से पता हो की ये Sqare Shaped Barcode क्या है. ये दिखने में भले ही थोडा odd लग रहा हो लेकिन ये इसके बारे में छोटे Business Owner और enterprenure को जरुर पता होना चाहिए.

इसे हम क्यूआर कोड का extention भी कह सकते हैं जिसे mid 1970 से इस्तमाल में लाया जा रहा है. पहले इसे Supermarket के grocerries में इस्तमाल किया जाता था चीज़ों तो track करने के लिए. लेकिन हम इसका इस्तमाल सभी बड़े और छोटे company अपने sales और productivity को बढ़ाने के लिए करते हैं.

हमारे जैसे consumer की बात करें तो QR Codes की मदद से हम बड़ी आसानी से अपने SmartPhones को इस्तमाल कर कुछ action जल्दी से कर सकते हैं.

NFC (Near Field Communication) की तरह इसमें कोई Fancy electronic नहीं लगी है या इसमें कोई special technology का इस्तमाल भी नहीं हो रहा है.

ये तो बस एक grid हैं white और black का जिसे किसी paper में print किया गया होता है और इसे बड़ी आसानी से phone की कैमरा में कैद किया जा सकता है.

QR Code को scanner app की मदद से पहले capture किया जाता है, फिर वो app उस कोड को किसी valuable information में बदल देता है. जिसे की हम समझ सकते हैं.

उदाहरण के तोर पे अगर किस advertising board में आपने कोई क्यूआर कोड देखा और उसे आपने स्कैन कर लिए तब वो आपको किसी website में ले गया, इसका मतलब है की उस QR Code में किस website का URL embeded था. इसी तरह ही काम करता है QR Code.

QR Code और 1D UPC Barcode में क्या अंतर है

वैसे देखा जाये तो इनकी apperance में भी काफी फरक है. एक दिखने में खाली verical lines तो दूसरा किसी Squared box की तरह. अगर हम scanning की बात करें तो QR Code को किसी भी direction से स्कैन कर सकते है (vertically और horizontally) लेकिन Barcode को हम एक ही direction से स्कैन कर सकते है.

1D Barcode(UPC) में 30 numbers तक store हो सकता है लेकिन क्यूआर कोड में हम 7089 numbers तक store कर सकते हैं.

इसी massive storage capacity के कारण ही इसमें videos और बड़े Files को बड़ी आसानी से store किया जा सकता है. जिसे बाद में Facebook और Twitter जैसे Social Networking Sites में इस्तमाल किया जाता है.

Smartphone से QR Code कैसे Scan करे?

यदि आपके पास कोई SmartPhone है भले ही वो iPhone, Android या Blackberry तो आप भी इसका इस्तमाल करके कोई QR Code scan कर सकते हो. इसके लिए बस आपको कोई Barcode Scanner App download करना पड़ेगा जैसे Red laser, Barcode Scanner, QR Scanner जिनकी मदद से आप कोई भी QR Code बड़ी आसानी से decode कर सकते हैं. ये सारे App अक्सर Free होते हैं.

बस आपको इसे install करके अपने फ़ोन के camera से उस code को scan करना होता है और वो automatically उस कोड को decode कर लेता है.

QR Code में क्या Store हो सकता है?

इसे बड़ी आसान सी भाषा में बोलें तो QR Code ‘image-based hypertext link’ जिसका इस्तमाल हम offline mode में भी कर सकते हैं. इसमें हम कोई भी URL को encode कर सकते हैं जिससे की अगर कोई QR Code को Scan करे तो वो website आराम से खुल सकता है.

उदहारण के तोर पे अगर आप चाहते हैं की कोई आपके facebook page को like करे तब आप अपने facebook page का URL उस QR कोड में दे सकते है जिससे की कोई अगर उसे scan करना चाहे तो वो redirect होकर आपके Facebook पेज में ही जायेगा.

वैसे की अगर आप कोई video को वायरल करना चाहते हैं तो उसकी URL को उस QR code में store कर दो. इसका इस्तमाल असीमित है. वैसे ही आप किसी के मोबाइल number के साथ भी कर सकते हैं.

किसने QR Code का आविष्कार किया?

Denso-Wave जो की एक subsidiary company है Toyota Group के उन्होंने ही सबसे पहले QR Code का आविष्कार किया सन 1994 में.

Originally इसे डिजाईन किया गया था उस company के विभिन्न पार्ट्स को track करने के लिए, लेकिन समय के साथ साथ इसका इस्तमाल भी काफी बढ़ गया स कारण इसे commercialize करना पड़ा.

QR Code के Business में क्या फ़ायदे है

किसी भी conventional Barcode के मुकाबले ये बहुत ही ज्यादा फ़ायदे हैं. इसका सबसे महत्वपूर्ण फ़ायदा यह है की इसमें हम 100 गुना ज्यादा information store कर सकता हैं किसी Barcode के मुकाबले.

क्यूआर कोड को हम किसी भी direction से scan कर सकते हैं जो की barcode में possible नहीं है. इसकी next advantage यह है की ये marketing point of view से काफी रोचक है जिससे की ये Costumers को बड़ी आसानी से engage कर सकता है. जिससे कंपनी को बहुत ही कम investment में अच्छी marketting हो जाती है.

एक QR Code reader को बड़ी आसानी से download कर इस्तमाल किया जा सकता है जो की एकदम मुफ्त है. वैसे ही कोई भी customer किसी business में बड़ी आसानी से सिर्फ अपने SmartPhone की मदद से enter कर सकता है.

ऐसी बहुत सी Websites हैं जो की मुफ्त में QR Code generate करने का अवसर देती है. इसलिए company अपने जरुरत के अनुसार ही अपने option choose करती हैं.

QR Code के Applications

चलिए अब देखते हैं की हम कहाँ कहाँ QR Codes का इस्तमाल Business related scenarios में कर सकते हैं.

  • QR Code को हम अपने किसी specific website के URL में redirect कर सकते हैं.
  • इसका इस्तमाल हम messages को share करने में भी कर सकते हैं.
  • इसका इस्तमाल हम discount code के तोर पे भी कर सकते हैं.
  • इसे हम business card के तोर पे इस्तमाल कर सकते हैं जिसमे की हमारी साडी जानकारी पहले से embedded होगी.
  • इसे हम हमरे नए location को Google Maps location के साथ link भी कर सकते हैं.
  • इससे हम कोइ YouTube video or channel को लिंक भी करवा सकते हैं जिससे की उसके viral होने के chances बढ़ जाते हैं. और इसमें हम अपने नए products को Promote भी कर सकते हैं.
  • इसे आप अपने नए App के लिंक को जोड़ भी सकते हैं ताकि लोग आपके App का इस्तमाल कर सके.
    इसमें किस वस्तु की कीमत की जानकरी भी Attach कर सकते हैं ताकि कोई इसे स्कैन कर वो information प्राप्त कर सकता है.
  • इसे आप अपने Website के Contact Page में भी डाल सकते हैं जिससे की कोई इसे scan कर के आपकी website की पूरी जानकारी अपने phone में save कर सकता है.

अभी तक तो आप समझ ही चुके होंगे की QR Code की मदद से हम कई काम कर सकते हैं. बड़ी आसानी से बहुत सरे customers को engage कर सकते हैं.

इसे हम मोबाइल में log in करने के लिए भी इस्तमाल कर सकते हैं जिससे हमें बार बार password enter करने की भी जरुरत नहीं है.

ये बहुत ही low Tech solution है जिसे की किसी भी device में इस्तमाल किया जा सकता है (बस camera होना चाहिए). ये इसके पूर्वज Barcode से लाखों गुना बेहतर हैं इस्तमाल के लिए.

Disadvantage of QR Code

इतने सब advantages होने के वाबजूद इसके कुछ disadvantage भी हैं जैसे की कुछ security problem की issue. इसे बड़ी आसानी से बदला जा सकता है या यूँ कहे तो इसमें dangerous चीज़ें डाली जा सकती है.

उदहारण के तोर पे यदि कोई attacker चाहे तो कोई ऐसी QR Code पर अपने किसी malicious URL को डाल सकता है और उसे किसी ऐसी जगह fix कर देगा जहाँ की बहुत ही ज्यादा traffic आती जाती हों. इससे वो किसी के भी Mobile में घुस सकता है. जिससे उस user को काफी खतरा है.

आज आपने क्या सीखा

मुझे पूर्ण आशा है की मैंने आप लोगों को QR Code क्या है और QR Code कैसे बनाये में पूरी जानकारी दी और में आशा करता हूँ आप लोगों को इस technology के बारे में समझ आ गया होगा.

मेरा आप सभी पाठकों से गुजारिस है की आप लोग भी इस जानकारी को अपने आस-पड़ोस, रिश्तेदारों, अपने मित्रों में Share करें, जिससे की हमारे बिच जागरूकता होगी और इससे सबको बहुत लाभ होगा. मुझे आप लोगों की सहयोग की आवश्यकता है जिससे मैं और भी नयी जानकारी आप लोगों तक पहुंचा सकूँ.

मेरा हमेशा से यही कोशिश रहा है की मैं हमेशा अपने readers या पाठकों का हर तरफ से हेल्प करूँ, यदि आप लोगों को किसी भी तरह की कोई भी doubt है तो आप मुझे बेझिजक पूछ सकते हैं.

:धन्यवाद:

रविवार, 4 अप्रैल 2021

अप्रैल 04, 2021

रेडियो का आविष्कार किसने किया?

रेडियो का आविष्कार किस वैज्ञानिक ने किया? पिछले कुछ सालो से भारत में इंटरनेट और स्मार्टफोन्स दोनों ही काफी सस्ते हो गए हैं, जिसकी वजह से सोशल मीडिया और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स का साम्राज्य तो बढा लेकिन टेलीविजन का महत्व पहले जैसा नही रहा. टेलीविजन तो अब भी काफी लोग देख रहे हैं लेकिन इन उन्नत तकनीकों के बाजार में आने से रेडियो का तो इस्तेमाल ही काफी कम हो गया. अब रेडियो या तो केवल शौकीन लोग सुनते है या कार में ड्राइविंग के दौरान सुना जाता हैं. लेकिन यह नई तकनीके भी रेडियो के अविष्कार के बाद ही सम्भव हो पाई हैं.

आज के समय में एंटरटेनमेंट के साधनों की कोई कमी नही हैं. रेडियो तकनीकी को शुरुआत में सरकार के साथ रहीसो ने काम में लिया लेकिन जब यह तकनीकी थोड़ी सस्ती हुई तो रेडियो साधारण वर्ग के लोगो की पहुच में भी आने लगा.

पहले रेडियो का इस्तेमाल केवल खबरों के प्रसारण के लिए किया जाता था लेकिन बाद में यह मनोरंजन का एक जरिया भी बन गया. आज के समय के लोगो को रेडियो के अविष्कार का महत्व समझ नही आएगा लेकिन अगर उस समय रेडियो का अविष्कार न हुआ होता तो आज की संचार व्यवस्था शायद आज जैसी ना होती.

अगर आप नही जानते की ‘रेडियो का आविष्कार किसने किया था‘ तो यह लेख पूरा पढ़े.

रेडियो क्या है?

रेडियो का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में एफएम के चित्र आना धुर हो जाते हैं लेकिन असलियत में वह केवल एक यंत्र हैं. रेडियो के पूरी तकनीकी है जिसमे बिना तार के माध्यम से सन्देश एक जगह से दूसरी जगह भेजे जाते हैं. आज के समय के सभी बड़े-बड़े संचार के साधन और उपकरण रेडियो तकनीकी पर भी आधारित हैं.

सरल भाषा में रेडियो को समझा जाए तो यह एक ऐसी टेक्नोलॉजी हैं जिसमे Radio Waves (रेडियो तरंगों) का इस्तेमाल करते हुए सिग्नल दिए जाते है या फिर एक दूसरे से कम्युनिकेट किया जाता हैं.

आज की उन्नत रेडियो तकनीकी के जरिये हम एक रेडियो स्टेशन से रेडियो तरंगों के माध्यम से लाखो या करोड़ो लोगो को भी मेसेज दे सकते हैं. Radio Waves (रेडियो तरंगे) एक प्रकार की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगे होती है जिसकी फ्रीक्वेंसी 30Hz से लेकर 300GHz तक होती हैं.

रेडियो तरंगे एक ट्रांसमीटर के द्वारा जनरेट की जाती हैं जो की एंटीना से जुड़ा होता हैं. इन तरंगों को रिसीव करने वाले डिवाइज को रेडियो रिसीवर कहा जाता हैं जिसमे भी एक एंटीना होता हैं. वर्तमान में रेडियो काफी ज्यादा उपयोग की जाने वाली आधुनिक तकनीक हैं. राडार, रेडियो नेविगेशन, रिमोट कंट्रोल, रिमोट सेंसिंग आदि इसी पर आधारित हैं.

रेडियो कम्युनिकेशन का उपयोग टेलीविजन के ब्रॉडकास्ट, सेल्फोन्स, टू-वे रेडियो, वायरलेस नेटवर्किंग और सेटेलाइट कम्युनिकेशन आदि में किया जाता हैं. वही रेडियो आधारित राडार टेक्नोलॉजी से एयरक्राफ्ट, शिप, स्पेसक्राफ्ट, मिसाइल आदि को ट्रैक और लोकेट किया जाता हैं.

इसमे राडार के ट्रांसमीटर से तरंगे छोड़ी जाती हैं जो की एयरक्राफ्ट जैसे ऑब्जेक्ट्स रिफ्लेक्ट करते हैं जिनसे उनकी सटीक लोकेशन पता चलती हैं. हमारे द्वारा रोजाना उपयोग की जाने वाली GPS और VOR जैसी आधुनिक टेक्नोलॉजी भी रेडियो प्रौद्योगिकी पर ही आधारित हैं.

रेडियो का आविष्कार किसने किया था?

रेडियो का आविष्कार गूल्येलमो मार्कोनी (Guglielmo Marconi) ने किया था.

रेडियो तकनीकी के आविष्कार ने हमारे जीवन को काफी आसान बना दिया हैं. उद्योगों के साथ देश के डिफेंस सिस्टम में भी रेडियो तकनीक का उपयोग इसके अविष्कार को और भी महत्वपूर्ण बना देता हैं. आज की पूर्ण विकसित रेडियो तकनीक में कई वैज्ञानिकों और विद्वानों का योगदान हैं.

यहाँ तक की अगर आप गूगल पर ‘Who Invented Radio‘ सर्च करोगे तो आपको 3 नाम Guglielmo Marconi, Reginald Fessenden और William Dubilier जवाब के रूप में मिलेंगे. एंकर अलावा और भी न जाने कितने बुद्धिजीवियों का योगदान रेडियो के आविष्कार में हैं. लेकिन रेडियो के अविष्कार का मुख्य श्रेय ‘Guglielmo Marconi’ को ही दिया जाता हैं.

Guglielmo Marconi (गुलिएल्मो मारकोनी) को रेडियो तकनीकी का मुख्य अविष्कारक माना जाता हैं. 1880 के दशक में Heinrich Rudolf Hertz के द्वारा ‘इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों’ की खोज के बाद गुगलैल्मो मारकोनी ही वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस तकनीकी का उपयोग करते हुए लम्बी दूरी के संचार के लिये एक सफल उपकरण तैयार किया.

इसी कारण उन्हें रेडियो का आविष्कारक माना जाता हैं. उस समय विशेषज्ञों के द्वारा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों के अध्ययन के लिये उपकरण तैयार किये जा रहे हैं. गुलिएलमो मारकोनी ने पहला सफल उपकरण तैयार किया.

गुलिएल्मो मारकोनी के आविष्कार के बाद सन 1900 में 23 दिसम्बर को एक केनेडियन आविष्कारक Reginald A. Fessenden ने इलेक्ट्रॉमैग्नेटिक तरंगों का उपयोग करते हुए 1.6 किलोमीटर की दूरी से सफलतापूर्वक एक ऑडियो भेजी. वह ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति बने.

इसके 6 साल बाद 1906 में Christmas Eve ने पहला पब्लिक रेडियो प्रोडकास्ट किया. धीरे धीरे इसका उपयोग बढ़ा और 1910 के आसपास इस वायरलेस इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिस्टम को ‘Radio’ (रेडियो) का नाम मिला.

रेडियो का आविष्कार कब हुआ

1880 की दशक में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंग की खोज हुई. यह खोज Heinrich Rudolf Hertz ने की थी. इसके ऊपर एक किताब बनाई गयी जिसमे इस विषय की पुरानी विफल खोजो और हर्ट्ज के द्वारा सफलतापूर्वक खोज के साथ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों के बारे में डिटेल में जानकारी दी गयी.

यह किताब पूरी दुनिया के विशेषज्ञों ने पड़ी जिनमें से एक जगदीश चंद्र बसु भी थे. बसु ने उस किताब पर इतना प्रभाव डाला की उन्होंने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों पर आधारित एक उपकरण बनाया.

एक वैज्ञानिक प्रदर्शन के दौरान उन्होंने दूर रखी एक घण्टी को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों के माध्यम से बजाकर दिखाया था. उस समय यह एक अविश्वसनीय बात थी. यह मार्कोनी के अविष्कार से भी पहले की बात हैं.

इसके बाद ही गुलिएल्मो मार्कोनी ने रेडियो का आविष्कार किया. मार्कोनी ने रेडियो का अविष्कार 1890 के दशक में किया था. यूएस पेटेंट रिकार्ड्स के अनुसार ‘गुलिएल्मो मार्कोनी ने रेडियो का अविष्कार 1896 में किया’ था.

इसी साल उन्हें रेडियो के अविष्कार के लिए पेटेंट किया गया था. गुलिएल्मो मार्कोनी का आधिकारिक तौर से रेडियो का आविष्कारक माना जाता हैं.

 रेडियो का इतिहास

रेडियो का आविष्कार को दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण आविष्कार उनमें से एक माना जाता है. आज के आधुनिक रेडियो सिस्टम का श्रेय किसी एक वैज्ञानिक को नही दिया जा सकता हैं. रेडियो के आविष्कार का इतिहास थोड़ा बड़ा नज़र नज़र आता हैं. एक ब्रिटिश वैज्ञानिक James Clerk Maxwell ने रेडियो के आविष्कार की शुरुआत की.

वह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों पर काम किया करते थे. वह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों का सटीक सिद्धांत नही दे पाए. इसके बाद ब्रिटिश वैज्ञानिक Oliver Heaviside ने इस खोज को आगे बढ़ाया लेकिन वह भी सटीक रूप से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों को नही समझा पाए.

इसके बाद आख़िरकार Heinrich Rudolf Hertz  ने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों की सफलतापूर्वक खोज की. उन्हें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों से जुड़े मुख्य सवालो का जवाब ढूंढने में सफलता मिली. हर्ट्ज की खोज के बाद जगदीश चन्द्र बसु और ओलिवर लॉज जैसे वैज्ञानिकों ने खोज को आगे बढ़ाया.

आख़िरकार सन 1896 में गुलिएल्मो मार्कोनी ने रेडियो का आविष्कार किया. शुरुआत में इस खोज का उपयोग सेनाओं ने किया लेकिन बाद में खोज के कारीगर साबित होने के कारण सरकारें भी इसका इस्तेमाल करने लगी. बीबीसी जैसी कई बड़ी कम्पनियो ने पॉडकास्टिंग के लिए रेडियो तकनीकी का उपयोग करना शुरू कर दिया.

भारत में पहली बार 1920 में मुम्बई से रेडियो प्रसारण शुरू किया गया इसके लियर मुम्बई में रेडियो क्लब तैयार किया गया. 1923 में मुम्बई के रेडियो क्लब से पहले बड़े कार्यक्रम का रेडियो से प्रसारण किया गया. इसके बाद 1927 में मुम्बई और कलकत्ता में निजी स्वामित्व वाले 2 ट्रांसमीटरों से प्रसारण सेवा की स्थापना हुई.

1930 में ट्रांसमीटरों को सरकार के नियन्त्रण में ले लिया और ‘भारतीय प्रसारण सेवा’ के नाम से प्रसारण शुरू किया जिसका नाम बाद में ‘आल इंडिया रेडियो’ कर दिया गया था. आजादी के बाद AIR ने रेडियो को आगे बढ़ाना शुरू किया. हर शहर में AIR के कार्यालय बनाए गए और रेडियो प्रसारण घर-घर तक पहुचने लगा.

आज आपने क्या सीखा

मुझे उम्मीद है की आपको मेरा यह लेख रेडियो का आविष्कार किसने किया जरुर पसंद आया होगा. मेरा हमेशा से यही कोशिश रहता है की readers को रेडियो का परिचय के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है.

इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे. यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं.

शनिवार, 3 अप्रैल 2021

अप्रैल 03, 2021

Android क्या है? इसका इतिहास और भविष्य

Android क्या है, ये शायद आपको पूछने की जरुरत नहीं. भारत में आज घर घर में Android Phone उपलब्ध है. Android ने बहुत ही कम समय में खुद को बेहतर बनाकर पूरी दुनिया में एक बहुत ही महत्वपूर्ण Mobile Platform बन गया है. वैसे बहुतों को तो एंड्राइड क्या होता है और इसके फायेदे क्या हैं के बारे में पता तो होगा लेकिन ऐसे बहुत से लोग हैं जो की एंड्राइड की दुनिया में बिलकुल नए हैं और जिन्हें की इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं है. ऐसे में ये article उन लोगों के लिए बहुत ही फैयेदेमंद प्रमाण होगा, इसके साथ साथ जिन्हें थोडा बहुत जानकारी भी है उन्हें भी कुछ नया सिखने को मिलेगा.

वैसे तो अगर में सच कहूँ तो हम में से बहुत लोग Smartphones का इस्तमाल तो करते हैं लेकिन उन्हें ये पता नहीं है की उनका Mobile Phone Android है या Windows या iOS का है. इसमें बुरा मानाने वाली कोई बात नहीं है क्यूंकि सब लोग अलग अलग field में काम करते हैं तो अगर में एक शिक्षक से लकड़ी काटने को कहूँ तो शायद वो ये न कर पायें वैसे ही किसी लकडहारे को पढ़ाने के लिए कहूँ को वो ये नहीं कर सकता. वैसे ही सभी लोगों को Mobiles या Computers के बारे में इतनी जानकारी नहीं होती हैं.

उसी महत उदेश्य को नज़र में रखते हुए आज में आप लोगों की Android Operating System क्या है के बारे में पूरी जानकरी देने वाला हूँ जिससे की अगली बार कोई आपको Android Phones या Android से संभंधित कोई दूसरी जानकारी पूछे तो आप भी उसे उत्तर देने के काबिल हो सकें. क्यूंकि मेरा यह मानना है की यदि आपको कोई जानकरी पता नहीं है तो इसमें कोई गलत बात नहीं है लेकिन अगर आप कुछ नया जानना ही नहीं चाहते तो इसमें बहुत गलत बात है.

एंड्राइड क्या है – What is Android?

एंड्राइड कोई फ़ोन नहीं है और न ही कोई एप्लीकेशन है, ये एक Operating System है जो की linux kernel के ऊपर आधारित है. अगर में इसे आसान भाषा में कहूँ तो Linux एक operating system हैं जिसे की मुख्यतः server और desktop computer में इस्तमाल होता है. तो Android बस एक version है Linux का जिसे की बहुत सारे modification के बाद बनाया गया है. हाँ लेकिन ये related है.

Android एक ऐसा Operating System है जिसे की design किया गया था Mobile को नज़र में रखते हुए. ताकि इसमें phone की सारी functions और applications को आसानी से run किया जा सके. आप जो कुछ भी phone के display में देखते हैं वो सारे operating system के ही भाग हैं. जब भी आप कोई call, text message या email पाते हैं तब आपकी OS उसे process करती हैं और आपके सामने readable format में पेश करती है.

Android OS को बहुत सारे version में divide कर दिया गया है और जिन्हें अलग अलग number प्रदान किया गया है उनके features, operation, stability के हिसाब से. तो अगर आपने कभी ऐसा नाम सुना है जैसे की Android Lollipop, Marshmallow or Nougat तब में आपको बता दूँ की ये सारे Android OS या Operating System के अलग अलग Version के नाम हैं.

Android Inc. का इतिहास

Android Inc. के original creators हैं Andy Rubin, जिन्हें Google ने सन 2005, में खरीद लिया और उसके बाद उन्हें ही Android Development का मुख्य बना दिया गया. Google ने Android को इसलिए ख़रीदा क्यूंकि उन्हें लगा की Android एक बहुत ही नयी और Interesting concept है, जिसकी मदद से वो powerful लेकिन free की operating system बना सकते हैं और जो की बाद में सच भी साबित हुआ. Android की मदद से Google को younger audience की अच्छी reach मिली और इसके साथ Android के बहुत ही अच्छे कर्मचारी भी Google में शामिल हुए.

March 2013 को Andy Rubin ने company को छोड़ने का फैसला किया और अपने दुसरे project में काम करने का ठीक किया. लेकिन इसके बाद भी Android की स्तिथि में कोई उतार चड़ाव देखने को नहीं मिला और Andy Rubin के खाली स्थान को Sundar Pichai द्वारा पूर्ण कर दिया गया. Pichai जो की भारत के रहने वाले हैं इससे पहले वो Chrome OS के head हुआ करते थे और उनकी expertise और experience को Google ने अच्छा इस्तमाल किया इस नए Project में.

Android एक बेहतरीन Mobile Operating System

Android एक ऐसा बेहतरीन Mobile Operating System है जिसे की Google द्वारा बनाया गया है, देखा जाये तो Google द्वारा बनायीं गयी Software को आज दुनिया में प्राय सभी Mobile Phones में इस्तमाल किया जाता है. केवल Apple’s iPhones को छोड़कर. Android एक Linux-based software system है. जैसे की Linux एक Open Source software है और इसके साथ ये बिलकुल Free भी है. इसका मतलब ये है की दुसरे Mobile Company भी Android Operating Systems का इस्तमाल कर सकते हैं. इसमें जो distinguishing factor हैं वो है की इस Brand की kernel. Android के Central Core को host करता है जो की essentially एक strip code है और जो की Software को operate होने में मदद करता है.

Versions of Android

निचे मैंने Android Operating System के अलग अलग Version के बारे में mention किया हुआ है. ये वो version हैं जिन्हें की Android ने अब तक निकले हुए हैं. और शायद हम बहुतों का इस्तमाल पिछले कुछ सालों से किये हैं और अभी भी कर रहे हैं.

  • Android 1.0 Alpha
  • Android 1.1 Beta
  • Android 1.5 Cupcake
  • Android 1.6 Donut
  • Android 2.1 Eclair
  • Android 2.3 Froyo
  • Android 2.3 Gingerbread
  • Android 3.2 Honeycomb
  • Android 4.0 Ice Cream Sandwich
  • Android 4.1 Jelly Bean
  • Android 4.2 Jelly Bean
  • Android 4.3 Jelly Bean
  • Android 4.4 KitKat
  • Android 5.0 Lollipop
  • Android 5.1 Lollipop
  • Android 6.0 Marshmallow
  • Android 7.0 Nougat
  • Android 7.1 Nougat
  • Android 8.0 Oreo
  • Android 8.1 Oreo
  • Android 9.0 Pie
  • Android 10

Android OS की Evolution – Android Beta से Pie तक का सफ़र

मेरे ख्याल से आप सभी लोग Android Phones का इस्तमाल कर रहे होंगे, या फिर Tablets का भी इस्तमाल कर रहे होंगे जिसमें के Android Operating System का इस्तमाल होता हो. में आपको बता दूँ की Android का development Google और Open Handset Alliance द्वारा किया गया था. उसके बाद Android अपना नया नया versions November 2007 से release करता आ रहा है. एक ख़ास interesting बात ये है की Android Versions को एक ख़ास code name दिया जाता है और Alphabetic order में release किया जाता है. ये काम सन 2009 April से किया जा रहा है. इसके अलग अलग नाम कुछ इसप्रकार हैं जैसे की Cupcake, Donut, Éclair, Froyo, Gingerbread, Honeycomb, Ice cream sandwich, Jelly Bean, KitKat, Lollipop, Marshmallow, Nougat, Oreo और Pie. आपको नाम देखकर ये पता चल गया होगा की ये दुनियाभर के desserts के नाम पर रखा गया है.

Android Versions और उनके Features

अब में आप लोगों को Android Operating System के अलग अलग versions के बारे में बताने जा रहा हूँ जिससे की आपको ये पता चले की अलग अलग versions में Android ने क्या बदलाव लाये हैं.

Android Beta

ये सबसे पहला Android version था और जिसे November 2007 में release किया गया था.

Android 1.0

ये सबसे पहला commercial version था जिसे की September 23, 2008, को release किया गया. इसमें बहुत सी features थी जैसे की Android Market application, Web browser, zoom और plan full HTML, और XHTML web pages, cameras support, access to web email servers; Gmail; Google contacts; Google Calendar; Google maps; Google Sync; Google Search; Google Talk; YouTube; Wi-Fi इत्यादि.

Android 1.1

इस version को “Petit Four” के नाम से भी जाना जाता है और इसे February 9, 2009 में release किया गया. इसमें longer in-call screen timeout की सुविधा by default थी जब आप speakerphone का इस्तमाल करते हैं. इसके साथ साथ इसमें messages की attachments को save करने की भी सुविधा मेह्जुद थी.

Android 1.5 Cupcake

ये Android 1.5 version को release किया गया April 30, 2009, में और ये Linux kernel 2.6.27 पर based था. ये पहला ऐसा version था जिसे की किसी dessert के नाम पर रखा गया था. इस updated version में कई ऐसी सुविधा थी जैसे की support for Widgets, third party virtual keyboard, video recording and playback, animated screen transitions इत्यादि और इसके साथ इसमें आप YouTube में Videos और Picasa में Photo upload कर सकते थे.

Android 1.6 Donut

इसे September 15, 2009, में release किया गया और ये Linux Kernel 2.6.29 पर based था. इस version में ऐसे बहुत से features थे जैसे की multilingual speech synthesis, gallery, camera, camcorder etc. इसके साथ ये WVGA screen resolutions को भी support करता था.

Android 2.0/2.1 Eclair

October 26, 2009, को Eclair release किया गया, जो की based था Linux kernel 2.6.29 पर. इस बदलाव से इसमें कई feature भी थे जैसे की expanded Account sync, Exchange email support, Bluetooth 2.1 support. इसके साथ इसमें Contacts photo को Tap करके भी आप किसी को call, SMS or email कर सकते थे, इसके साथ इसमें search all saved SMS and MMS की भी सुविधा थी. इसके साथ new camera features, improved typing speed on the virtual keyboard, improved google maps 3.1.2 जैसे अन्य सुविधायें भी उपलब्ध थी.

Android 2.2.x Froyo

Froyo का मतलब है की Frozen Yogurt और जिसे May 20, 2010, को release किया गया और जो की Linux kernel 2.6.32 पर based था. इसमें कुछ नए additional features भी थे जैसे की integration of Chrome’s VS JavaScript engine into the Browser application, improved Microsoft Exchange support, improved application launcher, Wi-Fi hotspot functionality, quick switching between multiple keyboards etc. Froyo में आप Android Cloud to Device Messaging service, Bluetooth enabled car and desk docks, numeric and alphanumeric passwords को भी support करता था.

Android 2.3.x Gingerbread

December 6, 2010, Gingerbread को release किया गया, जो की Linux kernel 2.6.35 पर based था. इसमें extra-large screen sizes, faster text input in the virtual keyboard, enhanced copy paste functionality, support for Near Field Communication, New Download Manager जैसे कई सुविधाएँ थी. etc. इसके साथ Gingerbread और बहुत सारी चीज़ें support करता था जैसे की multiple cameras on the device, improved power management, concurrent garbage collection इत्यादि.

Android 3.x Honeycomb

ये version Android 3.0 को February 22, 2011, में release किया गया. ये Linux kernel 2.6.36 पर based था. इसमें नया virtual और “holographic” user interface था जिसके साथ added system bar, action bar और redesigned keyboard भी attached था. इसके साथ इसमें आप multitasking, allows multiple browser tabs, provides quick access to the camera, support video for chat using Google Talk जैसे अन्य सुविधएं भी उपलब्ध थी.

Android 4.0.x Ice Cream Sandwich

The Ice Cream Sandwich version को publicly released किया गया October 19, 2011, में. इसका source code को November 14, 2011, में उपलब्ध कराया गया. इस version की मदद से आसानी से folders बनाया जा सकता था, separation of widgets in a new tab, integrated screenshot capture, better voice integration, consist of face unlock जैसे बहुत सुविधाएँ उपलब्ध थी, इसके साथ इसमें customizable launcher, improved copy and paste functionality, built-in photo editor, improved camera app with zero shutter lag जैसे सुविधाएँ भी थी. Android 4.0 consist of Android Beam a near field communication feature and support WebP image format.

Android 4.1 Jelly Bean

Google ने Android 4.1 (Jelly Bean) को June 27, 2012, में release किया और ये Linux kernel 3.0.31 के ऊपर based था. इस version का मुख्य उद्देश्य था की कैसे User interface की functionality and performance को बढाया जा सके. इस version में कई features हैं जैसे की bi-directional text, ability to turn off notifications on apps, offline voice detection, इसके साथ Google Wallet, shortcuts and widgets, multichannel audio, Google Now search application, USB audio, audio chaining इत्यादि.

इसके दुसरे version में जो की था 4.2 उसमें बहुत से नए features थे जैसे की नया redesigned clock app और clock widgets, multiple user profiles, Photospheres, Daydream ScreenSavers इत्यादि.

Android 4.4 “KitKat”

Google ने Android 4.4 KitKat को October 2013 में release किया, और वो भी Nexus 5 Smartphone के साथ. ये Google के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ की Google ने कोई दुसरे brand के साथ partnership किया Android mascot के लिए. जी हाँ दोस्तों Google ने बहुत ही बड़ी marketing campaign किया Nestle के साथ किया KitKat को promote करने के लिए.
Company का मुख्य उद्देश्य था की इस नए OS को और भी ज्यादा efficient, faster और कम resource intensive बनाना था. ये OS low-end hardware और पुराने hardware में भी चल सकता था जिससे की दुसरे manufacturers इसका इस्तमाल अपने existing models में कर सकते थे. इससे उनको ज्यादा encouragement भी मिली. इसमें कुछ बहुत ही ख़ास features भी मेह्जुद थे जिसके बारे में मैंने निचे mention किया है.

  • Google Now in the home screen
  • New Dialer
  • Full-screen apps
  • Unified Hangouts app
  • Redesigned Clock and Downloads apps
  • Emoji
  • Productivity enhancements
  • HDR+

Android 5.0 L

जब Android L release होने वाला था तब इसके नाम को लेकर लोगों में काफी कानाफूसी थी कोई इसे Licorice, कोई Lemonhead तो कोई इसे Lollipop का नाम दे रहा था. और जब October 15, 2014, में इसे release किया गया तब इसका नाम Android Lollipop रखा गया. इसमें ऐसे बहुत से features को अपनाया गया जो की पहले इसमें मेह्जुद ही नहीं थे.

  • बेहतर Material Design, इसके साथ बेहतरीन colourful interfaces, playful transitions और बहुत कुछ.
  • Multitasking को redefined कर दिया गया जिससे की और भी बेहतर काम कर सकता था
  • Notification में कुछ बदलाव लाया गया जिससे की आप HomeScreen में ही सारे notification को एक साथ देख सकते हो और उसे cancel भी कर सकते हैं.
  • बेहतरीन Battery Life
  • इस mobile Os को अब केवल phone तक ही सिमित नहीं किया गया बल्कि अब Android Wear को भी बढ़ावा दिया गया जिससे की आप अपने हाथों में ही इसे इस्तमाल कर सकते थे.

Android 6.0 Marshmallow

इस Android के version को October 5, 2015, में release किया गया. ये दिखने में एकदम पिछले Os के जैसा ही था. लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण बदलाव लाये गए थे जो की इसे कुछ अलग करता था. ऐसे ही कुछ features के बारे में मैंने निचे mention किया है जिससे की आपको इसके बारे में और अधिक जानकारी मिल सके.

  • Google Now on Tap जिसके मदद से आप किसी भी App को बिना बंद किये ही दुसरे काम कर सकते हैं. इसमें आपको बस Home button को लम्बे समय तक press करना पड़ता है और Google Now आपके current app के साथ overlay हो जायेगा.
  • Cut & Paste में थोडा improvement किया गया. जिससे की user को इसके इस्तमाल में आसानी हो.
  • Voice Search directly Lock Screen से, पहले केवल camera और emergency call ही किया जा सकता था पर अब उसके साथ Voice Search भी आसानी से हो सकता है.
  • बेहतरीन Security
  • App Permission में बदलाव, जिसमें पहले Users का इसके ऊपर कोई अधिकार नहीं था मतलब इसे users बदल नहीं सकते थे लेकिन अब इसे बदला जा सकता है जिसके लिए आपको पहले Settings > Apps > [tap a particular app] > Permissions यहाँ पर आप कोई भी Features को On और Off कर सकते हैं.
  • Google Setting एक ही जगह पर
  • Smart Lock Passwords के लिए
  • बेहतर Power Saving Options जिसके लिए आपको इस path को follow करना है Settings > Battery > Battery optimization (available via the menu in the top-right corner)
  • नया UI tuner setting
  • इसके साथ आप Quick Setting Menu को भी आसानी से edit कर सकते हैं

Android 7.0 Nougat

Android Nougat को Google’s Pixel (Pixel XL) phones के साथ October 4, 2016 में release किया गया. इसमें बहुत से exciting features थे जो की पहले के Android Versions में मेह्जुद नहीं थे.

  • Night Light जिसके द्वारा आप रात में भी आसानी से पड़ सकते हैं बिना की तकलीफ के
  • Fingerprint swipe down gesture, इसके लिए बस आपको अपने finger को screen के across swipe करना है
  • Daydream VR Mode
  • App Shortcuts
  • Circular app icons support

इसके साथ Google के Pixel users के लिए कुछ ख़ास features भी उपलब्ध करवाया गया था. जैसे की

  • Pixel Launcher
  • Google Assistant
    Unlimited original quality photo/video backup to Google Photos.
  • Pixel Camera app
  • Smart Storage जैसे ही Storage ख़त्म हो जाये वैसे Storage पुराने backup को delete कर देता है ताकि नया store हो सके
  • Phone/Chat support
  • Quick Switch adapter wired setup के लिए from Android or iPhone.
  • Dynamic calendar date icon.

Android 8.0 OREO

ये बहुत ही बेहतर Android Os update था जिसका जगह नए update ने ले लिए है, अगर में इसके विषय में और कहूँ तब इस Android 8.0 Oreo को August 18, 2017, में release किया गया. फिलहाल इसे कुछ ही devices में आप इस्तमाल कर सकते हो जैसे की Pixel, Pixel XL, Nexus 5X, Nexus 6P, Nexus Player, और the Pixel C. और बाकि SmartPhones में 2017 के अंत तक update उपलब्ध करवा दी जाएँगी. अब चलिए जानते हैं की इस Android की update में ऐसे क्या नया features हैं.

  • Enhanced Battery Life
  • Picture-in-Picture (PiP) इसके हिसाब से यदि आप कोई movie देख रहे हों और आपको यदि कोई email भेजना है तब आप आसानी से ये काम कर सकते हैं
  • Smart Text Selection
  • Notification Dots जिसमें की अगर किसी Apps में कुछ नया notification आया तो वो उसके ऊपर नज़र आएगा
  • Better Google Assistant
  • New Autofill feature
  • Wi-Fi Awareness इसमें आपका mobile खुदबखुद एक wifi zone में आने से खुद ही start हो जायेगा
  • ज्यादा Safe और Secure

Android 9.0 Pie

अभी का सबसे latest Android Os update है. इस Android 9.0 Pie Os को August 6, 2018 में officially release किया गया है. इसका नाम Android Pie रखा गया है, और इसमें ऐसे बहुत से नए और exciting features जो की इसे ख़ास बनाते हैं.अगर आपके पास एक Pixel का smartphone है, तब आपको Android Pie का सभी updates बड़े आराम से मिलेगा लेकिन केवल digital detox elements को छोड़कर.

दुसरे Android smartphones, जैसे की Sony, Xiaomi, Oppo, Vivo, OnePlus और Essential को ये updates कुछ महीनों के भीतर मिल जायेगा. Google ने खुद बताया है की ये सारी devices उनके Beta programme का हिस्सा ही हैं.

अब चलिए जानते हैं की इस Android की update में ऐसे क्या नया features हैं.

  • Adaptive Battery: इसमें Adaptive Battery का इस्तमाल किया गया है, जो की machine learning का इस्तमाल करता है apps को ठीक ढंग से कार्यक्षम करने के लिए. इसका अलावा Apps का energy-efficient manner तरीके से इस्तमाल होता है जिससे उन्हें तभी ON किया जाया है जब user उनका इस्तमाल करे नहीं तो वो inactive condition में रहते हैं.
  • Adaptive Brightness: ये आपके personal preferences के हिसाब से ambient lighting प्रदान करता है, और ये उन adjustments को background में ही करता है आपके लिए.
  • App Actions: ये बहुत ही नया feature है जिसमें की user के app use के ऊपर ही Os ये predict कर सकता है की आगे आप क्या action लेने वाले हैं. ये App Predictions का र सकता है.
  • Android Dashboard: इसे खास तोर से user के habits को समझने के लिए तैयार किया गया है, जो की आपको meaningful engagement प्रदान कर सके. ये आप को ये दिखा सकता है की जैसे आप कितने बार अपने phone को unlock करते हैं, आपने कितने notification receive किये, आपने कितने apps का इस्तमाल किया. इसके साथ ये आपको control प्रदान करता है की आप कैसे और कब अपने time में spend कर रहे हैं.
  • App Timer: ये feature आपको ये control प्रदान करती है की आप कितने समय तक अपने apps का इस्तमाल करना चाहते हैं, समय के ख़त्म होने पर ये आपको noticfication प्रदान करती हैं. ये उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है जो की अपने समय का सही सदुपयोग करना चाहते हैं.
  • Slush Gesture: इस feature से आप अपने phone को turn कर उसे automatically Do Not Disturb mode में ला सकते हैं.
  • Wind Down Mode: इस feature में आपको बस Google Assistant को अपने सोने के समय के बारे में बताना है और जब वो समय निकट होता है तब ये अपने आप Do Not Disturb turn on कर देता है और आपके screen के greyscale mode को चालू कर देता है.

Android 10

Android 10, Google की latest Mobile Os है जो की फिलहाल अभी तक release नहीं की गयी है. Android P के बाद इसमें बहुत से नए features add किये गए हैं और साथ में users की safety और security को ध्यान में रखते हुए इसमें नए safety features भी install किये गए हैं.

अब चलिए Android Q के कुछ खास features के विषय में भी जानते हैं.

बेहतर Permissions Controls
बाकि Android Version की तुलना में हमें इसमें काफी बेहतर permission control देखने को मिलेंगे जिससे की user को अपने phone के ऊपर ज्यादा control प्राप्त होगा.

Foldable phones को support प्रदान करने वाला है
सुनने में आया है की Samsung और दुसरे compaines जल्द ही foldable phones launch करने वाले हैं और ऐसे में उन्हें नए OS की जरुरत होगी. इसलिए इसे पहले से ही foldable phones के अनुरूप बनाया गया है.

Faster sharing का होना
इसमें पहले Os version के मुकाबले ज्यादा faster sharing की जा सकती है. जो की आगे चलकर users के बहुत काम आने वाला है.

Built-in screen recording
इसमें built-in screen recording की सुविधा प्रदान करी गयी है जिससे आसानी से screen record किया जा सकता है.

In-app settings panel
इसमें In-app settings panel में ऐसे बहुत से settings प्रदान किये गया हैं जो की user की usability को बढ़ा सकती है.

System-wide dark mode का होना
यह एक बहुत ही प्रतीक्षित update थी जो की बहुत सी android users की इच्छा थी. इसलिए उन्होंने नए update में system wide ही dark mode प्रदान किया है.

Photos के लिए Depth formats
Photos में भी उन्होंने इस बेहतर बनाने के लिए depth formats का इस्तमाल किया हुआ है जिससे की photos के resolution में काफी सुधार आ सके.

HDR10+ Support
ये अब HDR10+ को भी support करने लगा है.

नयी theming options
इसमें बहुत सी नयी theming option प्रदान किये गए हैं जिससे की अब users आसानी से अपने मनचाही theme का चुनाव कर सकें.

बेहतर privacy protections Android में
जैसे की Android ने पहले से ही वादा किया था की वो नए OS की privacy protection को और भी मजबूत करेंगे और उन्होंने ऐसा ही किया है इस नए OS के साथ.

क्या Android updates के पैसे पड़ते हैं?

Android Updates को download और install करना एकदम free है. Updates करने से आपके mobile phone में आप बहुत सारे नए features पा सकते हैं. और इसके साथ प्रत्येक updates के साथ आपके Android Phones के Speed और Performance में बढ़ोतरी होती है.

Mostly नए और High-end Android Phones में आप सबसे पहले Android के नए updates पा सकते हैं. हाँ ये मान के चलिए की सभी Android Phones में कम से कम एक Update तो आपको जरुर मिलेगा और हो सकता है की किसी किसी phone में आप दो बार भी updates पा सकते हैं.

क्या Android’s Biggest Competitors Apple और Windows Phone है

Apple भले ही Android का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी हो लेकिन इसके साथ Windows Phone भी अब इसी race में शामिल हो गया है. धीरे धीरे ही सही लेकिन Windows Phone भी अपना पैर पसार रहा है और खुद को एक reputable mobile ecosystem के हिसाब से develop कर रहा है. माना की अब भी market में लोगों की पहली पसंद Apple और Android phones हैं फिर भी Windows Phone ने Nokia Mobiles में अच्छे camera देकर लोगों में उत्सुकता बढ़ानी चाही.

Apple ने दोनों SmartPhone और Tablet industries को एक साथ start किआ जब उन्होंने iPhone को 2007 में और iPad को 2010 में release किया. इन दोनों ने market में अच्छा ही नहीं बल्कि लोगों द्वारा भी बहुत सहारा गया. उसी प्रकार Android ने भी अपना अच्छा खासा कब्ज़ा पूरी दुनिया में जमाया हुआ है. अगर हम popularity की बात करें तो अब भी Apple Android की तुलना में ज्यादा अच्छा perform कर रहा है. उसी प्रकार अगर उनको ज्यादा popular से कम की क्रमांक में रखा जाये तो सबसे पहला नंबर Apple का दूसरा Android का और तीसरे स्थान में Windows को रखा जा सकता है.

ये “Open Source” Model ही Android को Unique बनाता है

Android SmartPhones और Tablets का सबसे बड़ा competition में आता है Apple iPhone और iPad. इन दोनों के Operating Systems में जो सबसे बड़ा अंतर है वो ये है की Android की Os Open Source और Free है वहीँ Apple’s iOS पूरी तरह से closed है मतलब उसमें कुछ भी छेड़ छाड़ नहीं किया जा सकता. उदाहण के तोर में iOS में हम default browser को Safari से Google Chrome भी बदल नहीं सकते.

Apple में आपको ये default apps में बहुत restrictions होती हैं जिससे की इन्हें इस्तमाल करने में बड़ी दिक्कत आती है और आप इसमें कुछ नया try भी नहीं कर सकते. वहीँ Android में Open Source होने से आप इसमें आपकी मनचाही Apps को इस्तमाल कर सकते हैं. इन दोनों की इस्तमाल की लढाई तो बहुत ही पुरानी है, यहाँ एक बात में आप लोगों को बताना चाहता हूँ की ये सब Personal Preference को बात है. बाकि सब आपके ऊपर है की आपको किस प्रकार की SmartPhone चाहिए इस्तमाल करने के लिए.

Android Meaning;

वैसे जिस प्रकार से Android अपना नया नया Products launch कर रहा है और नयी से नयी technology को अपना रहा है उस हिसाब से तो Android का भविष्य बहुत ही उज्जवल दिखाई दे रहा है. हाल ही में ही Google ने Smart Watch, Google Glass, Google Cars जैसे की अजीबोगरीब gadgets से अपने भविष्य के बारे में पूर्वानुमान बता ही दिया है. हम आशा करते है की Google अपने इस ऐतिहासिक कदम में और भी ज्यादा सफल हो. और आम लोगों के मदद के लिए और भी बेहतरीन चीजों की रचना करे.

मुझे पूर्ण आशा है की मैंने आप लोगों को Android क्या है (What is Android?) के बारे में पूरी जानकारी दी और में आशा करता हूँ आप लोगों को Android के बारे में समझ आ गया होगा. मेरा आप सभी पाठकों से गुजारिस है की आप लोग भी इस जानकारी को अपने आस-पड़ोस, रिश्तेदारों, अपने मित्रों में Share करें, जिससे की हमारे बिच जागरूकता होगी और इससे सबको बहुत लाभ होगा. मुझे आप लोगों की सहयोग की आवश्यकता है जिससे मैं और भी नयी जानकारी आप लोगों तक पहुंचा सकूँ.

मेरा हमेशा से यही कोशिश रहा है की मैं हमेशा अपने readers या पाठकों का हर तरफ से हेल्प करूँ, यदि आप लोगों को किसी भी तरह की कोई भी doubt है तो आप मुझे बेझिजक पूछ सकते हैं. मैं जरुर उन Doubts का हल निकलने की कोशिश करूँगा. आपको यह लेख Android क्या होता है कैसा लगा मुझे comment लिखकर जरूर बताएं ताकि मुझे भी आपके विचारों से कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मोका मिले.

:धन्यवाद:

शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

अप्रैल 02, 2021

CPU क्या है और कैसे काम करता है?

क्या आपको पता है की ये CPU क्या है? क्यूँ इसे computer का brain (मस्तिष्क) भी कहा जाता है? ऐसे बहुत से सवाल हैं जो अक्सर कई लोगों को परेशान करते हैं. जैसे हमारे शरीर में हमारा मस्तिष्क हमारे सारे प्रक्रियाओं को control करता है ठीक वैसे ही एक computer में भी CPU उसके भीतर और बहार हो रहे सभी प्रक्रियाओं को नियंत्रण करता है ख़ास इसीलिए ही CPU को brain of the computer भी कहा जाता है.

यह user के द्वारा दिए गए सभी instructions को handle करता है, और यह CPU के capacity के ऊपर है की वो कितनी जल्दी और किस हिसाब से उन instructions को process करता है. जितनी जल्दी वो कर सके उसे उतना ही बेहतर या efficient CPU कहा जाता है. चलिए सीपीयू के बारे में कुछ जानकारी लेते है.

जैसे जैसे Technology में advancement हो रही है, वैसे वैसे हमें ज्यादा से ज्यादा complex processes को process करने के लिए Fast CPU की जरुरत हो रही है जो की इन Complex calculation को सहजता से कर सकते और एक साथ बहुत से processes को handle कर सके, इस चीज़ को Multitasking भी कहा जाता है. ख़ास इसीलिए Software और Hardware Developers हमेशा बेहतर CPU को बनाने में लगे हुए होते हैं क्यूंकि उनकी demand भी बढती ही जाती है. एक उदहारण लेते हैं समझने के लिए.

जब आप कोई laptop या कोई desktop खरीदने के लिए जाते हैं दुकान में तब वो आपको कुछ technical specifications के विषय में बताते है जैसे की 64 bit quad core Intel i7, या i5 इत्यादि. यदि आप computer के field से नहीं है तब आपको इससे कुछ भी समझ में नहीं आएगा. लेकिन आखिर में वो क्या कह रहा है आपके पल्ले कुछ भी नहीं पड़ेगा. घबराये नहीं क्यूंकि आज हम इन्ही Technical specification, Cores, CPU के विषय में ही जानकारी प्रदान करने वाले हैं.

हर 6 महीने में बाज़ार में आपको नए processor वाले CPU नज़र में आयेंगे. ऐसे भी नए users के लिए कठिन होता है उन्हें कोन से processor का चुनाव करना चाहिए अगर वो कोई नया system खरीद रहे हैं तब. क्यूंकि आपके काम के हिसाब से आपकी requirement होती है.

ऐसे में अगर आपको basic काम ही करना है तब आपको ज्यादा advanced CPU लेने की कोई भी जरुरत नहीं है. क्यूंकि ऐसे कार्यों के लिए आपका normal CPU भी वो काम आराम से कर सकता है और आपको ज्यादा पैसों को खर्च नहीं करना पड़ेगा. लेकिन सही जानकारी न होने के कारण ही लोग हमेशा दुकानदारों के बहकावे में आ जाते हैं और ज्यादा कीमती CPU खरीद लेते हैं जो की उन्हें कभी भी जरुरत नहीं होती.

इसलिए आज मैंने सोचा की क्यूँ न आप लोगों को सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट क्या है और कैसे काम करता है उसके विषय में सही जानकारी प्रदान करूँ जिससे आपको सही CPU का चुनाव करने में आसानी हो. तो फिर बिना देरी किये चलिए शुरू करते हैं और CPU क्या होता हैै


सीपीयू क्या है (What is CPU?)

क्या आपको पता है CPU का पूरा नाम क्या है? CPU का Full Form होता हिया Central processing unit. यह एक छोटा सा piece का hardware होता है जो की computer program के सभी instructions को process करता है. यह Computer system के सभी important tasks जैसे की arithmetical, logical, और input/output operations को handle करता है.

CPUs को कुछ इसप्रकार से बनाया जाता है की जहाँ billions की मात्रा में microscopic transistors को एक single computer chip में रखा जा सके. यही transistors की मदद से ही सभी calculations को किया जाता है जिनकी जरुरत programs को run करने के लिए किया जाता है जो की system के memory में store होते हैं.

CPU को इसीलिए computer का brain भी कहा जाता है क्यूंकि – सभी instruction, चाहे वो कितना भी simple क्यूँ न हो, सभी को CPU के माध्यम से ही जाना होता है. उदहारण के लिए आपको कोई alphabet type करते हैं जैसे की L तब ये Screen में appear होता है. इसे screen में appear होने में CPU का हाथ होता है.

इसीकारण CPU को central processor unit के नाम से भी refer किया जाता है, और short में इसे processor कहा जाता है. इसलिए जब आप कोई electronic store में कोई device का technical specification देख रहे होते हैं तब वहां पर जो processor specification होता है वो ही CPU है.

जब हम CPU के अलग अलग प्रकार के बारे में discus करते हैं तब इससे हमारा तात्पर्य उसके speed से रहता है. जैसे की वो कितनी जल्दी सभी function को पूर्ण करता है. हमें अपने काम करने में speed की ही जरुरत होती है, जितनी जल्दी हमारे काम की processing होगी उतनी ही जल्दी हम कोई नया काम को आसानी से कर सकते हैं.

जैसे जैसे हमारे instruction complex बनते हैं जैसे की 3D animation, video files की editing इत्यादि ऐसे में हमें ज्यादा बेहतर CPU की जरुरत होती है. इसलिए processor technology में जो भी technological advances हुए है वो सभी के पीछे speed ही सबसे महत्वपूर्ण कारण रहा है.

CPU को हम बहुत से नाम से जानते हैं जैसे की processor, central processor, या microprocessor इत्यादि. यह अपने Software और Hardware से जो भी instructions receive करता है चाहे वो जितना भी छोटा क्यूँ न हो उसे ये process करता है. इसलिए Computer का यह एक बहुत ही major हिस्सा है.

CPU technology में जो भी advancements होते हैं उसमें एक चीज़ को ज्यादा अहमियत दी जाती है वो ये की कैसे transistors को छोटे से और छोटा किया जा सके. ऐसा इसलिए क्यूंकि इससे उन CPU को ज्यादा efficient बनाया जा सके और उनकी speed को कई गुना तक बढाया जा सके.

इस चीज़ के बारे में सबसे पहली बार एक वैज्ञानिक जिनका नाम Moore है उन्होंने कहा था. इसलिए इस चीज़ Moore’s Law भी कहा जाता है.

सीपीयू का फुल फॉर्म क्या है?

CPU का फुल फॉर्म है Central Processing Unit. अगर आप इसे हिंदी में ट्रांसलेट करेंगे तो यह होता है “केंद्रीय प्रक्रमन एकक“.

CPU को हिंदी में क्या कहा जाता है ?

CPU को हिंदी में केंद्रीय प्रचालन तंत्र या केंद्रीय प्रसंस्करण इकाई कहा जाता है.

सीपीयू के कार्य

तो चलिए जानते हैं Central Processing Unit (CPU) के कुछ महत्वपूर्ण features के विषय में

  • CPU को computer का brain माना जाता है.
  • CPU सभी प्रकार के data processing operations करता है.
  • ये data, intermediate results, और instructions (program) को store करता है.
  • इसके साथ ये computer के सभी parts के प्राय सभी operations को control करता है.

CPU कैसे काम करता है

आपको ये जानना जरुरी है के CPU क्या काम करता है. वैसे तो हम ये जानते ही हैं की CPU जो कार्य करता है वो बहुत ही important होते हैं लेकिन अब हम जानेंगे की कैसे ये CPU काम करता है. CPU के उत्पत्ति से अभी तक इसमें ऐसे बहुत सारे improvements किये गए है पिछले कई बर्षों में.

इतने सारे improvements के वाबजूद भी CPU के जो basic function हैं वो अभी तक भी same है. इसके जो basic function हैं वो हैं fetch, decode, और execute. चलिए इनके विषय में विस्तर में जानते हैं.

Fetch

जैसे की शब्द से मालूम पड़ता है इसमें instruction को receive किया जाता है. इसमें instruction का मतलब है की series of numbers जिसे की RAM से CPU तक pass किया जाता है. प्रत्येक instruction एक छोटा सा ही part होता है किसी operation का, इसलिए CPU को ये पता होना चाहिए की कोन सा instruction next आ रहा है. Current instruction address को program counter (PC) के द्वारा रखा जाता है.

फिर PC और instructions को Instruction Register (IR) में place किया जाता है. उसके पश्चात PC length को बढाया जाता है जिससे उसे reference किया जा सके next instruction’s address पर.

Decode

एक बार instruction को fetch और store कर लिया गया IR में, फिर CPU उस instruction को pass कर देती है एक ऐसी circuit में जिसे की instruction decoder कहते हैं. ये फिर उस instruction को convert करती है signals में जो की बाद में pass किया जाता है दुसरे CPU के parts के द्वारा आगे के action के लिए.

Execute

ये आखिर का step होता है, जिसमें decoded instructions को CPU के relevant parts पर भेजा जाता है complete होने के लिए. फिर results को अक्सर write किया जाता है CPU register में, जहाँ पर उन्हें reference किया जा सकता है later instructions के द्वारा. यहाँ आप इन्हें अपने calculator के memory function के तरह समझ सकते हैं.

CPU के हिस्सों के बारे में जानकारी.

यहाँ पर जानेंगे की CPU के components क्या है और वो क्या काम करते हैं. वैसे तो CPU के मुख्य तीन components होते हैं.

  • Memory या Storage Unit
  • Control Unit
  • ALU (Arithmetic Logic Unit)

Memory या Storage Unit

ये unit system के instructions, data, और intermediate results को store करते हैं. ये unit दुसरे सभी units को information भी प्रदान करते हैं जरुरत पड़ने पर. इसे internal storage unit या main memory या primary storage या Random Access Memory (RAM) भी कहा जाता है.

इसकी size affect करती है इसके speed, power, और capability पर. Primary memory और secondary memory दो ऐसे memories होते हैं जो की computer में मेह्जुद होते हैं.

Memory Unit के Functions क्या हैं

  • यह processing के जरुरत हुए सभी data और instructions store करती हैं.
  • यह सभी intermediate results of processing को store करते हैं.
  • यह final results of processing को store करी हुई होती है जब उन्हें output device में release तब किया भी नहीं हुआ होता है output device में.
  • सभी inputs और outputs को main memory के द्वारा transmit किया जाता है.

Control Unit

ये unit computer के सभी parts के operations को control करती हैं लेकिन ये कोई actual data processing operations नहीं करती हैं.

Control Unit के Functions क्या हैं

  • ये data और instructions के transfers को control करने के लिए काम में आता है जिन्हें की computer के दुसरे units को transfer करने के लिए किया जाता है.
  • ये computer की सभी units को manage और coordinate करने के लिए किया जाता है.
  • ये memory से instructions को प्राप्त करता है, उन्हें interpret करता है, और उन operation को computer तक direct करने के लिए इस्तमाल किया जाता है.
  • यह Input/Output devices के साथ communicate करता है data transfer के लिए और storage से results के लिए.
  • ये कोई भी चीज़ process नहीं करता और न ही कोई data store करता है.

ALU (Arithmetic Logic Unit)

इस unit में दो subsections होते हैं जिन्हें की कहते हैं,

  • Arithmetic Section
  • Logic Section

Arithmetic Section
इस arithmetic section का function है की ये सभी arithmetic operations जैसे की addition, subtraction, multiplication, और division को perform करती हैं. सभी complex operations को ऊपर बताए गए operations को repetitive use कर ही किया जाता है.

Logic Section
इस logic section का जो मुख्य function है वो ये की ये सभी logic operation जैसे की comparing, selecting, matching, और merging of data को perform करती हैं.

सीपीयू के प्रकार (Types of CPU in Hindi)

जैसे की हम जानते हैं की computer CPU (जिसे short में Central Processing Unit) कहते हैं एक बहुत ही vital component है जो की सभी instructions और calculations को handle करती हैं जिन्हें उसे send किये जाता है दुसरे computer’s components और peripherals से. Software Programs किस speed से काम करती है ये भी CPU के ऊपर निर्भर करता है की वो कितने powerful हैं.

इसलिए ये महत्वपूर्ण है की आप सही CPU का चुनाव करें जिससे वो सभी कार्यों को जरूरत अनुसार handle कर सकें. अभी पूरी दुनिया में दो सबसे बड़े leading CPU manufacturers है Intel और AMD, जिनके पास अपने ही प्रकार के CPUs मेह्जुद हैं.

Single Core CPUs

Single core CPUs सबसे पुराने type के computer CPU में available होते हैं और सबसे पहले इन्ही प्रकार के CPU का इस्तमाल में लाया गया.

Single core CPUs में केवल एक समय में एक ही operation किया जा सकता है, इसलिए ये multi-tasking के लिए सही option नहीं हैं. जब भी user एक से ज्यादा application run करने को चाहे तब इनका performance बड़ी जल्दी ही कम हो जाता है.

यदि आप कोई दूसरा application run करने को चाहें तब आपको पहला ख़त्म होने तक का इंतजार होना पड़ेगा. नहीं तो पहला operation बहुत ही slow हो जायेगा. इस प्रकार के CPUs में computer का performance ज्यादातर clock speeds के ऊपर निर्भर करता है और जो की power का भी measurement है.

Dual Core CPUs

एक dual core CPU single CPU ही होता है लेकिन इसमें दो cores होते हैं और इसलिए ये दो CPUs के तरह ही function करता है.

जहाँ single core CPU में processor को different sets of data streams में switch back और forth करना होता है अगर ज्यादा operation करना हो वहीँ dual core CPUs बड़े ही आराम से multitasking को handle कर सकता है वो भी efficiently.

Dual Core का ज्यादा advantage लेने के लिए दोनों operating system और जो programs उसमें run कर रही है, दोनों में एक special code का लिखा होना बहुत ही आवश्यक है जिसे की SMT (simultaneous multi-threading technology) कहा जाता है. Dual core CPUs Fast होते हैं single core के तुलना में लेकिन quad core CPUs के तरह नहीं होते हैं.

Quad Core CPUs

Quad Core CPUs further refinement होते हैं multi-core CPU design का और इसमें four cores को एक single CPU में feature किया जाता है. जैसे की एक dual core CPUs में workload को split किया जाता है two cores के भीतर, ठीक वैसे ही quad cores में और भी ज्यादा मात्रा में बड़े multitasking कार्य किया सकता है. इसका ये मतलब नहीं है की एक single operation चार गुना तक faster हो जायेंगे.

ये केवल SMT Code के होने से ही possible है. इन CPUs में speed ज्यादा noticeable नहीं होते हैं. लेकिन हाँ जिन users को बहुत सारे heavy tasks जैसे की Video editing, Games, animations जैसे tasks अगर एक साथ करना है तब ये CPUs उनके जरुर काम में आने वाले हैं.

CPU कितना महत्वपूर्ण हैं?

जैसे की मैंने पहले ही कहा है की CPU एक computer के लिए कितना महत्वपूर्ण है. चूँकि इसे brain of computer भी कहा जाता है इसलिए आप समझ ही गए होंगे की ये कितना महत्वपूर्ण है.

चूँकि ये solely responsible है program के भीतर commands को execute करने के लिए, जितनी ज्यादा CPU की capacity होगी उतनी ही ज्यादा जल्दी से ये अपने applications को run कर सकते हैं.

CPU Cores क्या है और CPU में कितने Cores होते हैं?

पहले के समय की computing की बात करें तब पहले CPU में single core हुआ करते थे. इसका मतलब है की CPU केवल एक single set of tasks तक ही limited होते थे.

ख़ास इसी कारण के वजह से ही पहले के computers में computing की speed बहुत कम होती थी और वो कार्य करने के लिए ज्यादा समय लगाते थे.

लेकिन समय के साथ और ज्यादा computing power के requirement के कारण ही manufacturers को performance बढ़ाने के लिए नए तरीकों का अवलंबन करना पड़ा. और इसी performance को improve करते वक़्त multi-core processors का जन्म हुआ. जो की आजकल हम dual, quad, और octo-core CPU के विषय में सुन रहे हैं.

Dual Core Processor : एक dual-core processor में दो separate CPUs एक single chip में मेह्जुद होते हैं. Cores की संख्या को बढ़ा देने से, CPUs multiple processes को simultaneously handle करने में सक्षम हो जाते हैं.

इससे manufacturers को उनके requirements के अनुसार ज्यादा performance वाला और processing time कम लेने वाला CPU मिल जाता है.

Dual-core के आने से ये आगे quad-core processors जिसमें four CPUs होते हैं, उसे ये develop करने में सहायक होते हैं. वैसे ही octo-core processors भी.

Hyper Threading क्या है?

कुछ CPUs अपने मेह्जुदा physial core को virtualize कर ज्यादा cores की क्ष्य्मता उत्पन्न कर देते हैं. इस प्रक्रिया को Hyper Threading कहा जाता है. उदहारण के लिए Single core को इस्तमाल कर उसे dual cores के तरह virtualize कर देना. इससे single core के होते हुए भी dual cores का काम करवाया जा सकता है.

Virtualizing का अर्थ है की एक CPU जिसमें एक core मेह्जुद हो लेकिन वो dual core के तरह function करने लगे. यहाँ पर additional cores का मतलब है की separate threads का होना. लेकिन यहाँ पर ये जानना चाहिए की physcial core ज्यादा बेहतर perform करते हैं virtual cores के तुलना में.

Multithreading क्या है?

यहाँ पर thread को cores माना गया है. माने की एक single thread को आप एक single piece of computer process मान सकते हैं. वहीँ Multithreading का मतलब है की ज्यादा threads को एक साथ process करना.

मतलब की एक single CPU में ज्यादा number के instructions को समझा और process किया जाता हो एक ही समय में. इससे CPU core एक ही समय में ज्यादा काम एक साथ process कर सकती है. जिससे computing speed बहुत ही बढ़ जाती है.

Intel Core i3 vs. i5 vs. i7

चलिए Intel के अलग अलग CPU के विषय में जानते हैं. कैसे ये processor काम करते हैं. आप जरुर सोच रहे होंगे की Intel के i7 processor बेहतर प्रदर्शन करता है i5 और i3 के मुकाबले. और ये सच भी है. क्यूंकि i7 ज्यादा बेहतर होता है i5 से और i5 बेहतर होता है i3 से.

लेकिन क्या आप जानते हैं की ये processor क्यूँ एक दुसरे से भिन्न है और एक दुसरे से performance के मामले में अलग हैं. लेकिन इसे समझना आसान है, चलिए इसके बारे में जानते हैं.

Intel Core i3 processors dual-core processors होते हैं, वहीँ i5 और i7 processors quad-core होते हैं.

Turbo Boost जैसे feature के होने से i5 और i7 chips ज्यादा बेहतर काम करते हैं. इस turbo boost से ये processor को enable करता है अपने clock speed को base speed से ज्यादा करने में मदद करता है, जैसे की 3.0 GHz से 3.5 GHz तक, जब भी उन्हें इसकी जरुरत पड़े तब. लेकिन Intel Core i3 chips में ये feature नहीं होते हैं.

वो Processor models जिनके ending में “K” लिखा हुआ होता है वो आसानी से overclocked किया जा सकता है, इसका अर्थ है की additional clock speed को force किया जा सकता है और जरुरत के समय पर उसे utilize किया जा सकता है.

Hyper-Threading, जैसे की मैंने पहले ही इसके विषय में बता चूका हूँ, ये enable करता है दो threads को एक साथ process करने के लिए each CPU core में. इसका मतलब है की i3 processors जिसमें Hyper-Threading support करता है उसमें चार simultaneous threads को (क्यूंकि वो dual-core processors होते हैं) एक साथ process किया जा सकता है.

वहीँ Intel Core i5 processors Hyper-Threading को support नहीं करता है, इसका मतलब है की वो भी four threads के साथ एक ही समय में कार्य कर सकते हैं. वहीँ i7 processors लेकिन इस technology को support करते हैं (क्यूंकि ये quad-core है) इसलिए ये एक समय में 8 threads को process कर सकते हैं.

क्यूंकि बहुत से device में power constraints के होने से जिसमें continuous supply of power नहीं होता है वहां पर सभी processors चाहे वो i3, i5, या i7 हो उन्हें अपने performance और power consumption को balance करना होता है.

CPU कैसे दिखाई पड़ता है और ये कहाँ पर स्तिथ होता है?

एक modern CPU usually छोटा और square shape का होता है, जिसमें की बहुत से short, rounded, metallic connectors निचे के तरफ लगे होते हैं. लेकिन कुछ पुराने CPUs में pins होते हैं metallic connectors के जगह में.

CPU directly attach होते हैं CPU “socket” के साथ (या sometimes a “slot”) जो की motherboard में स्तिथ होता है. CPU को inserted किया जाता है socket pin-side-down में, और एक छोटा lever उस processor को secure करने में मदद करता है.

चूँकि CPU को बहुत से processes को एक साथ करना होता है इसलिए कुछ समय run होने के कारण ये modern CPUs ज्यादातर समय hot (गरम) हो जाते हैं. इसलिए इस heat को दूर करने के लिए ये जरुरी है की उसके साथ एक heat sink और एक fan को directly CPU के top में attach करें. Typically, ये CPU के साथ bundled होकर आता है जिसे आपको जरुर खरीदना चाहिए.

दुसरे advanced cooling options की बात करें आप water cooling kits का इस्तमाल कर सकते हैं. इन CPU को install करते वक़्त उनका ख़ास ख्याल रखें क्यूंकि इसके pins बहुत ही sophisticated होते हैं.

CPU Clock Speed क्या है?

किसी भी processor का Clock speed उसे कहते हैं जहाँ की एक processor एक second में कितने number of instructions को process कर सके. इसे gigahertz (GHz) में measure किया जाता है.

उदहारण के तोर पर अगर एक CPU का clock speed है 1 Hz तब इसका मतलब है की ये एक second में एक ही instruction को process करता है. वहीँ अगर एक CPU की clock speed 3.0 GHz तब ये एक second में 3 billion instructions को process कर सकती हैं.

CPU के Advantages क्या है

वैसे तो CPU के बहुत सारे advantages हैं एक Computer में. लेकिन यहाँ पर हम केवल कुछ ही advantages के विषय में बात करेंगे.

Mathematical Data का Fast Calculation करना

Computer Processor या CPU का जो primary advantage वो ये की इससे आप fast calculation कर सकते हैं mathematical data का. यह एक बहुत ही important reason है क्यूँ computers कुछ tasks में इंसानों से भी आगे होते हैं उदहारण के लिए Mathematical modeling.

इसी fast calculation of mathematical data के आधार पर ही computer में बहुत से tasks किया जा सकता है जैसे की video game, photo editing इत्यदि.

A Dynamic Circuit

एक modern computer processor basically एक dynamic circuit होता है. इसमें करोड़ों के मात्रा में tiny switches होते हैं जिन्हें की transistors कहा जाता है. Processor के दुसरे components इन tiny switches के configuration को control करते हैं उनके input data के हिसाब से या active application से.

यही tiny switches बड़े और complex dynamic circuits तैयार करती है, जैसे की printed circuit board (PCB) में होता है electronics में. इसी तरह से एक computer दुसरे electronics के function को emulate कर सकती हैं.

Basic Computer Functionality

किसी भी computer का एक primary basis होता है एक processor. बाकि सभी hardware components को processor के हिसाब से ही बनाया गया होता है. इसके बिना computer के बाकि hardware और software बिलकुल ही pointless है.

सभी input और output peripherals पूरी तरह से processor पर ही depend करते हैं data के input और output के लिए. क्यूंकि इसी processor के माध्यम से ही input data processed होकर output तक पहुँचती है. ये processor ही है जहाँ पर computer कोई भी चीज़ compute करता है.

सीपीयू की परिभाषा

सभी computer में जो की आपके office में आप देख सकते हैं उसमें आपको एक बहुत ही महत्वपूर्ण चीज़ होती है जिसे की Central Processing Unit, या CPU कहते हैं. ये CPU सभी प्रकार की arithmetic और logical decisions process करती है वो भी billions of operations per second के speed में.

Computer के प्राय सभी components CPU को serve करते हैं और data को fetch कर, store कर और finally screen में results को display करने में. तो चलिए इसके कुछ कार्यों के ऊपर नज़र डालते हैं.

Calculations

एक CPU सभी basic arithmetic जैसे की addition, subtraction, multiplication और division बहुत ही high speeds में करती हैं. चूँकि complex math functions में long chains के simple arithmetic होते हैं, इसलिए आपका computer भी इन trigonometry, logarithms और दुसरे tough math problems को fast कर सकता है.

उदहारण के लिए आपके computer का CPU hundreds of spreadsheet cells को calculate कुछ ही fraction of a second में कर सकता है.

Logic

CPU बहुत से logic decisions को simple comparisons के आधार पर करता है, जैसे की greater-than condition, less-than condition और equal-to condition. फिर CPU comparison के outcome के हिसाब से अपने action लेता हैं.

Moving Data

CPU अपना बहुत सा समय data को एक जगह से दूसरी जगह तक move करने में लगा देता है. उदहारण के लिए किसी file को hard drive से read (पढना) करना, data में कुछ calculation करना और बाद में उसे किसी दुसरे file में write करना.

Multitasking

CPU बड़ी आसानी से “multitasks,” कर सकता है, इसके लिए इसे अलग अलग प्रकार के programs में switch करना होता है. और priroty के हिसाब से काम करना होता है. इससे CPU memory का full use करता है. Multitasking के होने से एक साथ बहुत से काम parallelly चल सकते हैं बिना किसी task को बंद किये.

CPU का भविस्य

जैसे जैसे technology में advancement हो रही है. वैसे ही CPU में भी कई ऐसे advancement होने लगेंगे जैसे की superconductor graphene का इस्तमाल Silicon के स्थान पर या उसके साथ मिलकर.

प्रत्येक वर्ष CPU की size धीरे धीरे कम हो रही है. जैसे की latest generation की Intel architecture को manufactured किया गया है 22 nanometers में (nm = 1 billionth of a meter). सुना जा रहा है की next-generation की CPU इससे भी कम केवल 14nm में होने वाला है.

इसके छोटे हो जाने से power consumption को भी lower किया जा सकता है और extra cores को भी add किया जा सकता है CPU में, इससे Moore’s law को भी intact रखा जा सकता है.

धीरे धीरे ये size निरंतर कम होने में लग रहा है. लेकिन ये जितना भी छोटा हो जाये लेकिन Silicon के atom के size से तो बड़ा ही होगा क्यूंकि उससे ये छोटा हो ही नहीं सकता. तब ये इस बात की और इशारा कर रहा है की जल्द ही Silicon के स्थान पर कोई नयी चीज़ का इस्तमाल किया जा सकता है.

शायद वो चीज़ graphene हो? क्यूंकि ये बहुत ही smaller size की होती है. Extremely thin होती है, एक तरह की thinnest known materials है. इससे ये scientists को जरुर मदद करेंगी CPU के size को कम करने में. IBM ने report किया है की उन्होंने एक graphene “transistor” को develop किया है जो की 300GHz में भी काम कर सकती है.

जिस तरह से technology का इस्तमाल हो रहा है उससे ये बात तो साफ़ है की CPU Industry में बहुत ही जल्द Graphene CPU का इस्तमाल देखने को मिल सकता है. ये तो समय ही बताएगा की आगे CPU में क्या changes आने वाले हैं.

Frequently Asked Questions (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

1Led से CPU कैसे connect करे?

A – Led Tv को CPU के साथ connect करने के लिए आप male-to-male HDMI cable का इस्तमाल कर सकते हैं. इसके लिए आपको Tv का input बदलना होगा remote से. फिर आपको computer के display settings में कुछ बदलाव लाना होगा. ऐसा करने से आप CPU से आसानी से LED Tv को connect कर सकते हैं.

2सबसे अच्छा CPU कौन सा है?

A – वैसे Market में बहुत से CPU होते हैं. यहाँ मैंने कुछ CPU के नाम बताये हैं जो की best हैं.

1 – Intel® Core™ i5-8600

2 – AMD Ryzen 5 1600

3 – AMD Ryzen 5 2600X

4 – Intel® Core™ i5-8600K Desktop Processor

5 – Intel® Core™ i7-8700K Desktop Processor

3CPU AC पे चलता है या DC पर?

A – CPU को चलाने के लिए DC current का इस्तमाल किया जाता है.

4Cpu का अविष्कार किसने किया और कब किया?

A – CPU की basic architecture की design Marcian Edward “Ted” Hoff ने की थी. और इसी architecture को इस्तमाल कर Federico Faggin ने सबसे पहले CPU (Microprocessor) बनया था. इसे Intel 4004 का नाम दिया गया था. इसे सन 1971 में बनाया गया था.

इस CPU में 4 bit architecture का इस्तमाल किया गया था, मतलब की ये ऐसे data को process किया जाता है जो की 4 bit length की होती है, और इसमें 256 bytes of Read Only Memory (ROM) होती थी, 32 bit RAM और एक 10 bit shift register.

इस CPU में 2,300 transistors का इस्तमाल होता हिया जो की करीब 60,000 operations per second कर सकता था. इसकी maximum operating frequency होती थी 740 KHz.

5सबसे पहला processor कोनसा आया था?

A – सबसे पहला processor Intel 4004 का आया था सन 1971 में.

61 CPU से अनेक Computer connect करना की प्रक्रिया की क्या कहते है?

A – 1 CPU को बहुत से computer को connect करने के लिए आप ASTER multi monitor software का इस्तमाल कर सकते हैं. ये एक third party software होता है.

7CPU और Operating System में अंतर क्या है?

A – इन दोनों में जो मुख्य अंतर वो ये की CPU एक Hardware होता है और वहीँ Operating System एक Software होती है. मतलब की CPU को operate करने के लिए Operating system का इस्तमाल होता है. उदहारण के लिए Windows XP, Windows 10.

832 bit और 64 bit processor कैसे पहचाने?

A – अपने Computer की processor की पहचान करने के लिए आपको Computer के ऊपर right click करना होगा. फिर properties को select करना होगा. इसमें आपको processor के बारे में पता चल जायेगा की वो 32 bit है या 64 bit का है.

आज आपने क्या सिखा?

आपको मेरा यह लेख सीपीयू क्या है (What is CPU?) और ये कैसे काम करता है? कैसा लगा मुझे comment लिखकर जरूर बताएं ताकि मुझे भी आपके विचारों से कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मोका मिले.

:धन्यवाद: