नमस्कार दोस्तों, मैं Subham sahu हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक under Graduate student हूँ. मुझे नयी नयी Technology से सम्बंधित चीज़ों को सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा मज़ा आता है. मेरी आपसे विनती है की आप लोग इसी तरह मुझे सहयोग देते रहिये और मैं आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहूंगा.

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बुधवार, 7 अप्रैल 2021

अप्रैल 07, 2021

Supercomputer क्या है और कब बनाया गया?

सुपर कंप्यूटर क्या है? कंप्यूटर के विषय में तो हम सभी को पता है लेकिन क्या आप Supercomputer के विषय में जानते हैं? सुनने में तो ये Computer का super version लगता है. और ये बात सही भी है की supercomputer ऐसे device को कहा जाता है जो की सभी existing computers में से ज्यादा बेहतर और fast processing करते हैं. अगर हम पहले ज़माने की बात करें तब computers में vaccum tubes और transistors का इस्तमाल होता था और computers बड़े बड़े rooms के आकर के हुआ करते थे. लेकिन जब से Integrated Circuit या microchips का ज़माना आ गया, अब computers की size काफी हद तक कम गयी है.

लेकिन supercomputer में IC के समाहार का इस्तमाल किया जाता है, Microchips का बड़े तादाद में इस्तमाल होता है जिससे इनकी size में कोई ज्यादा फरक नहीं होता है. इसलिए हमें supercomputer छोटे आकार के देखने को नहीं मिलते हैं.

लेकिन इनकी processing speed बाकि सभी normal computers के मुकाबले हजारों गुना ज्यादा fast होती है. यहाँ आज इस article में हम सुपर कंप्यूटर किसे कहते हैं, ये काम कैसे करता है और इसके क्या advantages हैं बाकि traditional computer के तुलना में के विषय में जानेंगे. तो चलिए बिना देरी किये शुरू करते हैं और सुपर कंप्यूटर क्या होता है के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं.

सुपर कंप्यूटर क्या है (What is Supercomputer?

सुपर कंप्यूटर क्या है, ये जानने से पहले यदि हम ये जान लें की computer क्या है तब हमें इसे समझने में थोड़ी आसानी होगी. एक computer की बात करें तब ये एक general-purpose machine होता है जो की information (data) लेता है input process के माध्यम से, उन्हें store करता है और फिर उन्हें जरुरत अनुसार process भी करता है, और finally कुछ प्रकार की output पैदा करता है.

वहीँ अगर में एक supercomputer की बात करूँ तब ये न केवल ज्यादा fast और एक बहुत ही बड़ा computer है : बल्कि ये पूरी तरह से अलग ही काम करता है, ये typically parallel processing का इस्तमाल करता है serial processing के स्थान पर जैसे की एक ordinary computer में इस्तमाल होता है. इसलिए ये एक समय पर एक काम करने के स्थान पर multiple काम को एक समय में करता है.

एक supercomputer ऐसा computer होता है जो की currently सबसे highest operational rate में perform करता है. इसे हिंदी में महासंगणक कहा जता है. आखिर सूपरकंप्यूटर कहा use होता है? Traditionally देखें तो, supercomputers का ज्यादातर इस्तमाल scientific और engineering applications करने के लिए होता है जिससे ये large databases को handle कर सकें और साथ ही बड़े मात्रा में computational operation कर सकें. Performance wise यह normal computers से हजारों गुना fast और accurate काम करता है.

Supercomputer की performance को measured किया जाता है FLOPS में, जिसका मतलब है की floating-point operations per second. इसलिए जिस computer में जितनी ज्यादा FLOPS होगी वो उतना ही ज्यादा powerful होगा.

Serial और Parallel Processing क्या है?

चलिए जानते हैं Serial और Parallel Processing में क्या अंतर होता है? एक ordinary computer में एक समय में एक ही काम किया जाता है, मतलब की एक काम के ख़त्म होने के बाद ही दुसरा काम process किया जाता है, ऐसे processing को Serial Processing कहा जाता है.

उदाहरण के लिए एक आदमी किसी retail mall के grocery checkout में बैठा हुआ है और conveyor belt में जो भी सामान आता है उसे pick कर वो scanner से scan कर customer के bag में pass करता है, ये काम को एक distinct series of operation में करता है इसलिए इसे series processing कहा जाता है. यहाँ पर आप चाहे तो कितनी भी जल्दी conveyor belt में चीज़ें रख लें या चीज़ें scan के बाद अपने bag में भर लें लेकिन इस process की speed उस operator की scanning speed या processing के ऊपर निर्भर करता है, और जो की हमेशा एक item एक समय में होता है. इसका सबसे अच्छा example है Turing machine.

वहीँ एक typical modern supercomputer बहुत ही speed से काम करता है जिसके लिए वो problem को छोटे छोटे टुकड़ों में split कर देता है और एक समय में एक ही piece में काम करता है. इसलिए इस process को parallel processing कहा जाता है.

अगर वहीँ grocery checkout में बहुत सारे दोस्त items को आपस में बाँट लें और अलग अलग counter में एक साथ checkout करें और बाद में सभी चीज़ों को एक ही जगह में इकठ्ठा करें तब इससे काम बहुत ही जल्द हो जायेगा और ज्यादा समय भी नहीं लगेगा. चूँकि यहाँ पर काम को बाँट दिया गया इससे processing करने में ज्यादा समय नहीं लगा. इसलिए ही Parallel Processing बहुत ही ज्यादा fast होता है Serial Processing के मुकाबले.

सबसे बड़े और powerful supercomputers parallel processing का इस्तमाल करते हैं. इससे वो कोई भी process को fast और कम समय में कर सकते हैं. जब बात बड़े और complex काम की आती है जैसे की weather forecasting (मौसम का अनुमान), gene synthesis, mathematical modeling इत्यादि तब हमें सही तोर में computing power की जरुरत होती है. ऐसे में Supercomputer को parallel processing ही ज्यादा काम आती है. Generally, बात करें तब मुख्य रूप से दो parallel processing approaches हैं : Symmetric multiprocessing (SMP) और Massively parallel processing (MPP).

Clusters क्या है?

आप चाहें तो एक supercomputer बना सकते हैं जिसके लिए आपको एक giant box में बहुत सारे processors को रखना होगा और उन्हें को complex problem को solve करने के लिए instruct करना होगा जिसके लिए वो parallel processing का इस्तमाल कर सकते हैं.

या एक दूसरा तरीका भी है जिसमें की आपको बहुत सारे off-the-self PCs को खरीदना होगा और उन्हें एक ही room में रखना होगा, इसके साथ उन्हें एक दुसरे के साथ interconnect करना होगा एक fast local area network (LAN) के मदद से जिससे की वो broadly उसी समान रूप से काम करेंगी. इस प्रकार के supercomputer को Cluster कहा जाता है. Google अपने users के web searches के लिए इन cluster supercomputer का इस्तमाल करता है अपने data centers में.

Grid क्या है?

Grid भी एक supercomputer होता है जो की बहुत ही similar होता है एक cluster (जो की separate computers के एक समूह) के जैसे, लेकिन इसमें computers अलग अलग स्थान में होते हैं एक दुसरे के साथ Internet (या कोई दूसरा computer network) के जरिये connected होते हैं. इस प्रकार के computing को distributed computing भी कहा जाता है, जिसमें की computer की power को multiple locations में spread किया जाता है एक single place (centralized computing) के बदले में.

उदाहरण के लिए CERN Worldwide LHC Computing Grid, जिसमें की LHC (Large Hadron Collider) particle accelerator से आया हुआ data को एक जगह में assemble किया जाता है, इसमें grid supercomputer का इस्तमाल हुआ है.

Grids Supercomputer में ज्यादा failure होने के chances कम होते हैं, चूँकि सभी computers एक दुसरे के साथ connected रहते हैं इसलिए इनसे parallel processing से होने वाले समस्यों से निजात मिल जाता है, जहाँ break up होना एक आम बात होता है.

Supercomputers में कोन सा Operating System इस्तमाल होता है?

आपको ये जानकर आश्चर्य हो सकता है की supercomputers को run करने के लिए ordinary operating systems का ही इस्तमाल होता है जिसे हम अपने PC को चलाते हैं, लेकिन ये हम जानते ही हैं की ज्यादा modern supercomputer actual में off-the-self comouters और workstations के cluster होते हैं.

कुछ वर्षों पहले तक operating system के हिसाब से Unix का इस्तमाल किया जाता था वहीँ अभी उसके बदले में Linux का इस्तमाल होता है. जो की open-source होता है. चूँकि supercomputers generally scientific problems के ऊपर काम करते हैं, इसलिए उनके application programs को traditional scientific programming languages जैसे की Fortran, या ज्यादा popular modern languages जैसे की C और C++ में लिखा जाता है.

Supercomputers कितने powerful होते हैं?

अगर हम normal computers की बात करें तब उनके computing speed को मापने के लिए MIPS (million instructions per second) का इस्तमाल किया जाता है. जिसके द्वारा fundamental programming commands जैसे की read, write, store इत्यादि को processor के द्वारा manage किया जाता है. दो computers को compare करने के लिए उनके MIPS को compare किया जाता है.

लेकिन वहीँ Supercomputers को rate करने का तरीका थोडा अलग होता है. चूँकि इसमें ज्यादातर scientific calculations किये जाते हैं, इसलिए इन्हें floating point operations per second (FLOPS) के द्वारा मापा जाता है. चलिए इसी FLOPS के अनुसार बनाये गए list को देखते हैं.

UnitFLOPSExampleDecade
Hundred FLOPS100 = 10 power 2Eniac~1940s
KFLOPS (kiloflops)1 000 = 10 power3IBM 704~1950s
MFLOPS (megaflops)1 000 000 = 10 power 6CDC 6600~1960s
GFLOPS (gigaflops)1 000 000 000 = 10 power 9Cray-2~1980s
TFLOPS (teraflops)1 000 000 000 000 = 10 power 12ASCI Red~1990s
PFLOPS (petaflops)1 000 000 000 000 000 = 10 power 15Jaguar~2010s
EFLOPS (exaflops)1 000 000 000 000 000 000 = 10 power 18?????~2020s

विश्व का पहला सुपर कंप्यूटर कब बना और किसने बनाया

यदि आप Computers के इतिहास का अध्यान करेंगे तब आप पाएंगे की किसी एक individual का इसमें योगदान नहीं है बल्कि बहुत से लोगों ने अपने योगदान समय समय पर दिया है. कहीं तब जाकर हमें ऐसे amazing machines देखने को मिला. लेकिन जहाँ बात SuperComputer की आती है तब इसका एक बहुत बड़ा श्रेय Seymour Cray (1925–1996) को जाता है. क्यूंकि उनका योगदान Supercomputer में सबसे ज्यादा है. इन्हें आप सुपर कम्प्यूटर के जनक भी कह सकते है.

946: John Mauchly और J. Presper Eckert ने construct किया था ENIAC (Electronic Numerical Integrator And Computer), University of Pennsylvania में. ये पहला general-purpose, electronic computer था, ये करीब 25m (80 feet) long और करीब 30 tons इसकी weight थी. इसे military-scientific problems को operate करने के लिए बनाया गया था और ये सबसे पहला scientific supercomputer था.

1953: IBM ने सबसे पहला general-purpose mainframe computer develop किया, जिसका नाम था IBM 701 (जिसे Defense Calculator के नाम से भी जाना जाता था), और करीब 20 machines को अलग अलग government और military agencies को बेचा गया. ये 701 सबसे पहला off-the-shelf supercomputer था. उसके बाद IBM के एक engineer Gene Amdahl ने बाद में इसे redesign किया और इसके upgraded version का नाम IBM 704 रखा गया, यह एक ऐसा machine जो की करीब 5 KFLOPS (5000 FLOPS) की computing speed थी.

1956: IBM ने फिर Stretch supercomputer को develop किया Los Alamos National Laboratory के लिए. ये करीब 10 वर्षों के लिए दुनिया का सबसे fastest supercomputer रहा.

1957: Seymour Cray ने इस वर्ष co-found किया Control Data Corporation (CDC) और जिन्होंने pioneer किया fast, transistorized, high-performance computers बनाने में जिसमें CDC 1604 (announced 1958) और 6600 (released 1964) मुख्य थे, जिन्होंने seriously challenge किया IBM के dominance पर mainframe computing के ऊपर.

1972: Cray ने Control Data को छोड़कर खुद की Cray Research की स्थापना की और high-end computers— जो की पहला true supercomputer था बनाया. इनका main idea था की कैसे machine के अन्दर के connections को कम किया जा सके जिससे machines की speed को बढाया जा सके. पहले के Cray computers अक्सर C-shaped हुआ करते थे, जिससे इन्हें औरों से अलग रखा जा सके.

1976: पहला Cray-1 supercomputer को install किया गया Los Alamos National Laboratory में. इसकी तब speed थी करीब 160 MFLOPS.

1979: Cray ने फिर develop किया पहले से भी faster model, जिसमें eight-processor होते थे, 1.9 GFLOP Cray-2. इसमें wire connections को पहले के मुकाबले 120 cm से घटाकर 41cm (16 inches) तक लाया गया.

1983: Thinking Machines Corporation ने फिर massively parallel Connection Machine को manufacture किया, जिसमें की करीब 64,000 parallel processors का इस्तमाल हुआ था.

1989: Seymour Cray फिर एक नयी company की स्थापना की Cray Computer, जहाँ उन्होंने Cray-3 और Cray-4 को develop किया.

1990: Defense spending में cut होने के वजह से और powerful RISC workstations के evolve हो जाने से, companies जैसे की Silicon Graphics के द्वारा, ये supercomputer makers के ऊपर एक serious threat बना रही थी.

1993: Fujitsu Numerical Wind Tunnel ने दुनिया का सबसे fastest computer बनाया 166 vector processors के इस्तमाल से.

1994: Thinking Machines ने bankruptcy protection के लिए case file किया.

1995: Cray Computer भी financial difficulties से डूबने लगा इसलिए उन्होंने bankruptcy protection की case file की. साथ में अचानक ही Seymour Cray की एक road accident में मौत हो गयी October 5, 1996 में.

1996: Cray Research (Cray’s original company) को Silicon Graphics के द्वारा purchase कर लिया गया.

1997: ASCI Red, एक supercomputer जिसे की Pentium processors से बनाया गया Intel और Sandia National Laboratories के द्वारा, ये बना दुनिया का सबसे पहला teraflop (TFLOP) supercomputer.

1997: IBM’s Deep Blue supercomputer ने Gary Kasparov को chess के game में मात दी.

2008: Jaguar supercomputer जिसे की Cray Research और Oak Ridge National Laboratory के द्वारा बनाया गया वो दुनिया का सबसे पहला petaflop (PFLOP) scientific supercomputer बना. जिन्हें की बाद में Japan और China के machines ने पछाड़ दिया.

2011–2013: Jaguar को extensively (और expensively) upgrade किया गया, और उसका नाम Titan रखा गया, और बाद में ये दुनिया का सबसे fastest supercomputer बना जिसे की बाद में Chinese machine Tianhe-2 ने निचे किया.

2014: Mont-Blanc, एक European consortium, जिन्होंने ये announce किया की वो एक ऐसा exaflop (1018 FLOP) supercomputer बनाने वाले हैं energy efficient smartphone और tablet processors से.

2017: Chinese scientists ने announce किया की वो एक exaflop supercomputer की prototype बना रहे हैं, जो की Tianhe-2 के ऊपर based है.

2018: China अभी के समय में fastest supercomputers की race में सबसे आगे हैं, उनके द्वारा बनायीं गे Sunway TaihuLight अभी पूरी दुनिया में सबसे तेज चलने वाली Supercomputer है.

दुनिया के Top 5 Fastest Supercomputers कोन से है?

सभी देशों में computing power को लेकर काफी competition होती है, की कोन सबसे आगे हो सके लेकिन top का स्थान तो एक ही होता है. Supercomputing में Peak performance हमेशा बदलता रहता है. यहाँ तक की supercomputer के definition में भी लिखा हुआ है की यह एक ऐसा machine होता है “ जो की हमेशा अपने highest operational rate में ही कार्य करता है.”

Competition के होने से ये supercomputing को और ज्यादा रोचक बनाती है, जिससे scientists और engineers हमेशा बेहतर से बेहतर computational speed के ऊपर अपनी research जारी रखते हैं. तो चलिए जानते हैं दुनिया के top 5 supercomputers कोन कोन से हैं.

1. Sunway TaihuLight (China)
2. Tianhe-2 (China)
3. Piz Daint (Switzerland)
4. Gyoukou (Japan)
5. Titan (United States)

भारत के सुपर कंप्यूटर का नाम

क्या आप जानते है भारत के प्रथम सूपरकंप्यूटर परम 8000 का शुभारंभ कब हुआ? 1991 में India में इसे आरम्भ किया गया था. हमारा देश भारत में भी कुछ supercomputers है. चलिए भारत के सुपर कंप्यूटर का नाम जानते है.

  1. SahasraT (Cray XC40)
  2. Aaditya (IBM/Lenovo System)
  3. TIFR Colour Boson
  4. IIT Delhi HPC
  5. Param Yuva 2

Conclusion

मुझे आशा है की मैंने आप लोगों को सुपर कंप्यूटर क्या है (What is Supercomputer?) के बारे में पूरी जानकारी दी और में आशा करता हूँ आप लोगों को Supercomputer क्या है के बारे में समझ आ गया होगा. यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं.

मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

अप्रैल 06, 2021

Robot क्या है और कैसे काम करता है?

आज की पोस्ट बहुत ख़ास है क्यों की आज हम अनोखा technology के बारे में बात करने वाले है, रोबोट क्या है ( what is Robot? ) और ये कैसे काम करता है? और ये भी जानेंगे के ये कितने तरह के होते है.

इस तरह के सवाल अक्सर लोग किया करते है. कुछ तो ये भी जानना चाहते हैं की क्या ये सचमुच इंसान की तरह काम कर सकते हैं? फिल्मों में तो रोबोट को बहुत एडवांस रूप में दिखाया जा चूका है. तो क्या अभी उस तरह के रोबोट वैज्ञानिको ने बना लिया है?

सायद ऐसा कोई होगा जो के robots के बारे में सुना नहीं होगा. लग भाग हर ब्यक्ति इसके बारे में कहीं ना कहीं से सुने है, पर बहुत कम होंगे जो इसके बारे में ज्ञान रखते है.

रोबोट क्या है (What is Robot?)

Robot एक तरह की मशीन है जो खास तौर पर कंप्यूटर के द्वारा डाले गए प्रोग्राम या निर्देशों के आधार पर काम करता है. यह कई मुश्किल भरे कामों को सरलता से अपने आप करने में सक्षम होता है.

रोबोट मैकेनिकल , सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग के मिश्रण से मिलकर बना हुआ होता है. इसमें सभी का रोल लगभग एक समान ही होता है.
{Definition of Robot }
" रोबोट एक मशीन है जो इस तरह से निर्मित होता है की एक से ज्यादा कामों को खुद ही एक गति और शुद्धता के साथ पूरा कर सकते हैं."

कुछ रोबोट को नियंत्रित करने के लिए external control डिवाइस का प्रयोग किया जाता है और बहुत से रोबोट में नियंत्रण करने के लिए उसके अंदर ही control डिवाइस लगा हुआ रहता है.

इनका का shape और size से कोई लेना देना नहीं होता है. जो मनुष्य के जैसा हूबहू दीखता है उसी को रोबोट बोलते हैं ये बात बिलकुल गलत है. ये किसी भी रूप का हो सकता है. ये उसके काम पर निर्भर करता है.

क्यों की वैज्ञानिक जैसा काम लेना होता है उसी आकृति में बनाते हैं. अगर इंसान जैसे दिखने वाले रोबोट ही बनाये जाये तो फिर वो इंसानो जैसे ही काम करेंगे ना?

जबकि ये तो बहुत बड़े बड़े आकर के भी बनाये जाते हैं जो heavy इंजीनियरिंग यानि बड़े आकर के मशीन को बनाने के लिए काम में लाये जाते हैं.

उदाहरण

उदाहरण के लिए मैं खुद की कंपनी के बारे में बताता हूँ जहाँ की मैं जॉब करता हूँ. मेरी कंपनी एक ऑटोमोबाइल कंपनी है यहाँ 2 wheelers और 4 wheelers के body parts बनते हैं.

बड़े और छोटे पार्ट्स को वेल्डिंग करके बड़ी assemly बनायीं जाती है जो आप car में देखते हो। वो कई छोटे बड़े पार्ट्स से मिलकर बना हुआ होता। इन छोटे-बड़े पार्ट्स को कौन जोड़कर बड़े पार्ट्स में बदलते हैं ?

जी हाँ सही सोचा आपने ! रोबोट।

तो आप ये तो समझ गए होंगे की रोबोट सिर्फ इंसानो जैसे आकृति वाले मशीन को ही नहीं बल्कि बड़े बड़े स्वचालित मशीन को भी रोबोट ही बोलते हैं.तो चलिए अब बात करते हैं की आखिर ये काम कैसे करते हैं.

रोबोट कैसे काम करता है ?(How does a Robot Work?)

रोबोट का मतलब क्या है ये तो आपको समझ आ गया होगा. रोबोट में हर तरह के काम करने के लिए अलग अलग मशीन लगायी जाती है. इसमें 5 मुख्य पार्ट्स होते हैं इसको काम करवाने के लिए.

  • Structure Body
  • Sensor System
  • Muscle System
  • Power Source
  • Brain System

किसी भी रोबोट में हरकत करने वाले physical structure होते हैं. जिसमे की एक तरह का मोटर, sensor system, power देने लिए source, computer brain होता है जो की पुरे बॉडी को नियंत्रित करता हैं.

Robots piston का प्रयोग करते हैं जो की उन्हें अलग अलग दिशाओं में चलने में मदद करते हैं. इसके brain में प्रोग्राम बना कर डाला हुआ होता है. उसी के अनुसार robot brain, body को संचालित करता है.

ये लिखे हुए प्रोग्राम के आधार पर ही काम करता है और चलता है. दूसरी काम करने के लिए प्रोग्राम को फिर से लिखकर बदला जाता है.

सभी रोबोट्स में sensor नहीं होता है. किसी robot में तो सुनने , सूंघने के लिए भी सेंसर लगा हुआ रहता है.

रोबोट कितने तरह के होते है (Types of Robot in Hindi )

अभी तक आप समझ ही गए होंगे की रोबोट क्या है और अब जानेंगे की रोबोट कितने प्रकार के होते है. वैसे तो ये बहुत तरह के होते हैं लेकिन उनको उनके काम के आधार पर और उनकी तकनीक के आधार पर अलग अलग भागों में बांटा जाता है.

सबसे पहले मैकेनिज्म यानि यांत्रिकी के आधार पर प्रयोग होने वाले रोबोट के बारे में जानते हैं.

  • Stationary
  • Legged
  • Wheeled
  • Swimming
  • Flying
  • Swarm
  • Mobile spherical
  • Stationary Robots

इस तरह के रोबोट्स एक ही जगह फिक्स्ड किये हुए होते हैं. ये अपना सारा काम एक ही जगह पर करते हैं. इनकी पोजीशन और मूवमेंट की दिशा फिक्स की हुई होती है और बस उसी स्थिति में उन्हें काम करने के लिए बनाया जाता है.

जैसे वेल्डिंग, ड्रिलिंग,और ग्रिप्पिंग के काम करने वाले रोबोट्स स्टेशनरी रोबोट्स होते हैं. तो चलिए जानते है रोबोट का उपयोग.

Legged Robots

रोबोट की दुनिया में जब wheeled रोबोट्स की पकड़ काफी मजबूत गई तब वैज्ञानिको ने इसकी जगह इससे भी अच्छा विकल्प बनाने के लिए काफी मेहनत किया जिससे की इसकी कुछ सीमायें होती हैं वो ख़तम हो जाये। जैसे wheeled रोबोट को काम करना है तो वो सिर्फ समतल सतह में ही काम कर सकता है.

Wheel रोबोट सीढियाँ नहीं चढ़ सकता है लेकिन अगर उसमे पैर लगा दिए जाएँ जरूर चढ़ जायेगा। किसी मशीन में पैर लगा के उससे काम करवाना काफी है. लेकिन जिस तरह इंसान के एक बचे को चलना सिखने 1 – 2 साल लग जाता है तो फिर क्या एक रोबोट के पैर लगाकर उससे चलवाया जा सकता है?

जी हाँ ये भी संभव हो चूका है. बहुत से ऐसे रोबोट्स हैं जो चलने भी लगे हैं.

इस तरह के रोबोट्स किसी भी वातावरण में और उबड़ खाबड़ सतह में चल सकने में सक्षम होते हैं.

Wheeled Robots

Wheeled रोबोट्स वैसे रोबोट्स जो सतह पर व्हील्स के सहारे चलते हैं. इस तरह के रोबोट्स का को बनाना , प्रोग्रामिंग करना और डिज़ाइन आसान होता है leged तुलना में। लेकिन ये सिर्फ समतल सतह पर चल सकते हैं.

Swimming Robots

रोबोट fish एक पानी में swim करने वाला रोबोट है. जिसकी आकृति और तैरने का तरीका एक मछली के जैसा ही होता है. 1989 में पहले MIT यूनिवर्सिटी द्वारा Swimming रोबोट्स के ऊपर रिसर्च को सबके सामने लाया था.

Flying Robots

Flying रोबोट्स ऐसे रोबोट्स हैं जो उड़ने में सक्षम होते हैं. इसमें छोटे आकार और बिना मानव वाले रोबोट्स भी होते हैं जो की कई सारे काम कर सकते हैं. इस तरह के रोबोट्स search और rescue मिशन में काम आते हैं. ये किसी भी प्राकृतिक विपदा में फंसे लोगों की तलाश भूमि के बड़े क्षेत्रों में आसानी से कर सकता है.

Swarm Robots

छोटे छोटे रोबोट्स मिलकर जब एक बड़े सिस्टम काम करते हैं तो इसे swarm रोबोट्स बोला जाता है. बहुत सारे रोबोट्स की जो काम करने की क्षमता होती है वो वो इनके आपस और पर्यावरण के साथ इंटरएक्शन के आधार पर होती है.

Mobile Spherical Robots

Spherical रोबोट्स को Mobile Spherical रोबोट्स कहा जाता है. ये सतह पर रोल कर के या लुढ़क कर मूव करते हैं.

अब चलिए जानते हैं की काम करने के आधार पर रोबोट्स कितने तरह के होते हों.

Domestic Robots

वैसे रोबोट्स जो घर के अंदर इस्तेमाल किये जाते हैं. जैसे vacuum cleaners, sweepers, gutter cleaners, etc.

Medical Robots

Medical की दुनिया में इनका इस्तेमाल बहुत अहम् हो चूका है. एक से एक रोबोट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. आजकल तो रोबोट की मदद से डॉक्टर कृत्रिम रोबोटिक्स हाथों का इस्तेमाल कर के ऑपेरशन भी कर रहे हैं .

और मेडिकल की दुनिया में ये एक क्रांति के रूप में उभरा है क्यों की डॉक्टर दूर रहकर भी लोगों के जान बचा लेते हैं.

Military Robots

Military में उसे किये जाने वाले रोबोट्स काफी मददगार होते हैं। ये सुरक्षा के लिए भी काम में लाये जाते हैं। ये ऐसी जगहों में आसानी से जा सकते हैं जहाँ इंसानो का जाना मुश्किल होता है. ये किसी भी एरिया में जाकर दुश्मनो का ठिकाना ढूंढने में कारगर होते हैं.

Space Robots

International स्पेस स्टेशन में बहुत सारे काम रोबोट्स के सहारे ही किया जाता है. मंगल गृह में भी Rover नामक रोबोट को ही भेजा गया है.

Industrial Robots

आज दुनिया के हर हिस्से में आम ज़िन्दगी में इंसानो द्वारा जरुरत की इस्तेमाल होने वाली चीज़ों को बनाया जाता है. हर तरह की खाने की चीज़ें, पहनने के लिए कपडे, गाडी जैसी बहुत सी चीज़ें हैं जो बनायीं जाती हैं इंडसट्रीज़ में. और इन इंडस्ट्रीज में भी रोबोट्स का ही प्रयोग किया जाता है.

अब आप अलग अलग प्रकार के रोबोट के बारे में तो जान चुके हैं.

दुनिया में अलग अलग तरह के उपयोग के आधार पर रोबोट बन चुके हैं. अभी हाल ही में cheetah नामक रोबोट के तीसरे संस्करण को बनाकर दुनिया के सामने लाया गया है. ये बिलकुल चीते के समान ही तेज़ है और ये उछलने , कूदने और हर तरह के चलने और दौड़ने में माहिर है. ये जानवर के जैसे रोबोट में सबसे विकसित रोबोट में से एक है.

इंसान की तरह दिखने वाले रोबोट में भी काफी विकसित रूप बनाये जा चुके हैं,जो बिलकुल इंसानो की तरह दिखने के साथ ही चलने, उठने ,बैठने और काम करने में माहिर होते हैं. यहाँ तक की Honda द्वारा बनाया गया ASIMO फुटबॉल को लात भी मारने में माहिर है.

आज आपने क्या सीखा

तो दोस्तों आज आप रोबोट क्या है ( what is Robot) से जुड़ी बहुत सारी जानकारी जान चुके हैं अगर आपके मन में किसी भी तरह का सवाल हो तो आप पूछ सकते हैं. और अगर ये पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करे. 

:धन्यवाद:

गुरुवार, 1 अप्रैल 2021

अप्रैल 01, 2021

5G क्या है और ये इंडिया मे कब आएगा?

आपके मन में बहुत सारे सवाल आ रहे होंगे जैसे, 5G Technology कैसे काम करता है, 5G मोबाइल कब आएगा और 5G इंडिया मे कब आएगा. इन सब के बारे में आपको निचे बिसार से जानकारी मिलेगा.

क्या आप जानते हैं की 5G क्या है (What is 5G?)? ये 5G Technology कैसे काम करती है? मेह्जुदा 4G के मुकाबले ये 5G किस माईने में बेहतर है? इन्ही सभी चीज़ों के विषय में अगर आपको जानना है तब आपको ये post जरुर पढनी होगी. फोन और हमारा रिश्ता काफी पुराना है और उतना ही मजबूत भी.

जहाँ पहले के फ़ोन wire वाले हुआ करते थे, फिर cordless का ज़माना आया और अब wireless phone का दोर चल रहा है. पहले के basic phones के जगह अब के generation के लोग Smart Phones का इस्तमाल करते हैं. फ़ोन के इस बदलते रूप रंग के साथ उसकी generation भी जुडी हुई होती है जो की 1G से 4G का सफ़र तो तय कर चुकी है और अब आगे 5G की तरफ अपना रुख का रही है. ऐसे में ये जानना काफी रोचक हो सकता है की ये आने वाली 5G क्या है?

इसमें इस्तमाल होने वाली Technology क्या है और ये कैसे मेह्जुदा Mobile Industry में बदलाव ला सकती है. इससे कैसे लोग उपकृत हो सकते है, इत्यदि.

अगर हम पिछले कुछ वर्षों को देखें तब हम ये जान सकेंगे की प्रति 10 वर्षों में Mobile Technology के field में एक generation की बढ़ोतरी हो रही है. जैसे की शुरुवात हम First Generation (1G) सन 1980s में, Second Generation (2G) सन 1990s में, Third Generation (3G) सन 2000s में, Fourth Generation (4G) सन 2010s में, और अब Fifth Generation (5G) की बरी है.

हम धीरे hire ज्यादा sophisticated और smarter technology की और रुख कर रहे हैं. इसलिए आज मैंने सोचा की क्यूँ न आप लोगों को 5G क्या है और ये कैसे काम करता है के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे आपको भी इस नयी technology के विषय में जानकारी हो. तो बिना देरी किये चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं की 5G नेटवर्क क्या है और 5G इंडिया में कब आएगा?

5G क्या है (5G Technology)

5G मोबाइल नेटवर्क का पांचवा जनरेशन है. 5g का Full Form है Fifth Generation. ये Fifth-generation wireless, या 5G, बहुत ही latest cellular technology है, जिसे की ख़ास तोर से engineered किया गया है जिससे की wireless networks की speed और responsiveness को आसानी से बढाया जा सके.

वहीँ 5G, में data को wireless broadband connections के माध्यम से लगभग 20 Gbps से भी ज्यादा की speed में transmit किया जा सकता है. इसके साथ ये बहुत ही कम latency जो की है 1 ms offer करती है और जहाँ real-time feedback की जरुरत है वहां और भी कम. 5G में ज्यादा bandwidth और advanced antenna technology होने के कारण इसमें ज्यादा amount की data को wireless के माध्यम से transmit किया जा सकता है.

यहाँ पर speed, capacity और latency, में improvement के अलावा 5G दुसरे network management features भी प्रदान करती है, जिसमें की मुख्य है network slicing, जो की दुसरे mobile operators को allow करती है multiple virtual networks create करने के लिए वो भी एक single physical 5G network में.

इस capability से wireless network connections को किसी specific uses या business cases में इस्तमाल किया जा सकता है और इसे as-a-service basis में बेचा भी जा सकता है. एक उदहारण के तोर पर self-driving car, जो की एक network slice require करता है जो की extremely fast, low-latency connections प्रदान करती है. इससे एक vehicle real-time में navigate कर सकती है.

वहीँ एक home appliance, को हम एक lower-power, slower connection के via भी connect कर सकते हैं क्यूंकि इसमें high performance की कोई जरुरत ही नहीं है. इसके अलावा internet of things (IoT) में हम secure, data-only connections का इस्तमाल कर सकते हैं.

5G networks और services को कई stages में deploy किया जायेगा next कुछ वर्षों में जो की बढती mobile और internet-enabled devices की जरुरत हो आसानी से पूर्ण कर सके. Overall, की बात करें तब 5G के माध्यम से हम बहुत variety के नए applications को generate कर सकते हैं.

भारत में अभी 4G का विस्तार हो रहा है मगर दुनियाभर के टेलिकॉम ऑपरेटर्स मोबाइल टेक्नॉलजी की अगली जेनरेशन 5G लाने की तैयारी में जुट गए हैं। इसीलिए उसने 5G लाने की तैयारी शुरू कर दी है।

5G Technology के Features

अभी हम कुछ विशेष 5G technology features के संधर्व में जानते हैं. चलिए जानते हैं की आखिर 5G Technology में ऐसे क्या नए features है जो की मेह्जुदा network technology में नहीं है.

  • इसमें Up to 10Gbps data rate का होना. इसके साथ 10 to 100x की rate में network improvement होना 4G और 4.5G networks की तुलना में.
  • 1 millisecond latency का होना
  • इसमें 1000x bandwidth per unit area का होना
  • इसमें हम Up to 100x number के connected devices per unit area (अगर हम 4G LTE के साथ तुलना करें) तक connect कर सकते हैं
  • ये सभी time available होता है. इसलिए इसकी 99.999% तक availability है
  • इसके अलावा ये 100% coverage प्रदान करता है
  • ये energy save करने में काफी मदद करता है. जिसके चलते ये लगभग 90% तक network energy usage कम करने में मदद करता है
  • इसमें आप low power IoT devices जो की करीब 10 सालों तक आपको power प्रदान कर सकती है का इस्तमाल कर सकते हैं
  • इसमें High increased peak bit rate होती है
  • ज्यादा data volume per unit area (i.e. high system spectral efficiency) होती है
  • ज्यादा capacity होती है जो की इसे ज्यादा devices के साथ concurrently और instantaneously connect होने में मदद करती है
  • ये Lower battery consumption करती है
  • ये बेहतर connectivity प्रदान करती है किसी भी geographic region की अगर आप बात करें तब
  • ये ज्यादा नंबर की supporting devices को support कर सकती है
  • इसमें infrastructural development करने में काफी कम लागत लगती है
  • इसके communications में ज्यादा reliability होती है

5G Technology कैसे काम करता है

Wireless networks में मुख्य रूप से cell sites होते हैं जिन्हें की sectors में divide किया गया होता है जो की radio waves के माध्यम से data send करते हैं. ये कहना गलत नहीं होगा की Fourth-generation (4G) Long-Term Evolution (LTE) wireless technology ने ही 5G का foundation तैयार किया था.

जहाँ 4G, में बड़े, high-power cell towers की जरुरत होती है signals को radiate करने के लिए longer distances में, वहीँ 5G wireless signals को transmit करने के लिए बहुत सारे small cell stations की जरूरत होती है जिन्हें की छोटी छोटी जगह जैसे की light poles या building roofs में लगाया जा सकता है.

यहाँ पर multiple small cells का इस्तमाल इसलिए होता है क्यूंकि ये millimeter wave spectrum में — band of spectrum हमेशा 30 GHz से 300 GHz के भीतर ही होती है और चूँकि 5G में high speeds पैदा करने की जरुरत होती है, जो की केवल short distances ही travel कर सकता है.

इसके अलावा ये signals किसी भी weather और physical obstacles, जैसे की buildings से आसानी से interfere हो सकते हैं.

यदि हम पहले generations के wireless technology की बात करें तब इसमें spectrum की lower-frequency bands का इस्तमाल होता था. इसके साथ millimeter wave challenges जिससे की distance और interference ज्यादा होती है, इससे जूझने के लिए wireless industry ने 5G networks में lower-frequency spectrum का इस्तमाल करने का सोचा है जिससे Network operators उस spectrum का इस्तमाल कर सकें जो की उनके पास पहले से ही मेह्जुद है.

एक चीज़ हमें ध्यान रखना चाहिए की Lower-frequency spectrum हमेशा ज्यादा distances cover करती है लेकिन इसमें lower speed और capacity होती है millimeter wave की तुलना में.

5G Deployment की Status क्या है?

5G की मुख्य development विश्व के इन चार देशों में सबसे ज्यादा है वो हैं United States, Japan, South Korea और China. यहाँ पर Wireless network operators ज्यादा ध्यान 5G buildouts को बनाने में दे रहे हैं. माना जा रहा है की Network operators 2030 तक लगभग करोड़ों billions dollars 5G के सन्धर्व में खर्च करने वाले हैं.

जाने माने Tech company Technology Business Research Inc., का कहना है की ये बात अभी तक भी साफ़ नहीं है की ये 5G services किस प्रकार से अपने investment का return generate करेंगे.

ये उम्मीद है की नए companies और Startup जो की 5G के Evolving technology का इस्तमाल करना चाहते हैं वो इन operators के revenue का ख्याल रख सकते हैं.

Simultaneously, दुसरे standards bodies भी universal 5G equipment standards के ऊपर काम कर रहे हैं. निकट में ही 3rd Generation Partnership Project (3GPP) ने 5G New Radio (NR) standards के लिए December 2017 में approval दे दी है और 2018 के ख़त्म होने तक वो 5G mobile core standard जो की 5G cellular services के लिए बहुत जरुरी है को समाप्त कर देने की उम्मीद रखते हैं. ये 5G radio system 4G radios के साथ compatible नहीं है, लेकिन network operators ने wireless radios की खरीदारी करी है जिन्हें की वो upgrade करना चाहते हैं. वो इसे Software के द्वारा upgrade करना चाहते हैं न की hardware update क्यूंकि hardware update में उन्हें नए equipment खरीदने की जरुरत पड़ सकती है.

जहाँ 5G wireless equipment standards प्राय समाप्त हो चुकी हैं ऐसे में first 5G-compliant smartphones और दुसरे associated wireless devices commercially 2019 तक available हो जाने की उम्मीद हैं. 5G technology का सम्पूर्ण इस्तमाल 2020 से होने की उम्मीद की जा रही है. सन 2030 तक, 5G services का इस्तमाल full-fledged रूप से किया जायेगा और इसका इस्तमाल virtual reality (VR) content में autonomous vehicle navigation में किया जायेगा. इसे real-time में monitor भी किया जा सकेगा.

Types of 5G wireless services available

Network operators मुख्य रूप से दो प्रकार के 5G services प्रदान करते हैं.
पहला Service है 5G fixed wireless broadband services का जो की internet access deliver करती है घरों और businesses को बिना किसी wired connection के उनके premises तक.

ऐसा करने के लिए network operators NRs को deploy करते हैं छोटे cell sites में buildings के निकट जिससे ये कोई signal को beam कर पाए receiver तक जो की किसी rooftop या windowsill में मेह्जुद हो, इससे ये premises के भीतर amplified हो जाता है.

Fixed broadband services operators के लिए भी सस्ता हो जाता है service प्रदान करने के लिए क्यूंकि इस approach के द्वारा उन्हें प्रत्येक residence को fiber optic lines बिछाने की जरुरत नहीं पड़ती है, बल्कि केवल cell sites तक ही fiber optics install करनी होती है, और customers broadband services receive करते हैं wireless modems के द्वारा जो की उनके residences या businesses में स्तिथ होता है.

दूसरा Service है 5G cellular services का जो की user को operator के 5G cellular networks service को access करने की सुविधा प्रदान करती है. ये services सबसे पहले rolled out होगी सन 2019 में, जब पहली 5G-enabled devices commercially available होंगी खरीदने के लिए.

Cellular service की delivery भी निर्भर करती है mobile core standards के completion के ऊपर 3GPP के द्वारा. उम्मीद की जा रही है की ये 2018 के ख़त्म होने तक complete हो जाएगी.

5G के Advanced Features क्या हैं

यदि हम पहले के radio technologies के साथ इस नयी 5G technology की तुलना करें तब इसमें ये following advancement हम देख सकते हैं जैसे की −

  • इसमें हम Practically super speed जो की है 1 से 10 Gbps को पा सकते हैं.
  • यहाँ पर Latency होगी 1 millisecond (end-to-end round trip में).
  • इसके साथ यहाँ पर 1,000x bandwidth per unit area होती है.
  • ये बहुत ही आसानी से 10 से 100 devices तक connect हो सकता है.
  • ये Worldwide coverage प्रदान करता है.
  • इसके अलावा लगभग 90% की energy reduction में इसका हाथ है.
  • इसमें Battery life बहुत ही लम्बी होती है दूसरों के मुकाबले.
  • इसका साथ यहाँ पर पूरी दुनिया एक wi fi zone बन जाती है.

5G की स्पेक्ट्रम बैंड क्या है

5G नेटवर्क्स 3400 MHz , 3500 MHz और 3600 MHz बैंड्स पर रन करते हैं। 3500 MHz बैंड को आदर्श माना जाता है। मिलीमीटर वेव स्पेक्ट्रम 5G में अहम भूमिका निभा सकता है। इन्हें मिलीमीटर वेव्स इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनकी लेंग्थ 1 से 10 mm होती है।

मिलीमीटर तरंगें 30 से 300 GHz फ्रिक्वेंसीज़ पर काम करती हैं। अभी तक इन तरंगों को सैटलाइट नेटवर्क्स और रडार सिस्टम्स में इस्तेमाल किया जा सकता है।

अगर 5G में मिलीमीटर वेव्स इस्तेमाल की जाती हैं तो इसका श्रेय सर जगदीश चंद्र बोस को भी जाएगा। उन्होंने 1895 में ही दिखाया था कि इन वेव्स को कम्यूनिकेशन के लिए यूज किया जा सकता है।

5G के मुख्य Advantages क्या हैं?

वैसे 5G के ओ बहुत सारे advantages हैं, इसलिए मैंने उनके विषय में निचे आप लोगों को बताने के कोशिश करी है –

  • High resolution और bi-directional large bandwidth shaping का होना.
  • इसके माध्यम से सभी networks को एक ही platform के अंतर्गत लाया जा सकता है.
  • ये बहुत ही ज्यादा effective और efficient है.
  • बेहतर Download और Upload Speed का होना.
  • इस Technology के माध्यम से subscriber को supervision tools प्रदान किये गए हैं जिससे वो quick action ले सकते हैं.
  • इसके द्वारा बड़े पैमाने में broadcasting data (in Gigabit) हो सकती हैं, जिससे ये 60,000 connections से भी ज्यादा को support कर सकता है.
  • इसे previous generations के साथ आसनी से manage किया जा सकता है.
  • ये Technological sound है heterogeneous services (जिसमें की private network) को support करने के लिए.
  • इस technology के द्वारा पूरी दुनिया में uniform, uninterrupted, और consistent तरीके से connectivity प्रदान किया जा सकता है.
  • इसमें parallel multiple service आप पा सकते हैं जैसे की आप बात करते हुए weather और location की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
  • आप अपने PCs को handsets के जरिये control कर सकते हैं.
  • इससे Education बहुत ही आसान हो जाता है क्यूंकि कोई भी student दुनिया के किसी भी छोर से ज्ञान प्राप्त कर सकता है.
  • Medical treatment भी आसान हो सकती है क्यूंकि एक doctor किसी मरीज को जो की दुनिया के किसी भी remote location में स्तिथ हो उसे इस technology के द्वारा ठीक कर सकता है.
  • इससे monitoring में आसानी होगी क्यूंकि government organization और investigating officers आसानी से किसी भी जगह को monitor कर सकते हैं जिससे crime rate में गिरावट होने की संभावनाएं हैं.
  • अंतरिक्ष, galaxies, और दुसरे ग्रह को देखना बहुत ही आसान हो जायेगा.
  • किसी भी खोये हुए इन्सान को ढूंड पाना आसान हो जायेगा.
  • यहाँ तक की आने वाली बड़ी natural disaster जैसे की tsunami, भूकंप इत्यादि को पहले से ही detect किया जा सकेगा.

5G के मुख्य Dis-Advantages क्या हैं?

5G technology को बहुत ही researched और conceptualized तरीके से बनाया गया है सभी radio signal problems और mobile world के hardship of mobile world को ख़त्म करने के लिए, लेकिन इसके वाबजूद भी इसके कुछ disadvantages हैं जिन्हें हम आगे discuss करने वाले हैं.

  • ये 5G की Technology अभी तक भी under process है और इसके पीछे research जारी है.
  • जो speed प्रदान करने की बात जो ये कर रहा है, उसे achieve करना मुस्किल प्रतीत होता है है क्यूंकि उसके लिए अभी तक उतना technological support विश्व के बहुत से हिस्सों में फिलहाल मेह्जुद नहीं है.
  • बहुत सारे पुराने devices इस नयी 5G technology के साथ compatible नहीं है जिसके चलते उन्हें बदलना पड़ेगा, जो की एक expensive deal साबित होगा.
  • इसके infrastructures को Develop करने में ज्यादा cost लग सकता है.
  • इसमें अभी तक भी कई Security और privacy related issue मेह्जुद हैं जिन्हें अभी तक भी solve करना बाकि है.

5G के Applications क्या हैं

चलिए जानते हैं कुछ significant applications के विषय में

  • ये पूरी दुनिया के लिए एक unified global standard बन सकता है.
  • इसके द्वारा Network availability चारों तरफ होगी जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इस बेहतरीन technology का इस्तमाल कर सकेंगे कभी भी और कहीं भी.
  • इसमें IPv6 technology होने के कारण, mobile की IP address को उनके connected network और geographical position के हिसाब से प्रदान किया जायेगा.
  • ये पूरी दुनिया को एक real Wi Fi zone में तब्दील कर देने की क्षमता रखता है.
  • इसके cognitive radio technology के माध्यम से radio technologies के अलग अलग version समान spectrum को efficiently इस्तमाल कर सकते हैं.
  • इस technology के माध्यम से higher altitude के लोग बड़े आसानी से radio signal की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं.

5G के मुख्य Challenges

किसी भी नयी development का एक बहुत बड़ा हिस्सा है Challenges का होना. क्यूंकि इन challenges के होने से ही technology और भी बेहतर बन सकती हैं. सभी technology के जैसे ही 5G में भी बहुत बड़े बड़े challenges मेह्जुद हैं. हमने पिछले कुछ सालों में देखा की कैसे radio technology ने fast growth करी है.

शुरुवात 1G से 5G तक, ये सफ़र केवल 40 वर्षों का ही है (1G सन 1980s में और 5G जो की आने वाला है सन 2020 में). लेकिन इस सफ़र में हमने कुछ common challenges भी observe किया है जैसे की infrastructure, research methodology, और cost की कमी.

आज के दोर में ऐसे बहुत से देश है जहाँ की अभी तक भी 2G और 3G technologies का इस्तमाल होता है और लोग वहां अभी तक भी 4G के विषय में नहीं जानते हैं, ऐसे condition में, जो सवाल सभी के दिमाग में है वो ये की −

  • ये 5G कितनी दूर viable होगी?
  • क्या इस technology के माध्यम से कुछ developed countries और developing countries भी लाभान्वित होंगे?
    इन्ही सवालों को बेहतर समझने के लिए 5G के challenges को two headings में विभाजित कर दिया गया है −

1. Technological Challenges
2. Common Challenges

Technological Challenges

1.  Inter-cell Interference – ये एक बहुत ही बड़ा technological issues है जिसे की जल्द solve करना होगा. चूँकि traditional macro cells और concurrent small cells के size में बहुत फरक है इसलिए ये आगे चलकर interference पैदा कर सकता है.

2.  Efficient Medium Access Control – ऐसे situation में, जहाँ की dense deployment of access points और user terminals की reqirement होती है, वहां user की throughput low होगी, latency high होगी, और hotspots competent नहीं होगी cellular technology के साथ ज्यादा throughput प्रदान करने के लिए. इसलिए इसे ठीक ढंग से researched करना जरुरी है इस technology को optimize करने के लिए.

3.  Traffic Management – Cellular networks में ज्यादा human traffic के होने से और ज्यादा number के Machine to Machine (M2M) devices के एक ही cell में होने से ये एक serious system challenges पैदा कर सकता है जो की है radio access network (RAN) challenges, जो की बाद में overload और congestion पैदा कर सकता है.

Common Challenges

1.  Multiple Services – दुसरे radio signal services, के मुकाबले 5G को बड़े task करना होता है जैसे की heterogeneous networks, technologies, और devices operating जो की अलग अलग geographic regions में काम करते हैं. इसलिए जो challenge है वो ये की लोगों की dynamic, universal, user-centric, और data-rich wireless services प्रदान करना होता है वो भी standard तोर से.

2.  Infrastructure – Infrastructure की कमी के कारण Researchers को कई technological challenges of standardization और 5G services के application में कमी जैसे असुविधा का सामना करना पड़ता है.

3.  Communication, Navigation, & Sensing – ये services ज्यादा depend करती है availability of radio spectrum पर, जिसके माध्यम से signals को transmit किया जाता है.

चूँकि 5G technology के पास strong computational power होता है बड़े volume के data जो की अलग अलग और distinct sources से आता है उन्हें process करने के लिए, लेकिन इसके लिए बड़ी infrastructure support की जरुरत होती है.

4.  Security and Privacy – ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण challenge हैं जिसे की 5G को ख़ास ध्यान देना चाहिए जिससे लोगों के personal data को protect किया जा सके. 5G को कई दुसरे security threats जैसे की trust, privacy, cybersecurity का भी ख़ास ध्यान देना पड़ेगा क्यूंकि ये threats पूरी दुनियाभर में लगातार बढती ही जा रही है.

5.  Legislation of Cyberlaw − Cybercrime और दुसरे fraud भी बढ़ेंगे high speed और ubiquitous 5G technology के होने से. इसलिए Cyberlaw को ठीक ढंग से implement करना भी बहुत ही जरुरी है.

5G इंडिया में कब आएगा

आप सोच रहे होंगे के 5G मोबाइल कब लॉंच होगा? सरकार ने 5G स्पेक्ट्रम के लिए ऑक्शन की तैयारी शुरू कर दी है. सरकार ने ट्राई से कहा है कि 3400 से 3600 MHz बैंड्स की नीलामी के लिए शुरुआती दाम सुझाए. ट्राई ने इसपर काम शुरू कर दिया है. डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम जल्द ही इस संबंध में एक पॉलिसी भी ला सकता है.

दरअसल एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में 5G जैसी फास्ट वायरेलस टेक्नॉलजी लाने से पहले डेटा होस्टिंग और क्लाउड सर्विसेज के लिए रेग्युलेटरी कंडिशंस में बदलाव लाया जाना चाहिए.

5G का Future Scope

बहुत सारे researches और discussions पूरी दुनियाभर में चल रही है विश्व के प्रसिद्ध technologists, researchers, academicians, vendors, operators, और governments के बिच 5G के innovations, implementation, viability, और security concerns को लेकर.

जैसे की बताया गया है की 5G में ऐसे बहुत सारे बहुत सारे features मेह्जुद हैं जो की बेहतरीन services प्रदान करेंगी. लेकिन एक सवाल जो सबके मन में जरुर होगा की जहाँ previous technologies (4G और 3G) अभी भी under process और बहुत से parts में अभी तक भी शुरू नहीं हुए हैं; ऐसे में 5G का future क्या है?

5th generation technology को ख़ास इसीलिए design किया गया है ताकि वो incredible और remarkable data capabilities, unhindered call volumes, और immeasurable data broadcast इस latest mobile operating system के माध्यम से कर सके.

इसलिए ये ज्यादा intelligent technology है, जो की पूरी दुनिया को interconnect करने में सहायक सिद्ध होगा. इसीतरह हमारे दुनिया को universal और uninterrupted access to information, communication, और entertainment मिलेगी जिससे ये हमारे जीवन में एक नयी dimension का द्वार खोलेगी और ये हमारे life style और बेहतर और meaningful बनाएगी.

इसके साथ governments और regulators भी इस technology का इस्तमाल good governance और बेहतर healthier environments create करने के लिए कर सकेंगे. इससे एक बात तो साफ़ है की 5G के विस्तार में लोगों का सही मनोभाव इसे और भी अधिक बेहतर बनाने में सहायक होगा.

Frequently Asked Questions (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

Q – क्या 5G Phones भारत में पहुच चुके हैं?

A – भारत में 5G के services के ऊपर काम 2020 से चालू हो जायेगा और 5G phones 2022 या 2023 तक लोगों को उपलब्ध करवा दिए जायेंगे.

Q – क्या हम अपने 4G Handsets को 5G में upgrade कर सकते हैं ?

A –  इस बात की तो पूरी तरह से पुष्टि नहीं की गयी है लेकिन जानकारों का मानना है की हम users 4G mobiles को 5G के network में इस्तमाल कर सकते हैं.

Q – कब 5G Internet को भारत में launch किया जायेगा ?

A – भारत में 5G Internet को 2022 तक launch कर दिया जायेगा.

आज आपने क्या सीखा ?

मुझे पूर्ण आशा है की मैंने आप लोगों को 5G क्या है? और ये कैसे काम करता है? के बारे में पूरी जानकारी दी और में आशा करता हूँ आप लोगों को 5G क्या है (What is 5G in Hindi) के बारे में समझ आ गया होगा.

मेरा आप सभी पाठकों से गुजारिस है की आप लोग भी इस जानकारी को अपने आस-पड़ोस, रिश्तेदारों, अपने मित्रों में Share करें, जिससे की हमारे बिच जागरूकता होगी और इससे सबको बहुत लाभ होगा. मुझे आप लोगों की सहयोग की आवश्यकता है जिससे मैं और भी नयी जानकारी आप लोगों तक पहुंचा सकूँ.

मेरा हमेशा से यही कोशिश रहा है की मैं हमेशा अपने readers या पाठकों का हर तरफ से हेल्प करूँ, यदि आप लोगों को किसी भी तरह की कोई भी doubt है तो आप मुझे बेझिजक पूछ सकते हैं. मैं जरुर उन Doubts का हल निकलने की कोशिश करूँगा.

आपको यह लेख 5G Technology क्या है और 5G कब लॉंच होगा कैसा लगा हमें comment लिखकर जरूर बताएं ताकि हमें भी आपके विचारों से कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मोका मिले. मेरे पोस्ट के प्रति अपनी प्रसन्नता और उत्त्सुकता को दर्शाने के लिए कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter इत्यादि पर share कीजिये.


शुक्रवार, 26 मार्च 2021

मार्च 26, 2021

One Time Password (OTP) क्या है?

क्या आप जानते है One Time Password या OTP क्या है? अगर नहीं, तो इस post को जरुर पढ़े. आज के वक़्त में लगभग हम सभी लोग अपना सारा काम घर बैठे online ही कर लेते हैं जैसे मोबाइल recharge हो या फिर shopping, तो ऐसे में इस digital दुनिया में हमारी security बहुत ज्यादा माइने रखती है ताकि हमारा personal data और account दोनों ही अनजान व्यक्ति से सुरक्षित रहे.

जब हम net banking की मदद से online transactions करते हैं मोबाइल recharge करने के लिए या फिर कुछ सामान खरीदने के लिए तब सभी details भरने के बाद last में एक code आता है जिसे हम OTP कहते हैं. आप सभी ने OTP के बारे में सुना होगा और इसका इस्तमाल भी किया होगा, लेकिन क्या आपको पता है की इसका इस्तेमाल क्यूँ किया जाता है? अगर नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं आज के इस लेख One Time Password (OTP) क्या है में आप जान जायेंगे.

One Time Password या OTP क्या है?

One Time Password (OTP) एक security code है जो 6-digits का होता है जिसका इस्तेमाल हम online transactions करते वक़्त करते हैं.

जब हम किसी e-commerce website से कुछ सामान खरीदते हैं तब हम अपने ATM card से उसका payment करते हैं, payment करते वक़्त अपने banking details भरने के बाद आखिर में एक security code आपके bank में registered mobile नंबर पर एक sms के रूप में जाता है जिसे हम OTP कहते हैं.

उस sms में एक code होता है जिसे भरने के बाद ही हमारा payment सफल होता है इसके बिना आप online कहीं भी transactions नहीं कर पाएंगे.

OTP का इस्तेमाल क्यूँ किया जाता है?

OTP एक password है जो normal password यानि की जो password user अपना account बनाते वक़्त create करते हैं उनसे बिलकुल अलग और safe होता है. जैसे की जब हम किसी भी website में अपना account बनाते हैं तो हम अपना username और password create करते हैं, हम जो password create करते हैं वो बहुत ही सरल रखते हैं जैसे हमारा नाम या date of birth या और कुछ ताकि हमे वो आसानी से याद रहे लेकिन इसमें हमें hackers से खतरा होता है क्यूंकि वो आसानी से हमारे password को hack कर हमारा details चुरा सकते हैं.

या फिर ऐसा भी हो सकता है की कोई व्यक्ति जो आपके जान पहचान का हो अगर उसे आपका username और password पता हो तो वो भी आपका account का इस्तेमाल कर गलत फायेदा उठा सकता है, इसलिए आज कल सभी banks, बहुत सारे e-commerce website और online recharge करने वाले websites ने OTP का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है जिससे उनके users का account सुरक्षित रह सके. OTP आपके account को safe रखता है और आपके banking और personal details को चोरी होने से बचाता है.

OTP से क्या फायेदा होता है?

OTP से हमारा सभी account जैसे Google account, net banking account, bank account इत्यादि सभी सुरक्षित रहते हैं.

OTP की खासियत ये है की इससे जो code generate होता है उसका इस्तेमाल सिर्फ एक ही बार किया जा सकता है और वो सिर्फ कुछ समय के लिए ही valid रहता है अगर उस समय के अन्दर हमने code का इस्तेमाल नहीं किया तो फिर वो code हमारे किसी काम का नहीं रहता. यानि की हम जितनी बार भी online transactions करते हैं उतनी बार ये code अलग अलग generate होते हैं जिससे हमारा account पूरी तरह से secure होकर रहता है.

अगर आपके किसी भी account का username और password किसी अन्य व्यक्ति को पता भी हो तब भी वो आपके account का इस्तेमाल नहीं कर पायेगा क्यूंकि उसके लिए OTP की जरुरत होगी जो सिर्फ आपके registered mobile नंबर पर या फिर आपके email id पर ही आएगा इसके बिना वो आपके account का गलत फायेदा नहीं उठा पायेगा.

OTP का इस्तेमाल कहाँ कहाँ किया जाता है?

OTP का इस्तेमाल सबसे ज्यादा तो net banking में online transactions करने के लिए किया जाता है इसके अलावा Google ने भी users के account को और भी सुरक्षित बनाने के लिए OTP security का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.

जिसको activate करने के बाद कोई भी दूसरा user अपने device से आपके account का details डाल कर login नहीं कर सकता क्यूंकि Google वहां पर verification करने के लिए OTP password मांगेगा जो सिर्फ आपके पास sms के जरिये आपके मोबाइल नंबर पर OTP code आएगा.

इस code के बिना वो user आपके account को access नहीं कर पायेगा. सभी e-commerce website जैसे Amazon, Flipkart, Snapdeal, eBay इत्यादि और digital wallet की सेवा प्रदान करने वाले online private companies जैसे Paytm, Freecharge, mobikwik, oxigen wallet इत्यादि ये सभी भी अपने customers के account को safe रखने के लिए OTP का इस्तेमाल कर रहे हैं.

OTP के फायदें – Advantages of OTP

चलिए अब जानते हैं की OTP के फायेदे क्या क्या होते हैं.

सुरक्षा या Security को बढ़ाने के – यह एक रकार का सुरक्षा कोड होता है. ऐसा इसलिए क्यूंकि यह यूजर का एक सुरक्षा कवच होता हैं. वहीँ इसके साथ ये पासवर्ड चोरी होने के बाद भी यूजर के अकाउंट को सुरक्षित रहता हैं. क्यूंकि बिना OTP को enter किये कोई अन्य व्यक्ति उसे एक्सेस नहीं कर सकता हैं.

यूजर का प्रमाणिकरण – इसके द्वारा वास्तविक यूजर का प्रमाणिकरण हो जाता हैं. ऐसा इसलिए क्यूंकि OPT केवल User के registered Mobile number पर ही जाता है. यदि सही यूजर ही अपने अकाउंट के माध्यम से कोई गतिविधि कर रहा हैं. जैसे पासवर्ड बदलना, मोबाईल नंबर अपडेट करना आदि तो इनके प्रमाणिकरण के लिए सिस्टम यूजर के द्वारा चुने गए तरीके के अनुसार उसे OTP भेजता हैं. इसे enter करने पर ही actions को valid माना जाता है.

Spamming से बचाव – जब हम ऑनलाईन पैसे का लेन-देन करते हैं तो बैंक खाताधारक से अनुमति लेने के लिए OTP भेजता हैं. ताकि असल खाताधारक की पहचान साबित हो जाए. इससे हम ठगी के शिकार होने से बचे रहते हैं. और वित्तिय लेन-देन (financial transaction) में ही इसका सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता हैं.

Double Security Enable कर सकते है – हम OTP के द्वारा अपने Account या सोशल मिडिया अकाउंट (फेसबुक, वाट्सएप ट्विटर गूगल इत्यादि) पर OTP Double Security enable कर सकते हैं. और इससे उन्हे ज्यादा सुरक्षित बना सकते हैं. ताकि कोई दूसरा user उसे access न कर सके.

मुफ्त – ये पूरी तरह से FREE होता है. इसके लिए यूजर को कोई अतिरिक्त शुल्क नही देना पडता हैं.

तेज – OTP से Original यूजर की पहचान सैकण्डों में साबित हो जाती हैं. यूजर को अपने पहचान कराने के लिए दस्तावेज लेकर मजिस्ट्रैट के पास हाजिर नहीं होना होता है.

आज आपने क्या सीखा

मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख One Time Password या OTP क्या है ? जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को OTP के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है.

इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे. यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं.

:धन्यवाद:

मंगलवार, 16 मार्च 2021

मार्च 16, 2021

Internet of Things( IOT) क्या है और कैसे काम करता है?

क्या आपने कभी Internet of Things क्या है या फिर IOT के विषय में सुना है? ये बहुत ही advanced technology है जिसे की बहुत ही जल्द हम अपने दैनिक जीवन में इस्तमाल करने वाले हैं.

एक सवाल में आपसे करने चाहता हूँ की आपके घर में सब्जी कोन लता है? इसका जवाब है शायद आप या फिर आपके कोई परिवार लोग. कैसा लगेगा आपको यदि में कहूँ की क्यूँ न आपका fridge खुदबकुद सब्जी की availability check करके खुद सब्जी के लिए order place कर दे. है न ये बहुत ही अद्भुत technology.

बस में इसी के विषय में आपको आज बताने वाला हूँ की कैसे Internet of Things हमारे जीवन को और भी आसान बनाने वाला है.

Internet of Things एक ऐसा concept है जिसके मदद से हमारे सारे काम automatic mode में चले जायेंगे. हमें उनके विषय में और चिंता करने की जरुरत नहीं है. इससे हमें अपने दैनिक कम करने की जररूत नहीं है.

तो इसलिए आज मैंने सोचा की क्यूँ न आप लोगों को आज में Internet of Things क्या होता है और इसे हम अपने काम में कैसे इस्तमाल कर सकते हैं के बारे में detail में जानेंगे.

इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स (IoT) क्या है?

IoT का Full Form है Internet of Things (IoT). ये एक ऐसा concept है जो ये बताता है की कैसा होगा अगर दुनिया की सारी चीज़ें (physical objects) जिसे की दैनिक इस्तमाल में लाया जाता है।

अगर internet से connect हो जाएँ तब. इस Internet of Things में ये सारे connected devices एक दुसरे को identify कर सकें जो की internet के साथ connected हों.

अगर इसे में आसान भाषा में कहूँ तब ये एक ऐसा concept है जिसमें सभी उपकरण जो की On या Off Switch से चलते हैं उन्हें Internet के साथ connect कर दिया जाये, या फिर एक दुसरे के साथ connect हो सकें.

इन उपकरणों के भीतर सभी दैनिक में इस्तमाल हो रहे चीज़ें शामिल है जैसे की cell phones, coffee makers, washing machines, headphones, lamps, सारे wearable devices और वो सब कुछ जिसके विषय में आप सोच सकें.

ये और भी आसान भाषा में – Internet of Things (IoT) एक ऐसा concept है जहाँ चीज़ें (Things) एक दुसरे के साथ बातचीत कर सकें या फिर दुसरे उपकरणों के साथ बात कर सकें.

Internet of Things – उदहारण

इस concept को और अच्छे से समझने के लिए चलिए एक उदहारण का सहारा लेते हैं जिससे आप और भी बेहतर तरीके से इसे समझ सकते हैं.

सोच लें के आप सुबह के समय में अपने खटिये पर लेटे हुए हैं और आपको नींद भी आ गयी है.
इतने में आपके हाथों में स्तिथ sensors को आपके heartrate में कुछ असामान्य लगता है, सासें बढ़ने लगती है, आपके व्यवहार में भी काफी बदलाव आता है.

इसलिए आपको धीरे से उठाने के बदले में ये यन्त्र बड़े जोरों से vibrate करने लगते हैं जिससे की आपका ध्यान उनके और आकर्षित कर सकें. इतने में आपका नींद टूट जाता है और आप अपने छाती को पकड़कर वहीँ अपने शरीर को सीधा करने की कोशिश करते हैं. इतने में आपको ये पता नहीं चलता है की आपके साथ क्या हो रहा है और आप अपने phone के तरफ बढ़ते हैं.

जैसे की आप mobile की screen खोलते हैं आपको वहां पर एक message दिखाई पड़ता है जिसपर ये लिखा होता है की आपका blood pressure high हो गया है और इसके साथ आपको दो aspirin लेने की सलाह भी देता है. इतना ही नहीं बल्कि इसके साथ वो आपके सारे signals को record भी कर लेता है और उन्हें आपके doctor के पास भेज देता है.

वहां hospitals में doctors आपके data को evaluate कर रहे होते हैं और उनके observation के बाद उन्हें लगता है की आपको hospital में तुरंत आ जाना चाहिए और इसके लिए वो electronically एक emergency medical team भी भेज देते हैं जिनके पास आपके health condition के सारे data मेह्जुद होता है और आपके घर के address का भी. जैसे ही वो आपके घर के निकट होते हैं आपको उनके आने का message भी आ जाता है. तुरंत ही वो आपको hospital चिकित्षित होने के लिए ले जाते हैं.

सुबह जब doctor आपके पास आते हैं तब आपको एक खुश खबरी देते हैं की आपका स्वास्थ्य अब पहले से बेहतर है और आपको अब चिंता लेने की कोई भी जरुरत नहीं है. आपको एक severe heart attack हुआ था लेकिन समय में treatment होने के कारण एक बड़ी मुसीबत हो पहले ही रोक लिया गया.

अब तो आप समझ ही गए होंगे की Internet of Things हमारे जीवन को किस प्रकार से बेहतर बना सकता है.

किसने ये term Internet of Things रखा था?

सन 1999 में एक scientist जिनका नाम था Kevin Ashton सबसे पहले इस concept का नाम ‘Internet of Things’ रखा था. तब वो P&G (जो की बाद में MIT’s Auto-ID Center बना) में काम किया करते थे.

ये भले ही एक नया term था, लेकिन इसके operation नए नहीं थे. इनके operation में जो techniques इस्तमाल में लाये जाते हैं जैसे की pervasive computing, ubicomp, और ambient intelligence इस सब की जानकारी पहले से ही लोगों को थी.

Note :  आपके जानकारी के लिए बता दूँ की Internet की first version को data creation internet के लिए बनाया गया था. वहीँ next version को data created by things के लिए बनाया गया है.

कोन कोन से devices IoT का हिस्सा बन सकते हैं ?

इसका बहुत ही आसान सा जवाब है की कोई भी चीज़ जिसे की connect किया जा सकता है उन्हें connect कर सकते हैं.

कोई भी device, अगर उसमें on और off की switch हो तब chances हैं की वो IoT का हिस्सा बन सकते हैं. आम तोर से ये देखा गया है की connected devices के प्राय तोर से I.P address होते हैं.

वहीँ Internet Protocol Version 6 (IPv6), के होने से उन devices में IP address को assign करना बहुत ही आसान हो गया है. क्यूंकि इसके मदद से अनगिनत devices के साथ connect किया जा सकता है.
ऐसे चीज़ें जिन्हें आप internet के साथ connect कर सकते हैं :

  • Connected Wearables – Smartwatches, Smart glasses, fitness bands etc.
  • Connected Homes – इसमें ऐसे उपकरण शामिल है जिन्हें की हम घर पर इस्तमाल करते हैं.
  • Connected Cars – vehicles जो की internet के साथ connect हो सकें.
  • Connected Cities – smart meters जो की आसानी से ये analyse कर सकते हैं water, gas, electricity के usage को

जिसे हम Operationally कह सकते हैं की ऐसे network जिनके भीतर बड़े आराम से Internet of things के उपकरण connect हो सकते हैं –

  • BAN (body area network): wearables,
  • LAN (local area network): smart home,
  • WAN (wide area network): connected car, and
  • VWAN (very wide area network): the smart city.

इस flow का key ये है की यहाँ data को control किया जा सकता है. ख़ास इसीलिए Google एक ऐसा Glass और Lens offer कर रहा है जो की NEST के साथ आपके heath data को synchronize कर देता है और Google Car जो की पुरे शहर में आपके location को track करे.

इन सबके पीछे का idea ये है की आपको Google Cloud और उसके services को कभी छोड़ने की जरुरत ही नहीं. आपके products ही gateways है networks के साथ link करने के लिए.

हमें Internet of Things क्यूँ चाहिए?

यहाँ पर में आप लोगों को इसके उपयोगिता के बारे में बताने वाला हूँ –

  • आपके physical और mental health के लिए best possible feedback प्रदान करता है.
  • Real-time monitoring में best possible resource allocation प्रदान करता है.
  • Mobility Patterns में best possible decision making प्रदान करता है.
  • इसके साथ local providers को best possible connection प्रदान करता है जिनके की आचे global potential हों.

IoT के मुख्य Opportunities और Benefits क्या हैं

IoT हमें ऐसे opportunity प्रदान करता है जिससे हम ज्यादा efficiently हमारे काम कर सकें जिससे की हमारे समय की बचत हो, और उसके साथ पैसों की भी. वहीँ हमारा काम भी आसानी से हो जाये.

Internet of Things हमें हमरे दैनिक के issues को समाधान करने में मदद करता है – जैसे की एक busy area में अपने car के लिए parking space खोजना, अपने home entertainment system को link करना और fridge के webcam से ये check करना की हमें और दूध चाहिए या नहीं.

इसके साथ IoT हमें industrially भी बहुत से benefits प्रदान करता है जैसे की :

1.  Unprecedented Connectivity का होना : IoT के data और insights के मदद से Industries को ये मालूम पड़ता है की उनके consumers को किस प्रकार की devices चाहिए और किस प्रकार की service जिससे वो और भी बेहतर innovative new products प्रदान कर सकें, इसके साथ वो अपने competitors के तुलना में ज्यादा अच्छे services प्रदान कर सकेंगे.

2.  Increased Efficiency: जैसे की हम जानते ही हैं की IoT networks बहुत ही smart और intelligent होते हैं जो की real-time data arm employees को प्रदान करते हैं जिसमें ऐसे information भी होते हैं जिससे की day-to-day efficiency और productivity को optimize किया जा सके.

3.  Cost Savings: IoT devices बहुत ही accurate data प्रदान करते हैं और Organization को automated workflows भी प्रदान करते हैं जिससे वो उनके operating costs और errors को minimize कर सकें.

4.  Time Savings: Smart devices के connect हो जाने से वो अलग अलग organizations को System और processes को enhance करने में मदद करते हैं जिनसे उनकी बहुत समय की बचत होती है.

IoT के मुख्य Threats और Challenges क्या हैं

ये तो हमें भी clearly दिखाई पड़ रहा है की Technology बड़ी जल्द ही तरक्की कर रहा है. ऐसे में अगर इसे सही समय में control नहीं किया गया तब ये हमारे लिए भविष्य में बड़ी बड़ी मुश्किलें ला सकता है.

7 billion से भी ज्यादा devices अब भी safe नहीं है और Manufactures को इसे 2020 से पहले secure करना पड़ेगा. इससे इस बात की गंभीरता का अनुमान लगा जा सकता है.

एक उदहारण के लिए IoT botnets, जिन्हें की network को manage करने के लिए तैयार किया गया था. लेकिन समय के साथ साथ इन्हें और update नहीं किया गया है जिसके चलते बहुत से बड़े websites और services 2016 में offline हो गए. परिणामस्वरुप लोगों को बहुत से मुश्किलों का सामना करना पड़ा.

सभी चीजें जो की internet से connected हो उन्हें hack किया जा सकता है, ऐसे में IoT भी इसमें शामिल है. ऐसे बहुत से scenes आप लोगों ने movies में देखे होंगे जहाँ की Hackers कैसे online बहुत से sites को hack कर लेते हैं.

यदि सभी चीज़ें online से link हो जाएँगी तब बहुत से privacy issue होने के बहुत chances हैं. भविष्य में intelligence services इस internet of things का इस्तमाल identification, surveillance, monitoring, location tracking, और recruitment targeting के लिए कर सकते हैं और networks के ऊपर access gain करने के लिए भी.

Summary

यदि में Internet of Things की बात करूँ तब ये devices का समाहार है – जो की simple sensors से smartphones और wearables तक – जब सभी कुछ एक साथ connect हो जाएँ.

IoT के माध्यम से अब devices आपस में भी बात कर सकते हैं और हमारे बहुत से कार्य कर सकते हैं. IoT एक बहुत ही बड़ा network है connected “things” (जिसमें की people भी शामिल हैं) का.

यहाँ relationship हो सकती है people-people, people-things, और things-things के बिच क्यूंकि सभी एक दुसरे के साथ एक ही network में connected हैं. ऐसे बहुत सारे Companies जो की बहुत ज्यादा IoT, AI और machine learning का इस्तमाल कर रहे हैं. ऐसा समय न आये की हमें पूरी तरह से IoT के ऊपर भी depend करना पड़े.

आज आपने क्या सीखा

मुझे पूर्ण आशा है की मैंने आप लोगों को Internet of Things क्या है? के बारे में पूरी जानकारी दी और में आशा करता हूँ आप लोगों को Internet of Things क्या है के बारे में समझ आ गया होगा.

मेरा आप सभी पाठकों से गुजारिस है की आप लोग भी इस जानकारी को अपने आस-पड़ोस, रिश्तेदारों, अपने मित्रों में Share करें, जिससे की हमारे बिच जागरूकता होगी और इससे सबको बहुत लाभ होगा. मुझे आप लोगों की सहयोग की आवश्यकता है जिससे मैं और भी नयी जानकारी आप लोगों तक पहुंचा सकूँ.

मेरा हमेशा से यही कोशिश रहा है की मैं हमेशा अपने readers या पाठकों का हर तरफ से हेल्प करूँ, यदि आप लोगों को किसी भी तरह की कोई भी doubt है तो आप मुझे बेझिजक पूछ सकते हैं. मैं जरुर उन Doubts का हल निकलने की कोशिश करूँगा.

आपको यह लेख What is Internet of Things?कैसा लगा मुझे comment लिखकर जरूर बताएं ताकि मुझे भी आपके विचारों से कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मोका मिले. मेरे पोस्ट के प्रति अपनी प्रसन्नता और उत्त्सुकता को दर्शाने के लिए कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, और Twitter इत्यादि पर share कीजिये.

शुक्रवार, 12 मार्च 2021

मार्च 12, 2021

Server क्या है और कैसे काम करता है?

Server या web server एक ऐसा computer होता है जो की वेबसाइट को run या चलाता है। ये असल में एक computer program होता है जो की वेब pages को बाँट देता है जैसे उन्हें request किया जाता है। Web server का जो मूल उद्देस्य होता है वो ये की वो वेब pages को store करे, उन्हें process करे और अंत में यूज़र को वो वेब पेज deliver भी करें।

ये तो थी थोड़ी बहुत जानकारी सर्वर के विषय में। Server के बारे में तो आप सभी ने कहीं ना कहीं सुना ही होगा खाश कर के students लोगों ने ज़रूर ही सुना होगा।

जब भी वो कोई competitive exams का form भर रहे होते हैं तो कई बार ऐसा होता है की form भरने के लिए जो website पर हमें जाना होता है वो website server के ऊपर पड़ रहे ज्यादा load की वजह से नहीं खुल पाता है क्यूंकि ये बात तो आप सभी को मालूम ही होगी की हमारे देश में बेरोजगारी कितनी है और हजारो लाखों नौजवान नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

तो जब भी कोई public sector या private sector में recruitment निकलती है तो लाखों नौजवान एक साथ forms भरते हैं और इसी वजह से उनके websites के server पर जहाँ उस websites का data store हो कर रहता है वहां ज्यादा load पड़ जाने की वजह से site खुलना ही बंद हो जाता.

तो दोस्तों हम जितने भी data या information internet के जरिये ढूँढते हैं या पाते हैं तो वो सभी जानकारी हमें कहाँ से मिलती है क्या ये आपको पता है? तो चलिए जानते हैं की Internet की दुनिया की एक बहुत ही प्रचलित शब्द Server क्या है और कैसे काम करता है के विषय में।

वेब सर्वर क्या होता है (What is Server in Hindi)

आखिर सर्वर किसे कहते हैं? Server एक तरह से कंप्यूटर होता है जो दूसरे कम्प्यूटर्स और उपयोगकर्ता को सेवा प्रदान करता है. यह एक Computer हो सकता है या एक hardware device या फिर computer program हो सकता है जिसे computer में load किया जाता है ताकि वो दुसरे computers को data और information भेज सके.

Server का काम है Internet के users को सेवा देना यानि की users को वो सभी जानकारी देना जो वो जानना चाहता है. जैसे हम YouTube में videos देखते हैं या फिर कोई information हम अपने device के web browser में जाकर search करते हैं तो हमे जो भी results अपने device पर देखने को मिलता है वो website या channel का data कहीं ना कहीं पर store हो कर रहता है जो server हमारे request भेजने पर हमें प्रदान करता है.

Google दुनिया का सबसे बड़ा search engine है जहाँ से हम जो चाहे जितने चाहे उतने data हासिल कर सकते हैं तो google हमें ये सभी data अलग अलग websites के servers से लाकर दे देता है.

Server एक computer की तरह ही होता है और दुनिया में बहुत सारे अलग अलग क्षमताओं के servers भी मौजूद हैं. एक normal laptop या computer में अगर हम server का program install कर दें तो वो computer भी एक server की तरह काम करेगा, ऐसे server को हम non-dedicated servers भी कहते हैं क्यूंकि ये 24 घंटे चालू रहकर काम करने के लिए नहीं होते.

Non- dedicated servers का इस्तेमाल home, schools, colleges, hospitals, offices इत्यादि जगहों पर किये जाते हैं जिसे हम local network भी कहते हैं.

लेकिन कुछ ऐसे computers भी होते हैं जो 24×7 चालू रहते हैं और दुसरे computers को serve करते हैं ऐसे computers को हम dedicated server कहते हैं.

ये computers बहुत ही मेहेंगे होते हैं और इनमे high quality और high speed का processor और RAM लगे हुए होते हैं. Internet की मदद से हम google में जो कुछ भी search करते हैं उसके नतीजे हमें dedicated servers से ही प्राप्त होते हैं.

सर्वर कैसे काम करता है?

उदहारण के तौर पर मै आपको बताती हूँ जैसे की मान लीजिये आपको YouTube पे एक video देखना है तो आप ने YouTube के search box में उस video का नाम लिखा और search किया।

तो ये एक request के रूप में उत्पन्न हो जाता है और ये request internet के जरिये YouTube के server पर चला जाता है जहाँ उसका सारा data store हो कर रहता है.

वहां पर server आपके द्वारा request किये गए video को ढूँढ कर उसका data आपके device पर भेज देता है जिसके वजह से आप वो video देख पाते हैं.

Internet से हम जितने भी काम करते हैं जैसे कोई file download करते हैं, browsing करते हैं, mail भेजते हैं, social networking sites का इस्तेमाल करते हैं इसके अलावा हम जितने भी काम करते हैं उन सभी चीजों में server हमारी मदद करता है और हम तक data पहुंचाता है.

आज आपने क्या सीखा

मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख सर्वर क्या है (What is Server) जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को सर्वर कैसे काम करता है के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है. इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे.

यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं.