नमस्कार दोस्तों, मैं Subham sahu हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक under Graduate student हूँ. मुझे नयी नयी Technology से सम्बंधित चीज़ों को सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा मज़ा आता है. मेरी आपसे विनती है की आप लोग इसी तरह मुझे सहयोग देते रहिये और मैं आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहूंगा.

गुरुवार, 1 अप्रैल 2021

अप्रैल 01, 2021

5G क्या है और ये इंडिया मे कब आएगा?

आपके मन में बहुत सारे सवाल आ रहे होंगे जैसे, 5G Technology कैसे काम करता है, 5G मोबाइल कब आएगा और 5G इंडिया मे कब आएगा. इन सब के बारे में आपको निचे बिसार से जानकारी मिलेगा.

क्या आप जानते हैं की 5G क्या है (What is 5G?)? ये 5G Technology कैसे काम करती है? मेह्जुदा 4G के मुकाबले ये 5G किस माईने में बेहतर है? इन्ही सभी चीज़ों के विषय में अगर आपको जानना है तब आपको ये post जरुर पढनी होगी. फोन और हमारा रिश्ता काफी पुराना है और उतना ही मजबूत भी.

जहाँ पहले के फ़ोन wire वाले हुआ करते थे, फिर cordless का ज़माना आया और अब wireless phone का दोर चल रहा है. पहले के basic phones के जगह अब के generation के लोग Smart Phones का इस्तमाल करते हैं. फ़ोन के इस बदलते रूप रंग के साथ उसकी generation भी जुडी हुई होती है जो की 1G से 4G का सफ़र तो तय कर चुकी है और अब आगे 5G की तरफ अपना रुख का रही है. ऐसे में ये जानना काफी रोचक हो सकता है की ये आने वाली 5G क्या है?

इसमें इस्तमाल होने वाली Technology क्या है और ये कैसे मेह्जुदा Mobile Industry में बदलाव ला सकती है. इससे कैसे लोग उपकृत हो सकते है, इत्यदि.

अगर हम पिछले कुछ वर्षों को देखें तब हम ये जान सकेंगे की प्रति 10 वर्षों में Mobile Technology के field में एक generation की बढ़ोतरी हो रही है. जैसे की शुरुवात हम First Generation (1G) सन 1980s में, Second Generation (2G) सन 1990s में, Third Generation (3G) सन 2000s में, Fourth Generation (4G) सन 2010s में, और अब Fifth Generation (5G) की बरी है.

हम धीरे hire ज्यादा sophisticated और smarter technology की और रुख कर रहे हैं. इसलिए आज मैंने सोचा की क्यूँ न आप लोगों को 5G क्या है और ये कैसे काम करता है के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे आपको भी इस नयी technology के विषय में जानकारी हो. तो बिना देरी किये चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं की 5G नेटवर्क क्या है और 5G इंडिया में कब आएगा?

5G क्या है (5G Technology)

5G मोबाइल नेटवर्क का पांचवा जनरेशन है. 5g का Full Form है Fifth Generation. ये Fifth-generation wireless, या 5G, बहुत ही latest cellular technology है, जिसे की ख़ास तोर से engineered किया गया है जिससे की wireless networks की speed और responsiveness को आसानी से बढाया जा सके.

वहीँ 5G, में data को wireless broadband connections के माध्यम से लगभग 20 Gbps से भी ज्यादा की speed में transmit किया जा सकता है. इसके साथ ये बहुत ही कम latency जो की है 1 ms offer करती है और जहाँ real-time feedback की जरुरत है वहां और भी कम. 5G में ज्यादा bandwidth और advanced antenna technology होने के कारण इसमें ज्यादा amount की data को wireless के माध्यम से transmit किया जा सकता है.

यहाँ पर speed, capacity और latency, में improvement के अलावा 5G दुसरे network management features भी प्रदान करती है, जिसमें की मुख्य है network slicing, जो की दुसरे mobile operators को allow करती है multiple virtual networks create करने के लिए वो भी एक single physical 5G network में.

इस capability से wireless network connections को किसी specific uses या business cases में इस्तमाल किया जा सकता है और इसे as-a-service basis में बेचा भी जा सकता है. एक उदहारण के तोर पर self-driving car, जो की एक network slice require करता है जो की extremely fast, low-latency connections प्रदान करती है. इससे एक vehicle real-time में navigate कर सकती है.

वहीँ एक home appliance, को हम एक lower-power, slower connection के via भी connect कर सकते हैं क्यूंकि इसमें high performance की कोई जरुरत ही नहीं है. इसके अलावा internet of things (IoT) में हम secure, data-only connections का इस्तमाल कर सकते हैं.

5G networks और services को कई stages में deploy किया जायेगा next कुछ वर्षों में जो की बढती mobile और internet-enabled devices की जरुरत हो आसानी से पूर्ण कर सके. Overall, की बात करें तब 5G के माध्यम से हम बहुत variety के नए applications को generate कर सकते हैं.

भारत में अभी 4G का विस्तार हो रहा है मगर दुनियाभर के टेलिकॉम ऑपरेटर्स मोबाइल टेक्नॉलजी की अगली जेनरेशन 5G लाने की तैयारी में जुट गए हैं। इसीलिए उसने 5G लाने की तैयारी शुरू कर दी है।

5G Technology के Features

अभी हम कुछ विशेष 5G technology features के संधर्व में जानते हैं. चलिए जानते हैं की आखिर 5G Technology में ऐसे क्या नए features है जो की मेह्जुदा network technology में नहीं है.

  • इसमें Up to 10Gbps data rate का होना. इसके साथ 10 to 100x की rate में network improvement होना 4G और 4.5G networks की तुलना में.
  • 1 millisecond latency का होना
  • इसमें 1000x bandwidth per unit area का होना
  • इसमें हम Up to 100x number के connected devices per unit area (अगर हम 4G LTE के साथ तुलना करें) तक connect कर सकते हैं
  • ये सभी time available होता है. इसलिए इसकी 99.999% तक availability है
  • इसके अलावा ये 100% coverage प्रदान करता है
  • ये energy save करने में काफी मदद करता है. जिसके चलते ये लगभग 90% तक network energy usage कम करने में मदद करता है
  • इसमें आप low power IoT devices जो की करीब 10 सालों तक आपको power प्रदान कर सकती है का इस्तमाल कर सकते हैं
  • इसमें High increased peak bit rate होती है
  • ज्यादा data volume per unit area (i.e. high system spectral efficiency) होती है
  • ज्यादा capacity होती है जो की इसे ज्यादा devices के साथ concurrently और instantaneously connect होने में मदद करती है
  • ये Lower battery consumption करती है
  • ये बेहतर connectivity प्रदान करती है किसी भी geographic region की अगर आप बात करें तब
  • ये ज्यादा नंबर की supporting devices को support कर सकती है
  • इसमें infrastructural development करने में काफी कम लागत लगती है
  • इसके communications में ज्यादा reliability होती है

5G Technology कैसे काम करता है

Wireless networks में मुख्य रूप से cell sites होते हैं जिन्हें की sectors में divide किया गया होता है जो की radio waves के माध्यम से data send करते हैं. ये कहना गलत नहीं होगा की Fourth-generation (4G) Long-Term Evolution (LTE) wireless technology ने ही 5G का foundation तैयार किया था.

जहाँ 4G, में बड़े, high-power cell towers की जरुरत होती है signals को radiate करने के लिए longer distances में, वहीँ 5G wireless signals को transmit करने के लिए बहुत सारे small cell stations की जरूरत होती है जिन्हें की छोटी छोटी जगह जैसे की light poles या building roofs में लगाया जा सकता है.

यहाँ पर multiple small cells का इस्तमाल इसलिए होता है क्यूंकि ये millimeter wave spectrum में — band of spectrum हमेशा 30 GHz से 300 GHz के भीतर ही होती है और चूँकि 5G में high speeds पैदा करने की जरुरत होती है, जो की केवल short distances ही travel कर सकता है.

इसके अलावा ये signals किसी भी weather और physical obstacles, जैसे की buildings से आसानी से interfere हो सकते हैं.

यदि हम पहले generations के wireless technology की बात करें तब इसमें spectrum की lower-frequency bands का इस्तमाल होता था. इसके साथ millimeter wave challenges जिससे की distance और interference ज्यादा होती है, इससे जूझने के लिए wireless industry ने 5G networks में lower-frequency spectrum का इस्तमाल करने का सोचा है जिससे Network operators उस spectrum का इस्तमाल कर सकें जो की उनके पास पहले से ही मेह्जुद है.

एक चीज़ हमें ध्यान रखना चाहिए की Lower-frequency spectrum हमेशा ज्यादा distances cover करती है लेकिन इसमें lower speed और capacity होती है millimeter wave की तुलना में.

5G Deployment की Status क्या है?

5G की मुख्य development विश्व के इन चार देशों में सबसे ज्यादा है वो हैं United States, Japan, South Korea और China. यहाँ पर Wireless network operators ज्यादा ध्यान 5G buildouts को बनाने में दे रहे हैं. माना जा रहा है की Network operators 2030 तक लगभग करोड़ों billions dollars 5G के सन्धर्व में खर्च करने वाले हैं.

जाने माने Tech company Technology Business Research Inc., का कहना है की ये बात अभी तक भी साफ़ नहीं है की ये 5G services किस प्रकार से अपने investment का return generate करेंगे.

ये उम्मीद है की नए companies और Startup जो की 5G के Evolving technology का इस्तमाल करना चाहते हैं वो इन operators के revenue का ख्याल रख सकते हैं.

Simultaneously, दुसरे standards bodies भी universal 5G equipment standards के ऊपर काम कर रहे हैं. निकट में ही 3rd Generation Partnership Project (3GPP) ने 5G New Radio (NR) standards के लिए December 2017 में approval दे दी है और 2018 के ख़त्म होने तक वो 5G mobile core standard जो की 5G cellular services के लिए बहुत जरुरी है को समाप्त कर देने की उम्मीद रखते हैं. ये 5G radio system 4G radios के साथ compatible नहीं है, लेकिन network operators ने wireless radios की खरीदारी करी है जिन्हें की वो upgrade करना चाहते हैं. वो इसे Software के द्वारा upgrade करना चाहते हैं न की hardware update क्यूंकि hardware update में उन्हें नए equipment खरीदने की जरुरत पड़ सकती है.

जहाँ 5G wireless equipment standards प्राय समाप्त हो चुकी हैं ऐसे में first 5G-compliant smartphones और दुसरे associated wireless devices commercially 2019 तक available हो जाने की उम्मीद हैं. 5G technology का सम्पूर्ण इस्तमाल 2020 से होने की उम्मीद की जा रही है. सन 2030 तक, 5G services का इस्तमाल full-fledged रूप से किया जायेगा और इसका इस्तमाल virtual reality (VR) content में autonomous vehicle navigation में किया जायेगा. इसे real-time में monitor भी किया जा सकेगा.

Types of 5G wireless services available

Network operators मुख्य रूप से दो प्रकार के 5G services प्रदान करते हैं.
पहला Service है 5G fixed wireless broadband services का जो की internet access deliver करती है घरों और businesses को बिना किसी wired connection के उनके premises तक.

ऐसा करने के लिए network operators NRs को deploy करते हैं छोटे cell sites में buildings के निकट जिससे ये कोई signal को beam कर पाए receiver तक जो की किसी rooftop या windowsill में मेह्जुद हो, इससे ये premises के भीतर amplified हो जाता है.

Fixed broadband services operators के लिए भी सस्ता हो जाता है service प्रदान करने के लिए क्यूंकि इस approach के द्वारा उन्हें प्रत्येक residence को fiber optic lines बिछाने की जरुरत नहीं पड़ती है, बल्कि केवल cell sites तक ही fiber optics install करनी होती है, और customers broadband services receive करते हैं wireless modems के द्वारा जो की उनके residences या businesses में स्तिथ होता है.

दूसरा Service है 5G cellular services का जो की user को operator के 5G cellular networks service को access करने की सुविधा प्रदान करती है. ये services सबसे पहले rolled out होगी सन 2019 में, जब पहली 5G-enabled devices commercially available होंगी खरीदने के लिए.

Cellular service की delivery भी निर्भर करती है mobile core standards के completion के ऊपर 3GPP के द्वारा. उम्मीद की जा रही है की ये 2018 के ख़त्म होने तक complete हो जाएगी.

5G के Advanced Features क्या हैं

यदि हम पहले के radio technologies के साथ इस नयी 5G technology की तुलना करें तब इसमें ये following advancement हम देख सकते हैं जैसे की −

  • इसमें हम Practically super speed जो की है 1 से 10 Gbps को पा सकते हैं.
  • यहाँ पर Latency होगी 1 millisecond (end-to-end round trip में).
  • इसके साथ यहाँ पर 1,000x bandwidth per unit area होती है.
  • ये बहुत ही आसानी से 10 से 100 devices तक connect हो सकता है.
  • ये Worldwide coverage प्रदान करता है.
  • इसके अलावा लगभग 90% की energy reduction में इसका हाथ है.
  • इसमें Battery life बहुत ही लम्बी होती है दूसरों के मुकाबले.
  • इसका साथ यहाँ पर पूरी दुनिया एक wi fi zone बन जाती है.

5G की स्पेक्ट्रम बैंड क्या है

5G नेटवर्क्स 3400 MHz , 3500 MHz और 3600 MHz बैंड्स पर रन करते हैं। 3500 MHz बैंड को आदर्श माना जाता है। मिलीमीटर वेव स्पेक्ट्रम 5G में अहम भूमिका निभा सकता है। इन्हें मिलीमीटर वेव्स इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनकी लेंग्थ 1 से 10 mm होती है।

मिलीमीटर तरंगें 30 से 300 GHz फ्रिक्वेंसीज़ पर काम करती हैं। अभी तक इन तरंगों को सैटलाइट नेटवर्क्स और रडार सिस्टम्स में इस्तेमाल किया जा सकता है।

अगर 5G में मिलीमीटर वेव्स इस्तेमाल की जाती हैं तो इसका श्रेय सर जगदीश चंद्र बोस को भी जाएगा। उन्होंने 1895 में ही दिखाया था कि इन वेव्स को कम्यूनिकेशन के लिए यूज किया जा सकता है।

5G के मुख्य Advantages क्या हैं?

वैसे 5G के ओ बहुत सारे advantages हैं, इसलिए मैंने उनके विषय में निचे आप लोगों को बताने के कोशिश करी है –

  • High resolution और bi-directional large bandwidth shaping का होना.
  • इसके माध्यम से सभी networks को एक ही platform के अंतर्गत लाया जा सकता है.
  • ये बहुत ही ज्यादा effective और efficient है.
  • बेहतर Download और Upload Speed का होना.
  • इस Technology के माध्यम से subscriber को supervision tools प्रदान किये गए हैं जिससे वो quick action ले सकते हैं.
  • इसके द्वारा बड़े पैमाने में broadcasting data (in Gigabit) हो सकती हैं, जिससे ये 60,000 connections से भी ज्यादा को support कर सकता है.
  • इसे previous generations के साथ आसनी से manage किया जा सकता है.
  • ये Technological sound है heterogeneous services (जिसमें की private network) को support करने के लिए.
  • इस technology के द्वारा पूरी दुनिया में uniform, uninterrupted, और consistent तरीके से connectivity प्रदान किया जा सकता है.
  • इसमें parallel multiple service आप पा सकते हैं जैसे की आप बात करते हुए weather और location की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
  • आप अपने PCs को handsets के जरिये control कर सकते हैं.
  • इससे Education बहुत ही आसान हो जाता है क्यूंकि कोई भी student दुनिया के किसी भी छोर से ज्ञान प्राप्त कर सकता है.
  • Medical treatment भी आसान हो सकती है क्यूंकि एक doctor किसी मरीज को जो की दुनिया के किसी भी remote location में स्तिथ हो उसे इस technology के द्वारा ठीक कर सकता है.
  • इससे monitoring में आसानी होगी क्यूंकि government organization और investigating officers आसानी से किसी भी जगह को monitor कर सकते हैं जिससे crime rate में गिरावट होने की संभावनाएं हैं.
  • अंतरिक्ष, galaxies, और दुसरे ग्रह को देखना बहुत ही आसान हो जायेगा.
  • किसी भी खोये हुए इन्सान को ढूंड पाना आसान हो जायेगा.
  • यहाँ तक की आने वाली बड़ी natural disaster जैसे की tsunami, भूकंप इत्यादि को पहले से ही detect किया जा सकेगा.

5G के मुख्य Dis-Advantages क्या हैं?

5G technology को बहुत ही researched और conceptualized तरीके से बनाया गया है सभी radio signal problems और mobile world के hardship of mobile world को ख़त्म करने के लिए, लेकिन इसके वाबजूद भी इसके कुछ disadvantages हैं जिन्हें हम आगे discuss करने वाले हैं.

  • ये 5G की Technology अभी तक भी under process है और इसके पीछे research जारी है.
  • जो speed प्रदान करने की बात जो ये कर रहा है, उसे achieve करना मुस्किल प्रतीत होता है है क्यूंकि उसके लिए अभी तक उतना technological support विश्व के बहुत से हिस्सों में फिलहाल मेह्जुद नहीं है.
  • बहुत सारे पुराने devices इस नयी 5G technology के साथ compatible नहीं है जिसके चलते उन्हें बदलना पड़ेगा, जो की एक expensive deal साबित होगा.
  • इसके infrastructures को Develop करने में ज्यादा cost लग सकता है.
  • इसमें अभी तक भी कई Security और privacy related issue मेह्जुद हैं जिन्हें अभी तक भी solve करना बाकि है.

5G के Applications क्या हैं

चलिए जानते हैं कुछ significant applications के विषय में

  • ये पूरी दुनिया के लिए एक unified global standard बन सकता है.
  • इसके द्वारा Network availability चारों तरफ होगी जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इस बेहतरीन technology का इस्तमाल कर सकेंगे कभी भी और कहीं भी.
  • इसमें IPv6 technology होने के कारण, mobile की IP address को उनके connected network और geographical position के हिसाब से प्रदान किया जायेगा.
  • ये पूरी दुनिया को एक real Wi Fi zone में तब्दील कर देने की क्षमता रखता है.
  • इसके cognitive radio technology के माध्यम से radio technologies के अलग अलग version समान spectrum को efficiently इस्तमाल कर सकते हैं.
  • इस technology के माध्यम से higher altitude के लोग बड़े आसानी से radio signal की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं.

5G के मुख्य Challenges

किसी भी नयी development का एक बहुत बड़ा हिस्सा है Challenges का होना. क्यूंकि इन challenges के होने से ही technology और भी बेहतर बन सकती हैं. सभी technology के जैसे ही 5G में भी बहुत बड़े बड़े challenges मेह्जुद हैं. हमने पिछले कुछ सालों में देखा की कैसे radio technology ने fast growth करी है.

शुरुवात 1G से 5G तक, ये सफ़र केवल 40 वर्षों का ही है (1G सन 1980s में और 5G जो की आने वाला है सन 2020 में). लेकिन इस सफ़र में हमने कुछ common challenges भी observe किया है जैसे की infrastructure, research methodology, और cost की कमी.

आज के दोर में ऐसे बहुत से देश है जहाँ की अभी तक भी 2G और 3G technologies का इस्तमाल होता है और लोग वहां अभी तक भी 4G के विषय में नहीं जानते हैं, ऐसे condition में, जो सवाल सभी के दिमाग में है वो ये की −

  • ये 5G कितनी दूर viable होगी?
  • क्या इस technology के माध्यम से कुछ developed countries और developing countries भी लाभान्वित होंगे?
    इन्ही सवालों को बेहतर समझने के लिए 5G के challenges को two headings में विभाजित कर दिया गया है −

1. Technological Challenges
2. Common Challenges

Technological Challenges

1.  Inter-cell Interference – ये एक बहुत ही बड़ा technological issues है जिसे की जल्द solve करना होगा. चूँकि traditional macro cells और concurrent small cells के size में बहुत फरक है इसलिए ये आगे चलकर interference पैदा कर सकता है.

2.  Efficient Medium Access Control – ऐसे situation में, जहाँ की dense deployment of access points और user terminals की reqirement होती है, वहां user की throughput low होगी, latency high होगी, और hotspots competent नहीं होगी cellular technology के साथ ज्यादा throughput प्रदान करने के लिए. इसलिए इसे ठीक ढंग से researched करना जरुरी है इस technology को optimize करने के लिए.

3.  Traffic Management – Cellular networks में ज्यादा human traffic के होने से और ज्यादा number के Machine to Machine (M2M) devices के एक ही cell में होने से ये एक serious system challenges पैदा कर सकता है जो की है radio access network (RAN) challenges, जो की बाद में overload और congestion पैदा कर सकता है.

Common Challenges

1.  Multiple Services – दुसरे radio signal services, के मुकाबले 5G को बड़े task करना होता है जैसे की heterogeneous networks, technologies, और devices operating जो की अलग अलग geographic regions में काम करते हैं. इसलिए जो challenge है वो ये की लोगों की dynamic, universal, user-centric, और data-rich wireless services प्रदान करना होता है वो भी standard तोर से.

2.  Infrastructure – Infrastructure की कमी के कारण Researchers को कई technological challenges of standardization और 5G services के application में कमी जैसे असुविधा का सामना करना पड़ता है.

3.  Communication, Navigation, & Sensing – ये services ज्यादा depend करती है availability of radio spectrum पर, जिसके माध्यम से signals को transmit किया जाता है.

चूँकि 5G technology के पास strong computational power होता है बड़े volume के data जो की अलग अलग और distinct sources से आता है उन्हें process करने के लिए, लेकिन इसके लिए बड़ी infrastructure support की जरुरत होती है.

4.  Security and Privacy – ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण challenge हैं जिसे की 5G को ख़ास ध्यान देना चाहिए जिससे लोगों के personal data को protect किया जा सके. 5G को कई दुसरे security threats जैसे की trust, privacy, cybersecurity का भी ख़ास ध्यान देना पड़ेगा क्यूंकि ये threats पूरी दुनियाभर में लगातार बढती ही जा रही है.

5.  Legislation of Cyberlaw − Cybercrime और दुसरे fraud भी बढ़ेंगे high speed और ubiquitous 5G technology के होने से. इसलिए Cyberlaw को ठीक ढंग से implement करना भी बहुत ही जरुरी है.

5G इंडिया में कब आएगा

आप सोच रहे होंगे के 5G मोबाइल कब लॉंच होगा? सरकार ने 5G स्पेक्ट्रम के लिए ऑक्शन की तैयारी शुरू कर दी है. सरकार ने ट्राई से कहा है कि 3400 से 3600 MHz बैंड्स की नीलामी के लिए शुरुआती दाम सुझाए. ट्राई ने इसपर काम शुरू कर दिया है. डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम जल्द ही इस संबंध में एक पॉलिसी भी ला सकता है.

दरअसल एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में 5G जैसी फास्ट वायरेलस टेक्नॉलजी लाने से पहले डेटा होस्टिंग और क्लाउड सर्विसेज के लिए रेग्युलेटरी कंडिशंस में बदलाव लाया जाना चाहिए.

5G का Future Scope

बहुत सारे researches और discussions पूरी दुनियाभर में चल रही है विश्व के प्रसिद्ध technologists, researchers, academicians, vendors, operators, और governments के बिच 5G के innovations, implementation, viability, और security concerns को लेकर.

जैसे की बताया गया है की 5G में ऐसे बहुत सारे बहुत सारे features मेह्जुद हैं जो की बेहतरीन services प्रदान करेंगी. लेकिन एक सवाल जो सबके मन में जरुर होगा की जहाँ previous technologies (4G और 3G) अभी भी under process और बहुत से parts में अभी तक भी शुरू नहीं हुए हैं; ऐसे में 5G का future क्या है?

5th generation technology को ख़ास इसीलिए design किया गया है ताकि वो incredible और remarkable data capabilities, unhindered call volumes, और immeasurable data broadcast इस latest mobile operating system के माध्यम से कर सके.

इसलिए ये ज्यादा intelligent technology है, जो की पूरी दुनिया को interconnect करने में सहायक सिद्ध होगा. इसीतरह हमारे दुनिया को universal और uninterrupted access to information, communication, और entertainment मिलेगी जिससे ये हमारे जीवन में एक नयी dimension का द्वार खोलेगी और ये हमारे life style और बेहतर और meaningful बनाएगी.

इसके साथ governments और regulators भी इस technology का इस्तमाल good governance और बेहतर healthier environments create करने के लिए कर सकेंगे. इससे एक बात तो साफ़ है की 5G के विस्तार में लोगों का सही मनोभाव इसे और भी अधिक बेहतर बनाने में सहायक होगा.

Frequently Asked Questions (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

Q – क्या 5G Phones भारत में पहुच चुके हैं?

A – भारत में 5G के services के ऊपर काम 2020 से चालू हो जायेगा और 5G phones 2022 या 2023 तक लोगों को उपलब्ध करवा दिए जायेंगे.

Q – क्या हम अपने 4G Handsets को 5G में upgrade कर सकते हैं ?

A –  इस बात की तो पूरी तरह से पुष्टि नहीं की गयी है लेकिन जानकारों का मानना है की हम users 4G mobiles को 5G के network में इस्तमाल कर सकते हैं.

Q – कब 5G Internet को भारत में launch किया जायेगा ?

A – भारत में 5G Internet को 2022 तक launch कर दिया जायेगा.

आज आपने क्या सीखा ?

मुझे पूर्ण आशा है की मैंने आप लोगों को 5G क्या है? और ये कैसे काम करता है? के बारे में पूरी जानकारी दी और में आशा करता हूँ आप लोगों को 5G क्या है (What is 5G in Hindi) के बारे में समझ आ गया होगा.

मेरा आप सभी पाठकों से गुजारिस है की आप लोग भी इस जानकारी को अपने आस-पड़ोस, रिश्तेदारों, अपने मित्रों में Share करें, जिससे की हमारे बिच जागरूकता होगी और इससे सबको बहुत लाभ होगा. मुझे आप लोगों की सहयोग की आवश्यकता है जिससे मैं और भी नयी जानकारी आप लोगों तक पहुंचा सकूँ.

मेरा हमेशा से यही कोशिश रहा है की मैं हमेशा अपने readers या पाठकों का हर तरफ से हेल्प करूँ, यदि आप लोगों को किसी भी तरह की कोई भी doubt है तो आप मुझे बेझिजक पूछ सकते हैं. मैं जरुर उन Doubts का हल निकलने की कोशिश करूँगा.

आपको यह लेख 5G Technology क्या है और 5G कब लॉंच होगा कैसा लगा हमें comment लिखकर जरूर बताएं ताकि हमें भी आपके विचारों से कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मोका मिले. मेरे पोस्ट के प्रति अपनी प्रसन्नता और उत्त्सुकता को दर्शाने के लिए कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter इत्यादि पर share कीजिये.


अप्रैल 01, 2021

BHIM App क्या है और इसका इस्तेमाल कैसे करें?

आज के इस लेख में हम BHIM App क्या है और इसका इस्तेमाल कैसे करे के बारे में जानेंगे. नोट बंदी की समस्या से लड़ रहे भारत के आम इंसानो की मदद करने के लिए हमारे प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 30 दिसम्बर 2016 को एक नया और अनोखे app का launch किया है जिसका नाम है BHIM और इसके उपयोग से पैसे की लेन देन एक bank account से दुसरे bank account में हम बहुत ही आसानी से कर पाएंगे ऐसा दावा हमारी सरकार ने किया है. मैंने आपको UPI के बारे में पिछले लेख में बताया था की हम उसकी मदद से सभी तरह के bill payment जैसे mobile recharge, online payment, money transfer इत्यादि को बिना किसी परेशानी के cashless transactions कर पाएंगे.

UPI को support करने के लिए बहुत सारे applications पेहले से ही मौजूद हैं और उन सभी का इस्तेमाल cashless transactions करने के लिए ही किया जाता है. BHIM app भी उसके लिए ही बनाया गया है पर ये दुशरे सभी UPI applications से अलग है. वो कैसे ये जानने के लिए आपको BHIM app क्या है और इसका इस्तेमाल कैसे करें इस लेख को पढ़कर पता चल जायेगा. तो चलिए शुरू करते हैं.

BHIM App क्या है?

BHIM का पूरा नाम है Bharat Interface for Money, ये भारत सरकार द्वारा एक नयी पहल शुरू की गयी है जिसके जरिये से हम अपने mobile के मदद से तेज, सुरक्षित और भरोसेमंद cashless payments कर सकते हैं. BHIM दुसरे UPI applications और banks accounts के साथ मिलकर आसानी से पैसे की लेन देन करता है और इसको विकसीत NPCI यानि की National Payments Corporation of India ने किया है.

BHIM app से हम पैसे एक account से दुशरे account में भेज भी सकते हैं और receive भी कर सकते हैं वो भी कुछ ही मिनटों में. अगर आप BHIM app का इस्तेमाल कर रहे हैं और जिसे आपको पैसे भेजने हैं वो किसी दुसरे UPI apps का इस्तेमाल कर रहा है तब भी आप आसानी से उसे पैसे भेज सकते हैं, इसके लिए आपको सिर्फ उस व्यक्ति का UPI ID डालना होगा इसके अलावा और कोई भी bank details को भरने की जरुरत नहीं पड़ेगी. BHIM app की खासियत दुसरे UPI app के मुकाबले ये है की अगर सामने वाले व्यक्ति का UPI में account नहीं है तो आप उस व्यक्ति का bank का IFSC code और MMID code डालकर भी पैसे सीधे उनके account में भेज सकते हैं. BHIM app दुसरे मोबाइल wallet applications जैसे Paytm और MobiKwik से बहुत अलग है और इस की खासियत ये है की आपको receiver को पैसे भेजने के लिए उनके account नंबर को याद रखने की बिलकुल भी जरुरत नहीं है.

BHIM app का इस्तेमाल हम सिर्फ money transfer करने के लिए ही नहीं बल्कि दुशरे सभी तरह के online payments करने के लिए भी कर सकते हैं. इस applications को फिलहाल Android users के लिए launch किया गया है और बहुत ही जल्द ये दुसरे mobile platform के लिए भी उपलब्ध हो जायेगा. ये app अभी के लिए सिर्फ English और Hindi भाषा को support करता है धीरे धीरे ये भारत के सभी भाषाओँ को support करने लगेगा जिससे आम इंसान को payment करने में और भी आसानी होगी.

BHIM app का इस्तेमाल कैसे करें?

BHIM app का इस्तेमाल करने के लिए हमारा bank में account होना बहुत ही जरुरी है तभी जाकर हम इस app का सही तरीके से इस्तेमाल कर पाएंगे अगर हमारा bank में account नहीं है तो हम इस app का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. BHIM app का इस्तेमाल आप free में कर सकते हैं, चलिए अब जान लेते हैं की BHIM app का इस्तेमाल कैसे करते हैं-

सबसे पेहले अपने phone में Play Store में जाकर इस app को download कर install कर लीजिये. Install कर लेने के बाद इसे open करिए, open करने के बाद आपसे भाषा चुनने के लिए पूछेगा जहाँ दो भाषा मौजूद होंगे English और Hindi. कोई भी एक भाषा अपने मर्जी से चुन लीजिये उसके बाद ठीक निचे NEXT का option होगा उस पर click कर लीजिये.

दुसरे screen पर welcome किया जायेगा वहां पर भी next के option पर click कर आगे बढ़ना है. आगे BHIM app के features के बारे में बताया गया है जिसमे लिखा है की सभी तरह के payments UPI के सुरक्षित network के जरिये होगा और आप कभी भी किसी भी वक़्त अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को पैसे सीधे उनके bank account में भेज सकते हैं. इसके अलावा आप QR code set कर के भी आसानी से पैसे जल्दी भेज सकते हैं.

उसके बाद आपको mobile number verification के लिए देना होगा तो आगे click कर आपको आपके मोबाइल में जो SIM लगे हुए हैं वो दिखाई देगा आपको अपने उसी नंबर या SIM को चुनना है जो आपके bank के account में registered है. अगर आपके मोबाइल में मौजूद SIM आपके bank से link होकर नहीं है तो ये app आपके मोबाइल में काम नहीं करेगा. इसलिए वोही SIM choose करिए जो आपके bank account से link हो कर है उसके बाद next पर click कर लीजिये. click करते ही आपका नंबर verify किया जायेगा और BHIM app से आपके नंबर पर एक SMS verification के लिए जायेगा.

कुछ ही समय में आपका नंबर verified हो गया है ऐसा दिखा देगा उसके बाद आपको एक pass-code generate करने के लिए कहेगा जहाँ आपको 4-digit का password अपने मन से choose करना होगा और उसे याद भी रखना होगा, ये इसलिए होता है ताकि कभी कोई दूसरा व्यक्ति आपका phone को इस्तेमाल कर आपके account से पैसे चुरा ना सके इसके लिए BHIM को protect करके रखने की बहुत जरुरत है.

Pass-code set कर लेने के बाद सबसे ऊपर आपके नंबर से link होकर जो भी bank account होगा उसका नाम आपको दिखा देगा जैसे ICICI Bank, HDFC Bank इत्यादि जिसका मतलब है की BHIM app ने आपके नंबर पे registered bank के details को save कर लिया है. उसके बाद आपको payment भेजने और receive करने का option मिलेगा और QR code generate करने और QR Scan कर payment करने का option भी वहां मौजूद होगा. निचे My Information में Bank account का option होगा उस पर click करके app check कर सकते हैं की आपका bank account app में link हुआ है या नहीं. BHIM app automatically आपका registered bank के साथ link कर लेता है, अगर आपका bank account link नहीं हुआ होगा तो आप manually भी bank का list में जाकर choose कर सकते हैं.

BHIM app में बस एक ही कमी है की आप एक मोबाइल में सिर्फ एक ही bank account को access कर सकते हैं, जिसका मतलब है की अगर आपका bank में एके से ज्यादा account है और आपका नंबर सभी account में same है तो आप सिर्फ एक ही bank account का इस्तेमाल इस app में कर सकते हैं. तो अगर आपका नंबर दो bank account से link हो कर है तो आपको bank selection option में जाकर एक bank को select करना होगा. उसके बाद आप आसानी से cashless transactions कहीं भी और कभी भी कर सकते हैं.

अगर आपके पास smartphone नहीं है या आपके phone में internet नहीं है तब भी आप BHIM app का इस्तेमाल अपने मोबाइल में *99# dial करके कर सकते हैं.

BHIM app कौन से Bank को support करता है?

लगभग सभी bank को BHIM app support करता है.

  • Allahabad Bank
  • Andhra Bank
  • Axis Bank
  • Bank of Baroda
  • Bank of Maharashtra
  • Canara Bank
  • Catholic Syrian Bank
  • Central Bank of India
  • DCB Bank
  • Dena Bank
  • Federal Bank
  • HDFC Bank
  • ICICI Bank
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 आशा करता हूँ की आपको ये लेख BHIM app क्या है और इसका इस्तेमाल कैसे करें? पसंद आये. अगर आपने अब तक इस app का इस्तेमाल cashless transactions के लिए नहीं किया है तो एक बार जरुर करिए और अपनी राय बताइए की आपको ये app कैसा लगा. इस लेख से जुड़े कोई भी सवाल हो तो आप मुुुुझे comment कर पूछ सकते हैं.

मंगलवार, 30 मार्च 2021

मार्च 30, 2021

RAM क्या है, इसके प्रकार और प्रयोग क्या क्या है?

क्या आप जानते हैं RAM क्या है (What is RAM?), तो आप बहुत बार ये शब्द सुने ही होंगे. आप जब भी कोई Mobile और Computer खरीदने जाते हो तब ये आप जरुर पूछते हो की RAM कितना GB का है, कुछ लोग ये भी सोचते हैं की अगर ज्यादा RAM होगा तो mobile Hang नहीं होगा, Slow नहीं होगा क्या ये सच है इसके बारे में भी आज जानोगे इस लेख में.

कुछ तोह यह भी मानते है के RAM हमेसा खाली रहेगा तो Mobile Speed चलेगा और एक सवाल आता है की RAM का काम क्या है इसका भी जवाब आपको मिलेगा, इसके साथ और कुछ बातें Primary Memory के बारें में भी बात करेंगे तो चलिए जानते हैं रैम किसे कहते है.

मेमोरी क्या है और कितने प्रकार के होते है?

तुम्हारी Memory कमजोर हो गई है, क्या आपको कोई ऐसे बोला है, अगर नहीं जवाब है तो लेकिन आपको जरुर कोइना कोई ऐसे तो बोला ही होगा की तुम्हारी यादास्त कमजोर हो गई है, तो इस यादास्त को Memory बोलते हैं.

तो जैसे हम जो भी कुछ काम करना रहता है उस काम को हम एक जगह में Store करके रखते जिससे जैसे वो हमें याद आता रहे और जगह का नाम दिमाग है , ऐसे ही Computer के अंदर बोहत Memory रहती जिसको Storage भी बोला ज्याता है, Computer की Memory एक जगह है जहाँ पे हम Data और Instruction को Store करके रखते है जिनको हम जब चाहें तब निकाल सके उस Memory से Data को.

तो Computer को कैसे पता चलता है की कौनसा Data और Instruction कहाँ पे रखा गया है तो इसके लिए वो Computer Memory को छोटे छोटे हिसों में बाटा गया है और इस हिसे का size समान होता है इन हिसों को Cell बोला ज्याता है.

हर एक cell का पता रहता है जिसको Memory Address बोला ज्याता है. और Memory address मतलब cell का पता, Computer इस पते के जरिये Data कहाँ छुपा हुआ है उसको ढूंडता है ( Data जैसेकी आपका Mobile Number, Mp3, Video, File) ये सब एक एक cell में रहते है, cell address 0 से सुरु होता है जितने हिसों में cell को भाग किया गया है उतने से एक कम इसका आखरी address होता है जैसे उदाहरण लेलो 5KB का Memory है और उसका एक cell Size 1बाइट है तो Memory के 5×1024=5120 cell होते हैं, मतलब खाचे बनेंगे और इतने 5120 address होंगे.

वैसे Computer में Memory मुख्यरूप से 3 तरह के होते है, वहीँ उन सब के अलग अलग काम और खासियत भी है.

1. Primary Memory
2. Secondary Memory
3. Cache Memory

प्राइमरी मेमोरी क्या है

इस Memory को Main Memory भी बोला जाता है, ये Memory वही Data और instruction रखती है जिस Data को Computer अभी इस्तेमाल करता है. इस Memory का space सिमित रहता है, इसमें Data तब तक रहता है जब तक power मतलब electricity रहता है जब power बंद Data गायब.

ये semiconductor से बनी है. इनकी रफ़्तार कम होती है, registers की तुलना में. Computer के अंदर जो भी Data और instruction रहता है वो इस Main Memory में Processed होता है. इसके दो categories है पहला

1. RAM
2. ROM

रैम क्या है – What is RAM in Hindi

[su_panel background=”#fffff7″ color=”#000000″]RAM का Full Form है Random Access Memory, इसको Direct Access Memory भी बोला जाता है. यह Memory ज्यादा दौर पर Computer में कम Size में रहती है. Secondary Memory की तुलना में यह कम होती है जैसे Mobile में 1GB, 2GB, 3GB, 4GB, 6GB तक होती है.[/su_panel]

तो अगला सवाल आता है RAM का काम क्या है? जब भी आप अपने Mobile को चलाते हो तो उसमें Game खेलते हो, बहुत सारे Application चलाते हो, Edit वगैरा करते हो इन सबके लिए Mobile को Space चाहिए और ये Space RAM ही से आता है.

और एक आसान सा उदाहरण लेकर बताता हूं, आपको जब आप क्रिकेट खेलते हो तो वह Bathroom में जाकर तो नहीं खेलते उसके लिए तो ज्यादा जगह चाहिए जैसे की Playground या फिर गली में, तो ऐसे ही आप जब भी Mobile में दिनभर कुछ भी काम करते हो वह सब काम जिस Memory में होता है वह RAM ही होता है, इसलिए बोलते हैं के RAM ज्यादा हुआ तो उतना ज्यादा Application अपने Mobile में एक साथ चला सकते हो

RAM क्या करता है जब आप Movie देखते हो या फिर गाना सुनते हो यह गाने या Movie Memory कार्ड में रहते हैं, CPU क्या करता है Movie को Memory कार्ड से निकालता है और RAM में Movie को Play करता है. जितना ज्यादा Application आप एक साथ चलाओगे उतना ही ज्यादा RAM इस्तेमाल होगा.

और Mobile Slow होगा या फिर Hang होगा इसलिए जितना हो सके RAM को Free रखिए. यह खाली हो जाती है जब बिजली चलनी बंद हो जाती है Mobile के अंदर. अछे से समझो आपका Mobile फोन बंद हो जाता है मतलब आप अगर 4 से 5 Application अपने Mobile में खोल रखे हो और आपका Mobile को बंद कर देते हो और फिर से On करते हो तो आप देखे होंगे आपके सारे Application बंद हो जाते हैं इसलिए इस Memory को Volatile Memory भी बोला जाता है ,आप जान ही गए RAM क्या होता है. अब जानेंगे RAM के Characteristics.

इसे Random Access Memory क्यूँ कहा जाता है ?

RAM में डाटा और निर्देश Cells में Store रहता हैं. प्रत्येक Cell कुछ Rows एवं Columns से मिलकर बना होता हैं, जिसका अपना Unique Address होता हैं. इसे Cell Path भी कहते है. CPU इन Cells से अलग-अलग डाटा प्राप्त कर सकता हैं. और वो भी बिना कोई Sequence के ही मतलब की RAM में उपलब्ध डाटा को Randomly Access किया जा सकता हैं. इसकी इसी विशेषता के कारण इस मेमोरी का नाम Random Access Memory रखा गया हैं.

रैम के क्या-क्या विसेश्ताएं होते हैं (Characteristics of RAM in Hindi)

RAM के बारे में तो जान ही गए लेकिन आप इसके Properties क्या क्या है आपको ये भी जानना चाहिए चलिए जानते हैं.

1. RAM Volatile Memory है.

2. यह ज्यादा महंगी होती है दूसरे Memory की तुलना में.

3. इसकी Capacity कम होती है Secondary Memory की तुलना में इसके.

4. स्पीड की बात की जाए तो यह Secondary Memory से काफी हद तक स्पीड होती है .

5. जब बिजली बंद हो जाता है यह Memory खाली हो जाती है.

6. सारे Program, Application, Instruction इस Memory में ही चलते हैं.

7. इस Memory को CPU इस्तेमाल करता है.

8. इसको Computer की Working Memory भी बोला ज्याता है.

रैम के प्रकार

अब मैं आपको बताऊंगा कि RAM कितने प्रकार के होते हैं और क्या क्या होते हैं वैसे तो दो प्रकार के होते हैं

1. Static RAM
2. Dynamic RAM

1. Static RAM क्या है

ये Static सब्द से ही पता चल रहा है, ये स्थिर है मतलब इसमें Data तब तक रहेगा जब तक इस में बिजली आती रहेगी. इसको SRAM भी बोला जाता है. ये Chip 6 Transistor इस्तेमाल करता है और कोई भी capacitor नहीं, transistors को Leakage को रोकने के लिए power नहीं चाहिए ये power मतलब Electricity.

इसको बार बार Refersh करने की कोई जरुरत नहीं Data स्थिर रहता है. SRAM को DRAM से भी ज्यादा Chips चाहिए. समान size का Data को Store करने के लिए.इसलिए SRAM को बनाने में पैसे अधिक लगते है DRAM की तुलना में, इसलिए SRAM कों Cache Memory के हिसाब से इस्तेमाल होता है, Cache Memory सबसे तेज है बाकि सब से.

Characteristic Of SRAM in Hindi

  • ये बोहत दिनों तक चलती है.
  • इसको बार बार refresh करने की जरुरत नहीं.
  • काफी तेज है.
  • इसको cache Memory के लिए इस्तेमाल किया ज्याता है.
  • इसकी size ज्यादा है.
  • महगी है दुसरो से.
  • ज्यादा power चाहिए ये.

2. Dynamic RAM क्या है

इसको DRAM भी बोला जाता है, ये SRAM का पूरा विपरीत है. इसको बार बार refresh करने की जरुरत है, अगर Data को बरक़रार रखना है तो. ये केवल तभी संभव हो सकता है जब इस Memory को एक refresh CIRCUIT के साथ जोड़ा जाये.

अधिकांस समय इस DRAM को System Memory बनाने में इस्तेमाल होता है. ये DRAM एक Capacitor और एक Transistor से बना है.

Characteristics Of  DRAM in Hindi

  • ये बोहत कम दिनों तक चलती है.
  • इसको बार बार Refresh करने की जरुरत है .
  • काफी धीमी है.
  • इसको cache Memory के लिए इस्तेमाल किया ज्याता है.
  • इसकी Size कम है .
  • सस्ती है दुसरो से.
  • कम Power चाहिए ये .

ज्यादा RAM होने से क्या फायेदा होते हैं?

सोचिये की आपका computer एक फर्नीचर की दुकान है.

जहाँ पर CPU core एक carpenter है, इस हिसाब से एक dual core CPU में दो carpenter एक साथ काम कर रहे होते हैं, वहीँ एक quad core CPU में चार carpenters और ऐसे ही आगे भी. तो जितनी ज्यादा core उतनी बढ़िया आपके लिए.

यहाँ पर RAM को आप कार्यस्थान समझ सकते हैं (जिसमें workbenches, tables, और दुसरे कार्य करने के जगह उपलभ्द हैं), इसलिए जितनी ज्यादा RAM होगी उतनी ही ज्यादा कार्यस्थान भी उपलभ्द होगा काम करने के लिए “carpenters” (CPU cores) को. इससे वो उतनी ही तेजी से अपना का भी कर सकते हैं.

वहीँ hard drive को आप storage area समझ सकते हैं, जहाँ की सभी औज़ारों को रखा गया होता है जब तक की उनकी जरुरत न हो carpenter के द्वारा.

वहीँ एक बड़े work area (ज्यादा RAM) के होने से, वहां पर काम कर रहे carpenter को कम ही भाग दौड़ करनी पड़ती है अपने औजारों को लाने ले जाने में, जिससे उनकी overall speed ज्यादा होती है काम करने की.

यहाँ से आपको ये मालूम पड़ ही गया होगा की कैसे ज्यादा RAM के होने से कार्य करने की क्ष्य्मता और speed दोनों में तेजी आती है. इसलिए ज्यादा RAM होने के अपने ही advantages होते हैं, जो की computer के performance में नज़र आता है.

क्या Phone के RAM और PC के RAM में कोई अंतर होता है ?

ज्यादातर mobile processors में LPDDR इस्तमाल होता है वहीँ computers में PCDDR का इस्तमाल होता है.

LPDDR का full form होता है Low power Double data synchronous RAM. वहीँ PCDDR का full form होता है standard Double data synchronous RAM.

ये दोनों ही RAM एक दुसरे से power में ही अलग होते हैं. Mobile RAM को ज्यादा power save करने के लिए design किया गया होता है, वहीँ PC RAM को performance बढ़ाने के लिए design किया गया होता है.

ज्यादातर mobile processors को ARM architecture का इस्तमाल कर design किया गया होता है. वहीँ PC RAM को Intels x86 architecture के हिसाब से बनाया गया होता है.

Mobile processors को मुख्य रूप से performance और power के बीच में एक balance बनाने के लिए बनाया गया होता है, PC RAM की तुलना में.

आज आपने क्या सिखा?

तो दोस्तों आज की यह लेख रैम क्या है (What is RAM?) आपको कैसी लगी मुझे comment में जरुर बताएं . उमीद करता हूँ आपको ये जानकारी आपके काम जरूर आया होगा.

अगर अभी भी कोई सवाल आप पूछना चाहते हो तो निचे Comment Box में जरुर लिखे और मेरे ईस Blog को जरुर Subscribe करें.

:धन्यवाद:

सोमवार, 29 मार्च 2021

मार्च 29, 2021

टेलीविजन का आविष्कार किसने किया?

टेलीविजन का आविष्कार किस वैज्ञानिक ने किया? इंटरनेट और स्मार्टफोन्स के सस्ता होने से अब टेलीविजन का उपयोग काफी कम हो गया हैं. इंटरनेट पर अब फिल्में टेलीविजन से पहले आ जाती है और साथ में धारावाहिकों की जगह भी आज-कल हम लोग वेब सीरीज को प्रिफर करते हैं. यही कारण हैं कि काफी सारे बड़े टीवी चैनलो की टीआरपी पिछले कुछ सालों में घटी हैं. टेलीविजन को लोग न केवल एंटरटेनमेंट बल्कि एजुकेशन और दुनिया की सभी बड़ी खबरों से अपडेटेड रहने के लिए भी देखते हैं.

टेलीविजन का उपयोग भले ही अब काफी कम हो गया हैं लेकिन अब भी कई चैनल्स की टीआरपी करोड़ो में हैं. लोग अपने पसंदीदा धारावाहिकों और फिल्मो को बड़ी स्क्रीन पर ही देखना पसंद करते हैं.

अब टेलीविजन पहले जैसा नही रहा, स्मार्ट हो चुका हैं. अपने टेलीविजन में हम यूट्यूब, नेटफ्लिक्स, प्ले स्टोर, गेम्स आदि सब एक्सेस कर सकते हैं. बिलियन डॉलर्स की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में टेलीविजन भी अपना एक अलग ही महत्व रखता हैं.

इस बात में कोई दो राय नहीं हैं कि टेलीविजन का अविष्कार दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण अविष्कारों में से एक हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ‘टेलीविजन का आविष्कार किसने और कब किया‘? अगर नहीं, तो हमारे इस लेख को पूरा पढ़े.

टेलीविजन क्या है?

टेलीविजन को हम सभी सामान्यतः एक डिवाइज के रूप में जानते हैं जिसमे हम विभिन्न चैनल्स पर धारावाहिक, फिल्मे, खबरे, रिएलिटी शो और एजुकेशन कंटेंट आदि देख सकते हैं. काफी सारे लोग Televison को Tele और Telly के नाम से भी जानते हैं.

अगर थोड़ी तकनीकी भाषा मे टेलीविजन को समझा जाये तो ‘टेलीविजन एक टेलीकम्युनिकेशन मीडियम डिवाइज हैं जिसका उपयोग तस्वीरों और चलचित्रों (Videos) के साउंड सहित ट्रांसमिशन में किया जाता हैं. टेलीविजन तकनीकी सेटेलाइट और रेडियो तकनीकी पर आधारित हैं.

Television को एडवरटाइजिंग, मनोरंजन, न्यूज़ और स्पोर्ट्स को लोगो तक पहुचाने के लिये उपयोग किया जाता हैं. रेडियो के आविष्कार के साथ ही टेलीविजन के आविष्कार की बाते होने लगी थी. लोगो को लगने लगा था की भविष्य में ध्वनि के साथ तस्वीरों को भी देखा जा सकेगा.

बड़े पर्दे पर सिनेमा देखने का मजा अब छोटी स्क्रीन पर हर घर मे लिया जा सकेगा. यह कल्पना वास्तविकता में बदली. एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के विस्तार के साथ टेलीविजन का भी विस्तार होने लगा.

टेलीविजन के आविष्कार के समय कहा जाने लगा था कि अब सिनेमा बन्द हो जाएगा. ऐसा नही हुआ क्योंकि आज भी फिल्मे सिनेमाघरो में अरबो की कमाई तक करती हैं. लेकिन टेलीविजन ने अब हर घर तक सिनेमाघरो को पहुचाया हैं.

टेलीविजन के माध्यम से घर बैठे नई-पुरानी फिल्मे, लेटेस्ट खबरे, शिक्षा सम्बन्धी जानकारिया आदि प्राप्त कर सकते हैं. सेटअप बॉक्स के माध्यम से हम विभिन्न चैनल्स को एक्सेस कर सकते हैं और उन चैनल्स की श्रेणी के अनुसार कॉन्टेंट को एन्जॉय कर सकते हैं.

टेलीविजन का आविष्कार किसने किया था?

टेलीविजन का आविष्कार फिलो टेलर फर्नवर्थ सेकंड (Philo Taylor Farnsworth II) ने किया था.

कुछ सालों पहले तक हमारे सामने बड़ा सा बॉक्स आकार का टेलीविजन हुआ करता था जो कलर में तो था लेकिन क्वालिटी इतनी बेहतर नही थी. इसके बाद एलसीडी और LED आई और अब आज हमारे घरों में काफी पतले और स्मार्ट टीवी भी हैं.

इन टीवी में ऑपरेटिंग सिस्टम भी है जो कि इन्हें काफी कैपेबल बना देते हैं. लेकिन कुछ दशकों पहले टेलीविजन ऐसा नही था. यह ब्लैक एंड वाइट था और बड़े से लकड़ी के बॉक्स में आता था. शुरुआत में साइज छोटी थी और क्वालिटी कम थी.

आज हमारे सामने जो आधुनिक टेलीविजन हैं उसका श्रेय किसी एक वैज्ञानिक को नही दिया जा सकता. टेलीविजन के आविष्कार में कई वैज्ञानिकों और विद्वानों का महत्व हैं. किसी ने थ्योरी दी तो किसी ने उस पर काम करना शुरू किया तो किसी ने सफलतापूर्वक काम खत्म किया और अविष्कार क़िया. इसके बाद अन्य ने इसे आधुनिक बनाने का काम किया.

अगर आप गूगल पर ‘Who Invented Television‘ भी सर्च करते हो तो आपको एक नही बल्कि 3 नाम Philo Farnsworth, John Logie Baird और Charles Francis Jenkins देखने को मिलेंगे.

वैसे तो आधुनिक टेलीविजन का आविष्कार में कई वैज्ञानिकों का योगदान है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन का आविष्कारक Philo Taylor Farnsworth II (फिलो टेलर फर्नवर्थ सेकंड) यानी कि Philo Farnsworth को माना जाता हैं. केवल 21 साल की उम्र में फ़िलो फर्नवर्थ ने टेलीविजन का अविष्कार कर दिया था.

वह एक ऐसा यंत्र तैयार करना चाहते थे जो हिलती हुई तस्वीरो (Moving Images) को कैप्चर करे और उन्हें एक कोड में बदल सके और उन्हें रेडियो किरणों (रेडियो तकनीक) का प्रयोग करते हुए दूसरे डिवाइज में ट्रांसफर कर सके. वह पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन के निर्माता माने जाते हैं.

टेलीविजन के आविष्कार का श्रेय स्कॉटिश इन्वेंटर John Logie Baird को भी दिया जाता हैं जिनकी वजह से ही Philo Farnsworth एक इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन की कल्पना को वास्तविकता में बदल पाए.

John Logie Baird ने न केवल दुनिया को पहला सफलतापूर्वक काम करने वाले टेलीविजन सिस्टम दिया था बल्कि उन्होंने ही पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित रंगीन टेलीविज़न प्रणाली का भी आविष्कार किया. इस वजह से उन्हें टेलीविजन का जनक भी कहा जाता हैं. अतः टेलीविजन का अविष्कार John Logie Baird ने किया था.

टेलीविजन का अविष्कार कब हुआ?

रेडियो के आविष्कार के बाद से ही वैज्ञानिकों और विद्वानों ने टेलीविजन की कल्पना शुरू कर दी थी. विद्वानों के जहन में यह बात पहले से थी कि अगर एक कोड में तस्वीरों को एक साथ बनाया जाए और उन्हें तेजी से बदला जाए तो वह चल चित्र बनेगी. यानी कि तस्वीरे असल जिंदगी जैसी लगने लगेगी. कुल मिलाकर इस तरह से तस्वीरों से वीडियोज बनाई जा सकेगी. लेकिन इसकव स्क्रीन में कैसे उतारा जाए, यही समस्या थी.

शुरुआत में छोटी स्क्रीन्स पर इसे उतारा गया और बाद में यह बड़ी स्क्रीन्स तक गयी. सिनेमा का अविष्कार हुआ और लोगो ने इस तकनीकी का फायदा उठाया.

पहले मेकेनिकल टेलीविजन का अविष्कार John Logie Baird ने किया था. जे एल बेयर्ड 25 मार्च 1925 को अपने यंत्र से तस्वीरों को गति में लाकर लन्दन के एक डिपार्टमेंट स्टोर में टेलीविजन को लोगो को सामने लाये. यह एक मेकेनिकल टेलीविजन था. इसके बाद फर्नवर्थ ने 7 सितम्बर 1927 को इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन का अविष्कार किया.

टेलीविजन को हिंदी में क्या कहते हैं?

टेलीविजन को हिंदी में ‘दूरदर्शन‘ कहा जाता हैं क्योंकि यह दूर की किसी व्यक्ति या वस्तु की गति करती हुई तस्वीर हमारे सामने प्रस्तुत करता हैं.

वास्तव में टेलीविजन की स्क्रीन पर तस्वीरे ही होती हैं जो इतनी तेजी से बदलती हैं कि हमारी आँखों को लगता हैं कि वह गति कर रही हैं. यह गति करती हुई तस्वीरे अब आधुनिक समय के साथ काफी आधुनिक हो गयी हैं.

पहला Mechanical टेलीविजन का आविष्कार किसने किया?

पूरी दुनिया में सबसे पहला Mechanical टेलीविजन का आविष्कार Scottish engineer John Logie Baird ने किया था. उन्होंने से सबसे पहले दुनिया का पहला mechanical television बनाकर प्रदर्शित किया था.

पहला Electronic टेलीविजन का आविष्कार किसने किया?

पूरी दुनिया में सबसे पहला Electronic टेलीविजन का आविष्कार Philo Taylor Farnsworth ने किया था. उन्होंने पहला television signal का transmission September 7, 1927 को किया था उनके खुदके scanning tube की मदद से. इसलिए officially वो ही पहले inventor थे first fully functional, all-electronic television का.

पहला Electronic Color टेलीविजन का आविष्कार किसने किया?

पहला Electronic Color टेलीविजन का आविष्कार John Logie Baird ने किया था. उन्होंने पुरे public में इसका प्रदर्शन भी किया था पहले electronic color television picture tube का.

आज आपने क्या सीखा

मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख टेलीविजन का आविष्कार किसने किया जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को टेलीविजन का आविष्कार कब हुआ के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है.

इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे. यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप निचे comments लिख सकते हैं.

: धन्यवाद:

रविवार, 28 मार्च 2021

मार्च 28, 2021

फेसबुक का आविष्कार किसने किया?

फेसबुक की खोज किसने किया? दोस्तों फेसबुक एक सोशल मीडिया app है. ये तो आप सब जानते हैं, इसके साथ में ये इंटरनेट के ऊपर चलने वाली मुफ्त सोशल मीडिया नेटवर्किंग सर्विस भी है. इसके माध्यम से हम एक दूसरे से बातचीत कर सकते हैं. फिर चाहे आप दुनिया के किसी भी कोने में क्यूँ ना हों.

इसमें आप अपने रिलेटिव, दोस्त, परिचित, से संपर्क कर सकते हैं यह हमें मुफ्त में साइनअप की सुविधा देता है. साथ में हम नए दोस्त बना सके उनके साथ sms, वीडियो इमेज, कॉलिंग के द्वारा सम्पर्क में रह सकते हैं.

फ़ेस्बुक की लोकप्रियता इतनी है कि क़रीब 2 बिलियन लोग हर महीने इसमें एक्टिव रहते है. क्या आप जानते हो कि इतनी सुविधा फ्री में देने वाले व्यक्ति कौन हैं. यदि आपको जानना है की Facebook का आविष्कार किसने किया और कब की थी तब आज का ये आर्टिकल आपको पूरा पढ़ना होगा.

फेसबुक क्या है?

फेसबुक एक अमेरिकी ऑनलाइन सोशल मीडिया और सोशल नेटवर्किंग साइट है. इसका मुख्यालय मैलोनो पार्क कैलिफोर्निया में स्थित है. इसका उपयोग इंटरनेट से कनेक्ट करके सभी डिवाइस, मोबाइल, टैबलेट, computer या डेस्कटॉप में कर सकते हो.

इसमें आप अपनी फ्री में प्रोफाइल (मतलब अपने बारे में जानकारी) बना कर कनेक्ट कर सकते हो दूसरे लोगों के साथ. आप इसमें अपने पोस्ट share कर सकते हो दूसरों के साथ. Facebook में बिजनेस पेज औए ग्रुप हैं जिसमें जुड़ कर आप अपना सामान ऑनलाइन बेच और खरीदने की शुविधा फेसबुक हमे free में देता है. फेसबुक के जरिये आप अपने फेसबुक दोस्तों की activity की नोटिफिकेशन भी चेक कर सकते हैं.

फेसबुक क्यूँ लोकप्रिय है?

डिज़िटल दौर में हर व्यक्ति किसी न किसी तरह ऑनलाइन में महजूद है. Facebook एक ऐसी जगह है जहाँ दुनियाभर में किसी से भी संपर्क आसानी से कर सकते हैं अपने विचार लेख, व इमेज के जरिये कॉलिंग वीडियो हो या audio सब सरल माध्यम से कनेक्ट कर सकते हैं.

यहाँ हर वक़्त मिलियन्स लोग एक्टिव रहते हैं यह दुनिया का एक मात्र जगह है जहाँ एक साथ मिलियन्स में लोग रहते हैं क्योंकि यह सदस्यता free में देता है किसी भी बिजनेस के लिए बड़ी मार्केटप्लेस जहाँ बिजनेस करने के लिए काफी संख्या में ऑडियास से जुड़ना बहुत आसान है घर बैठे बड़े स्तर पर बिजनेस बढ़ाने के लिए एक बहुत ही बड़ा डिजिटल मार्किट है.

फेसबुक का आविष्कार किसने किया?

फेसबुक का आविष्कार Mark Zuckerberg ने किया था. इस सोशल नेटवर्किंग सर्विस को उन्होंने सन 2004 में आविष्कार किया था. Mark Zuckerberg ने अपने कॉलेज हावर्ड यूनिवर्सिटी के roommate क्लासमेट दोस्तो Eduardo saverin,andrew McCullum, Dustin Moskowitz, Chris Hughes के साथ मिल कर बनाई थी.

शुरुआत में यह वेबसाइट केवल हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के लिए ही शीमित थी. लेकिन बाद में इसको यूनाइटेड स्टेट और कनाडा अन्य बोस्टन एरिया के यूनिवर्सिटियो के लिए भी शुरू कर दी गयी.

2006 September में फेसबुक को पब्लिक के लिए कुछ नियमों के साथ अवेलेबल कर दिया गया. शर्त ये थी की एक वैलिड ईमेल और 13 वर्ष के ऊपर के लोग ही इसमें फ्री में साइनअप कर सकते हैं.

फेसबुक कब आविष्कार हुआ?

फेसबुक का आविष्कार फरवरी 2004 को मार्क जुकरबर्ग ने अपने चार दोस्तो के साथ अमेरिका में किया था.

फेसबुक का आविष्कार किस देश में हुआ?

फेसबुक का आविष्कार अमेरिका में हुआ था .

फेसबुक का इतिहास

जनवरी 2004 फेसबुक लांच हुआ यह तो हम जान गए हैं. किंतु यह कैसे शुरू हुआ अब यह भी जान लेते हैं. साल था फेसबुक की मुख्य निर्माता मार्क जुकरबर्ग ने 2003 में हावर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान एक वेबसाइट बनाई facemash जो कि एक गेम की तरह थी जो ऑनलाइन खेली जाती थी जिसमे दो पहलू बताए जाते थे hot or not खेलने का नियम था.

इसको खेलने पर यह कंपेयर करके दो में से एक ऑप्शन बताती थी स्क्रीन पर दो फोटो होती थी जिसमे हॉट व्यक्ति को चुनने को कहा जाता था या बताने के का ऑप्शन रहता था फेसमास ने अपने शुरुआती 4 घंटे में लगभग 450 visiter को 2200 फोटो के परिणाम कंपेयर करके बता दिए जिसने उम्मीदों को और बढ़ा दिया.

वेबसाइट को अन्य जगह campus में भी भेजा गया किन्तु हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने ज़ुकेरबर्ग के ऊपर सुरक्षा नियमो का उलंघन, copyright violation, और व्यक्तिगत गोपनीयता का उल्लंघन करने के लिए वेबसाइट को बैन कर दिया.

हालांकि अंत मे सारे आरोपों से बरी कर दिए गए और फिर ज़ुकेरबर्ग ने अपना प्रोजेक्ट बना कर एक सोशल मीडिया टूल बना लिया और वेबसाइट में सारी images अपलोड कर दी और शेयर लाइक कॉमेंट का फीचर embed करके अपने दोस्त के साथ शेयर कर दिया पहली बार.

फिर आख़िर में तारीख आयी 2004 का जनवरी के महीना, मार्क Zuckerberg एक नई वेबसाइट के लिए कोड लिख रहे थे वेबसाइट थी “thefacebook” जो कि एक क्रिमसन की संपादकीय में facemash के बारे मे आने वाली add से ली गयी थी.

जिसके पीछे वजह थी कि विश्व भर को एक जगह एक साथ जोड़ने की जिसके लिए सारी तकनीकी ज़ुकेरबर्ग के पास थी और वो confident थे उन्होंने हार्वर्ड क्रिमसन से कहा कि कैंपस में universal फेसबुक नाम की बात चल रही है.

कॉलेज के स्टाफ़ कह रहे हैं उसको बनाने के लिए कुछ वर्षों का समय लगेगा किन्तु मुझे यह मूर्खतापूर्ण लग रहा है क्योंकि जिस काम को ये लोग वर्षो में करने के लिए कह रहे हैं उसको मैं हफ्ते भर में कर सकता हूँ.

इसके लिए इन्वेस्टमेंट की जरूरत थी जिसके लिए ज़ुकेरबर्ग ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अपने दोस्त Eduardo saverin के साथ $1000 का इन्वेस्टमेन्ट वेबसाइट में करवाया और विवादों से शुरुआत फाइनली 4 फरवरी 2004 को thefacebook नाम से thefacebook.com लांच कर दी.

लेकिन 6 दिन के बाद ही हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के सीनियर छात्रों Cameron winkelewoss, tylor winklevoss, और divvy narendra के ज़ुकेरबर्ग पर मिसलीड करने का आरोप लगा दिया आरोप था कि जुगनबर्ग ने उन्हें कहा है कि वह एक सोशल नेटवर्क harvardconnection.com को बनाने में हेल्प करेंगे किन्तु मदद करने के बजाय हमारा आईडिया चुरा कर खुद के लिए use कर लिया.

जिसकी जांच शुरू की गई मुकदमा दर्ज करवा दिया 2008 में अंततः मामला कोर्ट से निपटा लिया गया ज़ुकेरबर्ग के फेसबुक में 1.3 मिलियन शेयर मिल गए जिसकी worth $300 मिलियन थी जो फेसबुक की मजबूती को दर्शा रहा था.

शुरुआत में फेसबुक में मेम्बरशिप restrict थी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के लिए फिर भी एक महीने के अंदर आधे से ज्यादा अंडरग्रेजुएट स्टूडेंट्स ने रजिस्टर लिया था .

 फेसबुक का नाम कैसे मिला?

2004 के मध्य में ज़ुकेरबर्ग के सह सलाहकार और napter के cofounder entrepreneur Sean parker फेसबुक के प्रेसिडेंड बने जून 2004 में कंपनी polo alto California शिफ्ट हुई.

यहाँ कंपनी को पहला इन्वेस्ट paypal कंपनी के cofounder peter theil ने किया और thefacebook ने अपना domain name us$ 200000 में खरीद कर the को हटा कर केवल facebook.com कर लिया facebook.com को खरीदा क्योकि यह domain नाम एक दूसरी कंपनी से aboutface corporation से सम्बंधित था.

फेसबुकk के कुछ रोचक तथ्य

अब चलिए Facebook के कुछ इंट्रेस्टिंग Facts के बारे में जानते हैं.

1. फेसबुक ने दावा किया है कि 2018 की रिसर्च के अनुसार उसके manthly 2.3बिलियन एक्टिव यूज़र्स है.

2. और वह पूरे विश्व मे सबसे ज्यादा डाऊनलोड होने वाला मोबाइल app था.

3. 2010 से November 18 2020 तक Alexa rank के आधार पर फेसबुक दुनियाभर में सबसे ज्यादा use करने में #6 वें नंबर
पर है.

4. Facebook के नीले रंग के होने का कारण फेसबुक के मुख्य निर्माता ज़ुकेरबर्ग की colorblind बीमारी है इस बीमारी की वजह से उन्हें हरे और लाल रंग का पता नही लगता .

5. Facebook 70 से ज्यादा भाषाओं में उप्लब्ध है .

6. Facebook के मालिक के अलावा आप किसी भी आदमी को permanently ब्लॉक कर सकते हैं .

आज आपने क्या सीखा?

दोस्तो आज हमने सबसे बड़ी सोशल मीडिया सर्विस फेसबुक का आविष्कार किसने किया और कब कहाँ कैसे हर पहलू को विस्तार से जाना.

आशा करता हु की आपको मेरा यह आर्टिकल से फेसबुक के बारे में जानकारी मिली है.

इस महत्वपूर्ण जानकारी को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया में शेयर करे और ऐसे ही जानकारी भरी पोस्ट को पढ़ने के लिए बने रहे मेरे साथ.

:धन्यवाद:

मार्च 28, 2021

फोन का आविष्कार किसने किया?

आज की नई पीढ़ी क्रिकेट नही बल्कि स्मार्टफोन में हैवी ग्राफिक्स वाले गेम खेलती हैं. फ़ोन के आविष्कार को पॉजिटिव और नेगेटिव, दोनों ही तरीके से लिया जा सकता हैं. लेकिन फ़ोन के आविष्कार ने जैसे दुनिया को बहुत छोटा और आसान बना दिया हैं.

अगर आपके पास एक फोन और उसमें इंटरनेट है तो आप पूरी दुनिया की खबरों से अपडेटेड रह सकते हैं और अपने दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ जुड़े रह सकते हैं. आज के स्मार्टफोन्स से न केवल कॉल्स और SMS किये जा सकते हैं बल्कि इंटरनेट के जरिये सोशल मीडिया जैसे माध्यमो से हम लोगो से जुड़े रह सकते हैं.

स्मार्टफोन इंडस्ट्री काफी तेजी से आगे बढ़ रही हैं. आज के समय मे हमें काफी कम कीमत में काफी एडवांस और बेहतरीन स्मार्टफोन मिल जाते हैं. लेकिन क्या आपको याद हैं कि दुनिया के पहले मोबाइल फ़ोन की कीमत 2 लाख से भी ज्यादा थी जिससे एक बार चार्ज करने पर केवल 30 मिनट बात की जा सकती थी.

स्मार्टफोन के आविष्कार में आज उन कामो को सामान्य बना दिया है जिनजे बारे में शायद आज से 20 साल पहले किसी ने सोचा भी नही होगा. अगर आपके पास स्मार्टफोन है तो ना आपको घड़ी रखने की जरूरत है और ना ही वॉलेट! इसके अलावा और ना जाने कितने काम हमारा फ़ोन ही कर देता हैं.

हम सभी रोजाना कई घंटे अपने स्मार्टफोन पर बिताते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि फोन का आविष्कार किसने किया और फोन का आविष्कार कब हुआ? अगर नहीं, तो यह लेख पूरा पढ़िए. इस लेख में  मैने दुनिया के पहले फ़ोन के आविष्कार के विषय पर बात की हैं.

फ़ोन क्या है?

फोन एक ऐसा यंत्र है जिसके माध्यम से दो व्यक्ति एक दूसरे से दूर होते हुए भी आपस में बात कर सकते हैं. अगर कोई व्यक्ति दुनिया के एक कोने में और दूसरा व्यक्ति दुनिया के दूसरे कोने में भी बैठा है तो वह फोन के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े रह सकते हैं.

वैसे तो फोन कई प्रकार के होते हैं लेकिन टेलीफोन के आविष्कार के बाद उसे छोटे आकार में बदलने और अधिक तकनीकी व फीचर्स के साथ पेश करने की सोच ने ही ‘फोन‘ को जन्म दिया. फ़ोन टेलीफोन से साइज में काफी छोटे होते है और व्यक्ति इन्हें साथ मे लेकर भी ट्रेवल कर सकता हैं.

फोन भी टेलीफोन की तरह एक प्रकार का कम्युनिकेशन डिवाइस होता है जिसके माध्यम से दो व्यक्ति आपस में बात कर सकते हैं. फोन के माध्यम से दो या दो से अधिक व्यक्ति एक दूसरे से दूर होते हुए भी वर्चुअली बात कर सकते हैं.

फोन एक ऐसा यंत्र होता है जो किसी भी प्रकार की आवाज मुख्य रूप से मानवीय आवाज (Human Voice) को इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल्स में कन्वर्ट करता है जो केबल या इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंग जैसे माध्यमो से दूसरे व्यक्ति तक पहुचती है और दूसरा व्यक्ति पहले व्यक्ति को सुन पाता हैं.

मोबाइल फोन का आविष्कार किसने किया?

मोबाइल फोन का आविष्कार मार्टिन कूपर ने किया था. आज के समय में हमारे हाथों में उंगलियों के इशारों पर चलने वाले टच-स्क्रीन स्मार्टफ़ोन्स मौजूद हैं जिनमे हजारो फीचर्स मौजूद हैं.

फोन इंडस्ट्री को इस स्तर तक पहचाने के पीछे लाखों इंजीनियर विद्वानों और वैज्ञानिकों का हाथ है लेकिन यह सब इसलिए ही शुरू हो पाया क्योंकि एलेग्जेंडर ग्राहम बेल ने टेलीफोन का आविष्कार किया और उसके बाद विद्वानों ने इसे और भी छोटा और एडवांस बनाने की कोशिश की.

टेलीफोन के आविष्कार के बाद से ही इसे और भी ज्यादा आधुनिक और पोर्टेबल बनाने की कोशिश की जा रही थी. कई कंपनियों और विद्वान इस क्षेत्र में काम कर रहे थे लेकिन मोटरोला के इंजीनियर मार्टिन कूपर में सबसे पहले जीत हासिल की.

दुनिया के पहले फोन का आविष्कार करने वाले व्यक्ति मार्टिन कूपर ही थे जिन्होंने साल 1970 में मोटोरोला को जॉइन किया था. मार्टिन एक अमेरिकी थे जिन्हें टेलीकॉम इंडस्ट्री में काफी रूचि थी. मार्टिन कूपर वायरलेस तकनीक पर काम कर रहे थे. वह इस तकनीकी का उपयोग करते हुए एक टेलीफोन जैसा उपकरण बनाना चाहते थे जिसमे कोई केबल ना हो.

आखिरकार मार्टिन में दुनिया के पहले फोन का आविष्कार किया जिसका वजन 1.1 किलोग्राम था और एक बार बार चार्ज करने के बाद इस फ़ोन से 30 मिनट तक कॉलीन्ग की जा सकती थी. इस फ़ोन को चार्ज होने में 10 घण्टे लगते थे. दुनिया के इस पहले फोन की कीमत 2700 अमेरिकी डॉलर यानी कि करीब 2 लाख रुपये थी.

दुनिया के पहले फोन का आविष्कार कब हुआ?

सन 1876 में एलेग्जेंडर ग्राहम बेल ने टेलीफोन का आविष्कार किया था. Guglielmo Marconi ने 1890 के दशक में वायरलेस टेक्नोलॉजी को सिद्धांतो के साथ इंट्रोड्यूस किया था. इसके बाद दोनों ही क्षेत्रों में कई विद्वान काम करने लगे.

इनमें से कुछ ऐसे भी थे जो इन दोनों तकनीकी को मिलाकर एक ऐसा यंत्र बनाना चाहते थे जिससे बिना किसी केबल के दो या दो से अधिक व्यक्ति आपस में बात कर सकें. वायरलेस तकनीकी में रुचि रखने वाले मार्टिन कूपर ने 1970 में मोटोरोला कम्पनी को एक इंजीनियर के तौर ओर जॉइन किया और साल 1973 में उन्होंने पहले फोन का आविष्कार किया. एक ध्यान देने वाली और रोचक बात यह भी हैं की दुनिया का पहला फ़ोन मोटोरोला का था.

सबसे पहला मोबाइल का नाम क्या था?

पूरी दुनिया के पहले मोबाइल का नाम Motorola DynaTAC था जो 9 इंच का था और इसका वजन करीब 2.5 पाउंड यानी 1.1 किलोग्राम था. मार्टिन कोपर के इस आविष्कार के बाद से ही मोबाइल कॉल इंडस्ट्री और टेलीकॉम इंडस्ट्री की शुरुआत होने लगी.

मार्टिन कूपर के द्वारा किए गए इस आविष्कार के बाद एक दशक तक इस पहले मोबाइल फोन की खामियों को दूर करने की कोशिश जारी रही और देश में सेलुलर नेटवर्क को भी बेहतर बनाने पर काम किया जाता रहा. करीब 10 साल बाद 1983 में मोटोरोला ने सामान्य लोगों के लिए मोबाइल फोन बाजार में उतारा जिसका नाम Motorola DynaTAC 8000X था.

इस फ़ोन की कीमत 3995 डॉलर यानी कि 2.80 लाख रुपये थी. इस फ़ोन की बैटरी 6 घण्टे तक चलती थी और फ़ोन में 30 लोगो के कॉन्टेक्ट्स तक सेव किये जा सकते थे.

पहली मोबाइल टेलीफोन की सेवा कहाँ और कब दी गयी थी?

पहली मोबाइल टेलीफोन की सेवा सं 1926 में Deutsche Reichsbahn की first class यात्रियों को प्रदान की गयी थी जो की Berlin और Hamburg के बीच सफ़र कर रहे थे.

पहली मोबाइल कॉल कहाँ पर और कब की गयी थी?

पहली मोबाइल कॉल सन 1946 में एक car की radiotelephone में की गयी थी Chicago में. चूँकि काफी काम मात्रा में radio frequencies उपलब्ध था, इसलिए service बहुत ही जल्द अपनी पूरी capacity पर पहुँच गयी.

पहली Automated Mobile Phone System कब शरू की गयी और कहाँ पर?

पहली automated mobile phone system सन 1956 में Sweden में शुरू की गयी थी. शुरू में ये केवल private vehicles में ही दी जा रही थी. उस समय इस device को install किया जाता था एक car में, वहीँ इसमें vacuum tube technology का इस्तेमाल होता था वो भी rotary dial के साथ. वहीँ इसका वजन करीब 40Kg था.

फ़ोन के आविष्कारक मार्टिन कूपर की जीवनी

दुनिया के पहले सेल फोन का आविष्कार करने वाले मार्टिन कूपर का जन्म साल 1928 में संयुक्त राज्य अमेरिका के शिकागो शहर में हुआ था. मार्टिन ने अपनी शुरुआती शिक्षा शिकागो शहर से ही प्राप्त की.

इसके बाद मार्टिन ने साल 1957 में Illinois Institute of Technology से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री ली. साल 1954 से मार्टिन ने मोटरोला के साथ काम करना शुरू कर दिया और 1970 में उन्हें कंपनी में एग्जीक्यूटिव की पोस्ट पर प्रमोट कर दिया गया.

अपने कंप्यूटर को पीछे छोड़ने के लिए ही मार्टिन ने सेल फोन के आविष्कार के बारे में सोचा था. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मार्टिन को सेल फोन का आईडिया स्टार ट्रेक टिवी जो को देख कर आया था जिसमें किरदारों के पास इस प्रकार के छोटे डिवाइस होते तो जिससे वह एक दूसरे से बात कर पाते थे.

आज आपने क्या सीखा

मुझे आशा है की मैंने आप लोगों को फ़ोन का आविष्कार किसने किया के बारे में पूरी जानकारी दी और में आशा करता हूँ आप लोगों को फ़ोन के आविष्कारक मार्टिन कूपर की जीवनी के बारे में जानकारी मिल गया होगा.

यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं.

:धन्यवाद:

शुक्रवार, 26 मार्च 2021

मार्च 26, 2021

One Time Password (OTP) क्या है?

क्या आप जानते है One Time Password या OTP क्या है? अगर नहीं, तो इस post को जरुर पढ़े. आज के वक़्त में लगभग हम सभी लोग अपना सारा काम घर बैठे online ही कर लेते हैं जैसे मोबाइल recharge हो या फिर shopping, तो ऐसे में इस digital दुनिया में हमारी security बहुत ज्यादा माइने रखती है ताकि हमारा personal data और account दोनों ही अनजान व्यक्ति से सुरक्षित रहे.

जब हम net banking की मदद से online transactions करते हैं मोबाइल recharge करने के लिए या फिर कुछ सामान खरीदने के लिए तब सभी details भरने के बाद last में एक code आता है जिसे हम OTP कहते हैं. आप सभी ने OTP के बारे में सुना होगा और इसका इस्तमाल भी किया होगा, लेकिन क्या आपको पता है की इसका इस्तेमाल क्यूँ किया जाता है? अगर नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं आज के इस लेख One Time Password (OTP) क्या है में आप जान जायेंगे.

One Time Password या OTP क्या है?

One Time Password (OTP) एक security code है जो 6-digits का होता है जिसका इस्तेमाल हम online transactions करते वक़्त करते हैं.

जब हम किसी e-commerce website से कुछ सामान खरीदते हैं तब हम अपने ATM card से उसका payment करते हैं, payment करते वक़्त अपने banking details भरने के बाद आखिर में एक security code आपके bank में registered mobile नंबर पर एक sms के रूप में जाता है जिसे हम OTP कहते हैं.

उस sms में एक code होता है जिसे भरने के बाद ही हमारा payment सफल होता है इसके बिना आप online कहीं भी transactions नहीं कर पाएंगे.

OTP का इस्तेमाल क्यूँ किया जाता है?

OTP एक password है जो normal password यानि की जो password user अपना account बनाते वक़्त create करते हैं उनसे बिलकुल अलग और safe होता है. जैसे की जब हम किसी भी website में अपना account बनाते हैं तो हम अपना username और password create करते हैं, हम जो password create करते हैं वो बहुत ही सरल रखते हैं जैसे हमारा नाम या date of birth या और कुछ ताकि हमे वो आसानी से याद रहे लेकिन इसमें हमें hackers से खतरा होता है क्यूंकि वो आसानी से हमारे password को hack कर हमारा details चुरा सकते हैं.

या फिर ऐसा भी हो सकता है की कोई व्यक्ति जो आपके जान पहचान का हो अगर उसे आपका username और password पता हो तो वो भी आपका account का इस्तेमाल कर गलत फायेदा उठा सकता है, इसलिए आज कल सभी banks, बहुत सारे e-commerce website और online recharge करने वाले websites ने OTP का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है जिससे उनके users का account सुरक्षित रह सके. OTP आपके account को safe रखता है और आपके banking और personal details को चोरी होने से बचाता है.

OTP से क्या फायेदा होता है?

OTP से हमारा सभी account जैसे Google account, net banking account, bank account इत्यादि सभी सुरक्षित रहते हैं.

OTP की खासियत ये है की इससे जो code generate होता है उसका इस्तेमाल सिर्फ एक ही बार किया जा सकता है और वो सिर्फ कुछ समय के लिए ही valid रहता है अगर उस समय के अन्दर हमने code का इस्तेमाल नहीं किया तो फिर वो code हमारे किसी काम का नहीं रहता. यानि की हम जितनी बार भी online transactions करते हैं उतनी बार ये code अलग अलग generate होते हैं जिससे हमारा account पूरी तरह से secure होकर रहता है.

अगर आपके किसी भी account का username और password किसी अन्य व्यक्ति को पता भी हो तब भी वो आपके account का इस्तेमाल नहीं कर पायेगा क्यूंकि उसके लिए OTP की जरुरत होगी जो सिर्फ आपके registered mobile नंबर पर या फिर आपके email id पर ही आएगा इसके बिना वो आपके account का गलत फायेदा नहीं उठा पायेगा.

OTP का इस्तेमाल कहाँ कहाँ किया जाता है?

OTP का इस्तेमाल सबसे ज्यादा तो net banking में online transactions करने के लिए किया जाता है इसके अलावा Google ने भी users के account को और भी सुरक्षित बनाने के लिए OTP security का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.

जिसको activate करने के बाद कोई भी दूसरा user अपने device से आपके account का details डाल कर login नहीं कर सकता क्यूंकि Google वहां पर verification करने के लिए OTP password मांगेगा जो सिर्फ आपके पास sms के जरिये आपके मोबाइल नंबर पर OTP code आएगा.

इस code के बिना वो user आपके account को access नहीं कर पायेगा. सभी e-commerce website जैसे Amazon, Flipkart, Snapdeal, eBay इत्यादि और digital wallet की सेवा प्रदान करने वाले online private companies जैसे Paytm, Freecharge, mobikwik, oxigen wallet इत्यादि ये सभी भी अपने customers के account को safe रखने के लिए OTP का इस्तेमाल कर रहे हैं.

OTP के फायदें – Advantages of OTP

चलिए अब जानते हैं की OTP के फायेदे क्या क्या होते हैं.

सुरक्षा या Security को बढ़ाने के – यह एक रकार का सुरक्षा कोड होता है. ऐसा इसलिए क्यूंकि यह यूजर का एक सुरक्षा कवच होता हैं. वहीँ इसके साथ ये पासवर्ड चोरी होने के बाद भी यूजर के अकाउंट को सुरक्षित रहता हैं. क्यूंकि बिना OTP को enter किये कोई अन्य व्यक्ति उसे एक्सेस नहीं कर सकता हैं.

यूजर का प्रमाणिकरण – इसके द्वारा वास्तविक यूजर का प्रमाणिकरण हो जाता हैं. ऐसा इसलिए क्यूंकि OPT केवल User के registered Mobile number पर ही जाता है. यदि सही यूजर ही अपने अकाउंट के माध्यम से कोई गतिविधि कर रहा हैं. जैसे पासवर्ड बदलना, मोबाईल नंबर अपडेट करना आदि तो इनके प्रमाणिकरण के लिए सिस्टम यूजर के द्वारा चुने गए तरीके के अनुसार उसे OTP भेजता हैं. इसे enter करने पर ही actions को valid माना जाता है.

Spamming से बचाव – जब हम ऑनलाईन पैसे का लेन-देन करते हैं तो बैंक खाताधारक से अनुमति लेने के लिए OTP भेजता हैं. ताकि असल खाताधारक की पहचान साबित हो जाए. इससे हम ठगी के शिकार होने से बचे रहते हैं. और वित्तिय लेन-देन (financial transaction) में ही इसका सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता हैं.

Double Security Enable कर सकते है – हम OTP के द्वारा अपने Account या सोशल मिडिया अकाउंट (फेसबुक, वाट्सएप ट्विटर गूगल इत्यादि) पर OTP Double Security enable कर सकते हैं. और इससे उन्हे ज्यादा सुरक्षित बना सकते हैं. ताकि कोई दूसरा user उसे access न कर सके.

मुफ्त – ये पूरी तरह से FREE होता है. इसके लिए यूजर को कोई अतिरिक्त शुल्क नही देना पडता हैं.

तेज – OTP से Original यूजर की पहचान सैकण्डों में साबित हो जाती हैं. यूजर को अपने पहचान कराने के लिए दस्तावेज लेकर मजिस्ट्रैट के पास हाजिर नहीं होना होता है.

आज आपने क्या सीखा

मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख One Time Password या OTP क्या है ? जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को OTP के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है.

इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे. यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं.

:धन्यवाद: