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रविवार, 4 अप्रैल 2021

अप्रैल 04, 2021

रेडियो का आविष्कार किसने किया?

रेडियो का आविष्कार किस वैज्ञानिक ने किया? पिछले कुछ सालो से भारत में इंटरनेट और स्मार्टफोन्स दोनों ही काफी सस्ते हो गए हैं, जिसकी वजह से सोशल मीडिया और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स का साम्राज्य तो बढा लेकिन टेलीविजन का महत्व पहले जैसा नही रहा. टेलीविजन तो अब भी काफी लोग देख रहे हैं लेकिन इन उन्नत तकनीकों के बाजार में आने से रेडियो का तो इस्तेमाल ही काफी कम हो गया. अब रेडियो या तो केवल शौकीन लोग सुनते है या कार में ड्राइविंग के दौरान सुना जाता हैं. लेकिन यह नई तकनीके भी रेडियो के अविष्कार के बाद ही सम्भव हो पाई हैं.

आज के समय में एंटरटेनमेंट के साधनों की कोई कमी नही हैं. रेडियो तकनीकी को शुरुआत में सरकार के साथ रहीसो ने काम में लिया लेकिन जब यह तकनीकी थोड़ी सस्ती हुई तो रेडियो साधारण वर्ग के लोगो की पहुच में भी आने लगा.

पहले रेडियो का इस्तेमाल केवल खबरों के प्रसारण के लिए किया जाता था लेकिन बाद में यह मनोरंजन का एक जरिया भी बन गया. आज के समय के लोगो को रेडियो के अविष्कार का महत्व समझ नही आएगा लेकिन अगर उस समय रेडियो का अविष्कार न हुआ होता तो आज की संचार व्यवस्था शायद आज जैसी ना होती.

अगर आप नही जानते की ‘रेडियो का आविष्कार किसने किया था‘ तो यह लेख पूरा पढ़े.

रेडियो क्या है?

रेडियो का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में एफएम के चित्र आना धुर हो जाते हैं लेकिन असलियत में वह केवल एक यंत्र हैं. रेडियो के पूरी तकनीकी है जिसमे बिना तार के माध्यम से सन्देश एक जगह से दूसरी जगह भेजे जाते हैं. आज के समय के सभी बड़े-बड़े संचार के साधन और उपकरण रेडियो तकनीकी पर भी आधारित हैं.

सरल भाषा में रेडियो को समझा जाए तो यह एक ऐसी टेक्नोलॉजी हैं जिसमे Radio Waves (रेडियो तरंगों) का इस्तेमाल करते हुए सिग्नल दिए जाते है या फिर एक दूसरे से कम्युनिकेट किया जाता हैं.

आज की उन्नत रेडियो तकनीकी के जरिये हम एक रेडियो स्टेशन से रेडियो तरंगों के माध्यम से लाखो या करोड़ो लोगो को भी मेसेज दे सकते हैं. Radio Waves (रेडियो तरंगे) एक प्रकार की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगे होती है जिसकी फ्रीक्वेंसी 30Hz से लेकर 300GHz तक होती हैं.

रेडियो तरंगे एक ट्रांसमीटर के द्वारा जनरेट की जाती हैं जो की एंटीना से जुड़ा होता हैं. इन तरंगों को रिसीव करने वाले डिवाइज को रेडियो रिसीवर कहा जाता हैं जिसमे भी एक एंटीना होता हैं. वर्तमान में रेडियो काफी ज्यादा उपयोग की जाने वाली आधुनिक तकनीक हैं. राडार, रेडियो नेविगेशन, रिमोट कंट्रोल, रिमोट सेंसिंग आदि इसी पर आधारित हैं.

रेडियो कम्युनिकेशन का उपयोग टेलीविजन के ब्रॉडकास्ट, सेल्फोन्स, टू-वे रेडियो, वायरलेस नेटवर्किंग और सेटेलाइट कम्युनिकेशन आदि में किया जाता हैं. वही रेडियो आधारित राडार टेक्नोलॉजी से एयरक्राफ्ट, शिप, स्पेसक्राफ्ट, मिसाइल आदि को ट्रैक और लोकेट किया जाता हैं.

इसमे राडार के ट्रांसमीटर से तरंगे छोड़ी जाती हैं जो की एयरक्राफ्ट जैसे ऑब्जेक्ट्स रिफ्लेक्ट करते हैं जिनसे उनकी सटीक लोकेशन पता चलती हैं. हमारे द्वारा रोजाना उपयोग की जाने वाली GPS और VOR जैसी आधुनिक टेक्नोलॉजी भी रेडियो प्रौद्योगिकी पर ही आधारित हैं.

रेडियो का आविष्कार किसने किया था?

रेडियो का आविष्कार गूल्येलमो मार्कोनी (Guglielmo Marconi) ने किया था.

रेडियो तकनीकी के आविष्कार ने हमारे जीवन को काफी आसान बना दिया हैं. उद्योगों के साथ देश के डिफेंस सिस्टम में भी रेडियो तकनीक का उपयोग इसके अविष्कार को और भी महत्वपूर्ण बना देता हैं. आज की पूर्ण विकसित रेडियो तकनीक में कई वैज्ञानिकों और विद्वानों का योगदान हैं.

यहाँ तक की अगर आप गूगल पर ‘Who Invented Radio‘ सर्च करोगे तो आपको 3 नाम Guglielmo Marconi, Reginald Fessenden और William Dubilier जवाब के रूप में मिलेंगे. एंकर अलावा और भी न जाने कितने बुद्धिजीवियों का योगदान रेडियो के आविष्कार में हैं. लेकिन रेडियो के अविष्कार का मुख्य श्रेय ‘Guglielmo Marconi’ को ही दिया जाता हैं.

Guglielmo Marconi (गुलिएल्मो मारकोनी) को रेडियो तकनीकी का मुख्य अविष्कारक माना जाता हैं. 1880 के दशक में Heinrich Rudolf Hertz के द्वारा ‘इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों’ की खोज के बाद गुगलैल्मो मारकोनी ही वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस तकनीकी का उपयोग करते हुए लम्बी दूरी के संचार के लिये एक सफल उपकरण तैयार किया.

इसी कारण उन्हें रेडियो का आविष्कारक माना जाता हैं. उस समय विशेषज्ञों के द्वारा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों के अध्ययन के लिये उपकरण तैयार किये जा रहे हैं. गुलिएलमो मारकोनी ने पहला सफल उपकरण तैयार किया.

गुलिएल्मो मारकोनी के आविष्कार के बाद सन 1900 में 23 दिसम्बर को एक केनेडियन आविष्कारक Reginald A. Fessenden ने इलेक्ट्रॉमैग्नेटिक तरंगों का उपयोग करते हुए 1.6 किलोमीटर की दूरी से सफलतापूर्वक एक ऑडियो भेजी. वह ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति बने.

इसके 6 साल बाद 1906 में Christmas Eve ने पहला पब्लिक रेडियो प्रोडकास्ट किया. धीरे धीरे इसका उपयोग बढ़ा और 1910 के आसपास इस वायरलेस इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिस्टम को ‘Radio’ (रेडियो) का नाम मिला.

रेडियो का आविष्कार कब हुआ

1880 की दशक में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंग की खोज हुई. यह खोज Heinrich Rudolf Hertz ने की थी. इसके ऊपर एक किताब बनाई गयी जिसमे इस विषय की पुरानी विफल खोजो और हर्ट्ज के द्वारा सफलतापूर्वक खोज के साथ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों के बारे में डिटेल में जानकारी दी गयी.

यह किताब पूरी दुनिया के विशेषज्ञों ने पड़ी जिनमें से एक जगदीश चंद्र बसु भी थे. बसु ने उस किताब पर इतना प्रभाव डाला की उन्होंने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों पर आधारित एक उपकरण बनाया.

एक वैज्ञानिक प्रदर्शन के दौरान उन्होंने दूर रखी एक घण्टी को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों के माध्यम से बजाकर दिखाया था. उस समय यह एक अविश्वसनीय बात थी. यह मार्कोनी के अविष्कार से भी पहले की बात हैं.

इसके बाद ही गुलिएल्मो मार्कोनी ने रेडियो का आविष्कार किया. मार्कोनी ने रेडियो का अविष्कार 1890 के दशक में किया था. यूएस पेटेंट रिकार्ड्स के अनुसार ‘गुलिएल्मो मार्कोनी ने रेडियो का अविष्कार 1896 में किया’ था.

इसी साल उन्हें रेडियो के अविष्कार के लिए पेटेंट किया गया था. गुलिएल्मो मार्कोनी का आधिकारिक तौर से रेडियो का आविष्कारक माना जाता हैं.

 रेडियो का इतिहास

रेडियो का आविष्कार को दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण आविष्कार उनमें से एक माना जाता है. आज के आधुनिक रेडियो सिस्टम का श्रेय किसी एक वैज्ञानिक को नही दिया जा सकता हैं. रेडियो के आविष्कार का इतिहास थोड़ा बड़ा नज़र नज़र आता हैं. एक ब्रिटिश वैज्ञानिक James Clerk Maxwell ने रेडियो के आविष्कार की शुरुआत की.

वह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों पर काम किया करते थे. वह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों का सटीक सिद्धांत नही दे पाए. इसके बाद ब्रिटिश वैज्ञानिक Oliver Heaviside ने इस खोज को आगे बढ़ाया लेकिन वह भी सटीक रूप से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों को नही समझा पाए.

इसके बाद आख़िरकार Heinrich Rudolf Hertz  ने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों की सफलतापूर्वक खोज की. उन्हें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों से जुड़े मुख्य सवालो का जवाब ढूंढने में सफलता मिली. हर्ट्ज की खोज के बाद जगदीश चन्द्र बसु और ओलिवर लॉज जैसे वैज्ञानिकों ने खोज को आगे बढ़ाया.

आख़िरकार सन 1896 में गुलिएल्मो मार्कोनी ने रेडियो का आविष्कार किया. शुरुआत में इस खोज का उपयोग सेनाओं ने किया लेकिन बाद में खोज के कारीगर साबित होने के कारण सरकारें भी इसका इस्तेमाल करने लगी. बीबीसी जैसी कई बड़ी कम्पनियो ने पॉडकास्टिंग के लिए रेडियो तकनीकी का उपयोग करना शुरू कर दिया.

भारत में पहली बार 1920 में मुम्बई से रेडियो प्रसारण शुरू किया गया इसके लियर मुम्बई में रेडियो क्लब तैयार किया गया. 1923 में मुम्बई के रेडियो क्लब से पहले बड़े कार्यक्रम का रेडियो से प्रसारण किया गया. इसके बाद 1927 में मुम्बई और कलकत्ता में निजी स्वामित्व वाले 2 ट्रांसमीटरों से प्रसारण सेवा की स्थापना हुई.

1930 में ट्रांसमीटरों को सरकार के नियन्त्रण में ले लिया और ‘भारतीय प्रसारण सेवा’ के नाम से प्रसारण शुरू किया जिसका नाम बाद में ‘आल इंडिया रेडियो’ कर दिया गया था. आजादी के बाद AIR ने रेडियो को आगे बढ़ाना शुरू किया. हर शहर में AIR के कार्यालय बनाए गए और रेडियो प्रसारण घर-घर तक पहुचने लगा.

आज आपने क्या सीखा

मुझे उम्मीद है की आपको मेरा यह लेख रेडियो का आविष्कार किसने किया जरुर पसंद आया होगा. मेरा हमेशा से यही कोशिश रहता है की readers को रेडियो का परिचय के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है.

इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे. यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं.

रविवार, 28 मार्च 2021

मार्च 28, 2021

फोन का आविष्कार किसने किया?

आज की नई पीढ़ी क्रिकेट नही बल्कि स्मार्टफोन में हैवी ग्राफिक्स वाले गेम खेलती हैं. फ़ोन के आविष्कार को पॉजिटिव और नेगेटिव, दोनों ही तरीके से लिया जा सकता हैं. लेकिन फ़ोन के आविष्कार ने जैसे दुनिया को बहुत छोटा और आसान बना दिया हैं.

अगर आपके पास एक फोन और उसमें इंटरनेट है तो आप पूरी दुनिया की खबरों से अपडेटेड रह सकते हैं और अपने दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ जुड़े रह सकते हैं. आज के स्मार्टफोन्स से न केवल कॉल्स और SMS किये जा सकते हैं बल्कि इंटरनेट के जरिये सोशल मीडिया जैसे माध्यमो से हम लोगो से जुड़े रह सकते हैं.

स्मार्टफोन इंडस्ट्री काफी तेजी से आगे बढ़ रही हैं. आज के समय मे हमें काफी कम कीमत में काफी एडवांस और बेहतरीन स्मार्टफोन मिल जाते हैं. लेकिन क्या आपको याद हैं कि दुनिया के पहले मोबाइल फ़ोन की कीमत 2 लाख से भी ज्यादा थी जिससे एक बार चार्ज करने पर केवल 30 मिनट बात की जा सकती थी.

स्मार्टफोन के आविष्कार में आज उन कामो को सामान्य बना दिया है जिनजे बारे में शायद आज से 20 साल पहले किसी ने सोचा भी नही होगा. अगर आपके पास स्मार्टफोन है तो ना आपको घड़ी रखने की जरूरत है और ना ही वॉलेट! इसके अलावा और ना जाने कितने काम हमारा फ़ोन ही कर देता हैं.

हम सभी रोजाना कई घंटे अपने स्मार्टफोन पर बिताते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि फोन का आविष्कार किसने किया और फोन का आविष्कार कब हुआ? अगर नहीं, तो यह लेख पूरा पढ़िए. इस लेख में  मैने दुनिया के पहले फ़ोन के आविष्कार के विषय पर बात की हैं.

फ़ोन क्या है?

फोन एक ऐसा यंत्र है जिसके माध्यम से दो व्यक्ति एक दूसरे से दूर होते हुए भी आपस में बात कर सकते हैं. अगर कोई व्यक्ति दुनिया के एक कोने में और दूसरा व्यक्ति दुनिया के दूसरे कोने में भी बैठा है तो वह फोन के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े रह सकते हैं.

वैसे तो फोन कई प्रकार के होते हैं लेकिन टेलीफोन के आविष्कार के बाद उसे छोटे आकार में बदलने और अधिक तकनीकी व फीचर्स के साथ पेश करने की सोच ने ही ‘फोन‘ को जन्म दिया. फ़ोन टेलीफोन से साइज में काफी छोटे होते है और व्यक्ति इन्हें साथ मे लेकर भी ट्रेवल कर सकता हैं.

फोन भी टेलीफोन की तरह एक प्रकार का कम्युनिकेशन डिवाइस होता है जिसके माध्यम से दो व्यक्ति आपस में बात कर सकते हैं. फोन के माध्यम से दो या दो से अधिक व्यक्ति एक दूसरे से दूर होते हुए भी वर्चुअली बात कर सकते हैं.

फोन एक ऐसा यंत्र होता है जो किसी भी प्रकार की आवाज मुख्य रूप से मानवीय आवाज (Human Voice) को इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल्स में कन्वर्ट करता है जो केबल या इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंग जैसे माध्यमो से दूसरे व्यक्ति तक पहुचती है और दूसरा व्यक्ति पहले व्यक्ति को सुन पाता हैं.

मोबाइल फोन का आविष्कार किसने किया?

मोबाइल फोन का आविष्कार मार्टिन कूपर ने किया था. आज के समय में हमारे हाथों में उंगलियों के इशारों पर चलने वाले टच-स्क्रीन स्मार्टफ़ोन्स मौजूद हैं जिनमे हजारो फीचर्स मौजूद हैं.

फोन इंडस्ट्री को इस स्तर तक पहचाने के पीछे लाखों इंजीनियर विद्वानों और वैज्ञानिकों का हाथ है लेकिन यह सब इसलिए ही शुरू हो पाया क्योंकि एलेग्जेंडर ग्राहम बेल ने टेलीफोन का आविष्कार किया और उसके बाद विद्वानों ने इसे और भी छोटा और एडवांस बनाने की कोशिश की.

टेलीफोन के आविष्कार के बाद से ही इसे और भी ज्यादा आधुनिक और पोर्टेबल बनाने की कोशिश की जा रही थी. कई कंपनियों और विद्वान इस क्षेत्र में काम कर रहे थे लेकिन मोटरोला के इंजीनियर मार्टिन कूपर में सबसे पहले जीत हासिल की.

दुनिया के पहले फोन का आविष्कार करने वाले व्यक्ति मार्टिन कूपर ही थे जिन्होंने साल 1970 में मोटोरोला को जॉइन किया था. मार्टिन एक अमेरिकी थे जिन्हें टेलीकॉम इंडस्ट्री में काफी रूचि थी. मार्टिन कूपर वायरलेस तकनीक पर काम कर रहे थे. वह इस तकनीकी का उपयोग करते हुए एक टेलीफोन जैसा उपकरण बनाना चाहते थे जिसमे कोई केबल ना हो.

आखिरकार मार्टिन में दुनिया के पहले फोन का आविष्कार किया जिसका वजन 1.1 किलोग्राम था और एक बार बार चार्ज करने के बाद इस फ़ोन से 30 मिनट तक कॉलीन्ग की जा सकती थी. इस फ़ोन को चार्ज होने में 10 घण्टे लगते थे. दुनिया के इस पहले फोन की कीमत 2700 अमेरिकी डॉलर यानी कि करीब 2 लाख रुपये थी.

दुनिया के पहले फोन का आविष्कार कब हुआ?

सन 1876 में एलेग्जेंडर ग्राहम बेल ने टेलीफोन का आविष्कार किया था. Guglielmo Marconi ने 1890 के दशक में वायरलेस टेक्नोलॉजी को सिद्धांतो के साथ इंट्रोड्यूस किया था. इसके बाद दोनों ही क्षेत्रों में कई विद्वान काम करने लगे.

इनमें से कुछ ऐसे भी थे जो इन दोनों तकनीकी को मिलाकर एक ऐसा यंत्र बनाना चाहते थे जिससे बिना किसी केबल के दो या दो से अधिक व्यक्ति आपस में बात कर सकें. वायरलेस तकनीकी में रुचि रखने वाले मार्टिन कूपर ने 1970 में मोटोरोला कम्पनी को एक इंजीनियर के तौर ओर जॉइन किया और साल 1973 में उन्होंने पहले फोन का आविष्कार किया. एक ध्यान देने वाली और रोचक बात यह भी हैं की दुनिया का पहला फ़ोन मोटोरोला का था.

सबसे पहला मोबाइल का नाम क्या था?

पूरी दुनिया के पहले मोबाइल का नाम Motorola DynaTAC था जो 9 इंच का था और इसका वजन करीब 2.5 पाउंड यानी 1.1 किलोग्राम था. मार्टिन कोपर के इस आविष्कार के बाद से ही मोबाइल कॉल इंडस्ट्री और टेलीकॉम इंडस्ट्री की शुरुआत होने लगी.

मार्टिन कूपर के द्वारा किए गए इस आविष्कार के बाद एक दशक तक इस पहले मोबाइल फोन की खामियों को दूर करने की कोशिश जारी रही और देश में सेलुलर नेटवर्क को भी बेहतर बनाने पर काम किया जाता रहा. करीब 10 साल बाद 1983 में मोटोरोला ने सामान्य लोगों के लिए मोबाइल फोन बाजार में उतारा जिसका नाम Motorola DynaTAC 8000X था.

इस फ़ोन की कीमत 3995 डॉलर यानी कि 2.80 लाख रुपये थी. इस फ़ोन की बैटरी 6 घण्टे तक चलती थी और फ़ोन में 30 लोगो के कॉन्टेक्ट्स तक सेव किये जा सकते थे.

पहली मोबाइल टेलीफोन की सेवा कहाँ और कब दी गयी थी?

पहली मोबाइल टेलीफोन की सेवा सं 1926 में Deutsche Reichsbahn की first class यात्रियों को प्रदान की गयी थी जो की Berlin और Hamburg के बीच सफ़र कर रहे थे.

पहली मोबाइल कॉल कहाँ पर और कब की गयी थी?

पहली मोबाइल कॉल सन 1946 में एक car की radiotelephone में की गयी थी Chicago में. चूँकि काफी काम मात्रा में radio frequencies उपलब्ध था, इसलिए service बहुत ही जल्द अपनी पूरी capacity पर पहुँच गयी.

पहली Automated Mobile Phone System कब शरू की गयी और कहाँ पर?

पहली automated mobile phone system सन 1956 में Sweden में शुरू की गयी थी. शुरू में ये केवल private vehicles में ही दी जा रही थी. उस समय इस device को install किया जाता था एक car में, वहीँ इसमें vacuum tube technology का इस्तेमाल होता था वो भी rotary dial के साथ. वहीँ इसका वजन करीब 40Kg था.

फ़ोन के आविष्कारक मार्टिन कूपर की जीवनी

दुनिया के पहले सेल फोन का आविष्कार करने वाले मार्टिन कूपर का जन्म साल 1928 में संयुक्त राज्य अमेरिका के शिकागो शहर में हुआ था. मार्टिन ने अपनी शुरुआती शिक्षा शिकागो शहर से ही प्राप्त की.

इसके बाद मार्टिन ने साल 1957 में Illinois Institute of Technology से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री ली. साल 1954 से मार्टिन ने मोटरोला के साथ काम करना शुरू कर दिया और 1970 में उन्हें कंपनी में एग्जीक्यूटिव की पोस्ट पर प्रमोट कर दिया गया.

अपने कंप्यूटर को पीछे छोड़ने के लिए ही मार्टिन ने सेल फोन के आविष्कार के बारे में सोचा था. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मार्टिन को सेल फोन का आईडिया स्टार ट्रेक टिवी जो को देख कर आया था जिसमें किरदारों के पास इस प्रकार के छोटे डिवाइस होते तो जिससे वह एक दूसरे से बात कर पाते थे.

आज आपने क्या सीखा

मुझे आशा है की मैंने आप लोगों को फ़ोन का आविष्कार किसने किया के बारे में पूरी जानकारी दी और में आशा करता हूँ आप लोगों को फ़ोन के आविष्कारक मार्टिन कूपर की जीवनी के बारे में जानकारी मिल गया होगा.

यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं.

:धन्यवाद: